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ट्विटर का प्रतिद्वंद्वी बना ‘मैस्टाडॉन’ क्या है, यह भारत में ट्रेंड क्यों कर रहा है?

भारत में सोशल मीडिया पर एक ओपन सोर्स नेटवर्क मैस्टाडॉन (Mastodon) ट्रेंड कर रहा है। अब सवाल उठता है कि 2016 में लॉन्च हुआ यह नेटवर्क अचानक ट्विटर पर ट्रेंड क्यों करने लगा है? क्यों भारत में लोग इस प्लैटफॉर्म की तरफ स्विच कर रहे हैं?

दरअसल, हेट स्पीच को रोकने और अकाउंट सस्पेंड करने की नीतियों को लेकर ट्विटर की भारत में काफी आलोचना हो रही है। इसका एक बड़ा कारण है सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े का दो बार अकाउंट सस्पेंड किया जाना। इसके अलावा, कई अन्य यूज़र्स ने ट्विटर पर कास्ट और रेस के प्रति बायसनेस का आरोप लगाया है। इसके चलते, बीते कुछ दिनों में ट्विटर पर #CasteistTwitter भी टॉप ट्रेंड में शामिल रहा।

असल में मैस्टाडॉन (Mastodon) है क्या?

यह एक ओपन सोर्स नेटवर्क है, जहां यूज़र्स पोस्ट, कमेंट कर सकते हैं, साथ ही दूसरे यूज़र्स को फॉलो कर सकते हैं। दूसरे कन्वेंशनल प्लैटफॉर्म्स की तरह वीडियो और पिक्चर पब्लिश कर सकते हैं।

यह कन्वेंशनल प्लैटफॉर्म्स से किस तरह अलग है?

  1. यह एक डिसेंट्रलाइज़्ड और ओपन सोर्स है, जहां कोई एक एंटिटी पूरे नेटवर्क को रन नहीं कर रही है।
  2. इस नेटवर्क में यूज़र्स अपने सर्वर्स क्रिएट और रन कर सकते हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि इसमें यूज़र्स खुद के मुताबिक सर्वर्स चुन सकते हैं।
  3. इस नेटवर्क में 500 कैरेक्टर तक ट्वीट किया जा सकता है, जबकि ट्विटर की शब्द-सीमा 280 कैरेक्टर ही है।
  4. मैस्टाडॉन (Mastodon) सबसे पहले अक्टूबर 2016 में लॉन्च हुआ था और इसका दावा है कि इसके 22 लाख से भी ज़्यादा यूज़र्स हैं। वहीं, ट्विटर के दुनियाभर में 30 करोड़ से भी ज़्यादा यूज़र्स हैं और भारत में इसके यूज़र्स 3 करोड़ हैं।

अब सवाल है कि ट्विटर से लोग नाराज़ क्यों हैं?

दलित समाज से जुड़े कई लोगों का आरोप है कि ट्विटर उनके साथ भेदभाव कर रहा है। उनका आरोप है कि ट्विटर हज़ारों की संख्या में फॉलोअर्स होने के बावजूद उन्हें ब्लू टिक देने या उनके अकाउंट को वेरिफाई करने में आनाकानी कर रहा है। जबकि वह ऐसे कई यूज़र्स को ब्लू टिक दे रहा है, जिन्होंने एक भी ट्वीट तक नहीं किया या उनके बहुत कम फॉलोवर्स हैं। वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े का भी ट्विटर अकाउंट जिस तरह से दो बार सस्पेंड किया गया उस पर भी कई सवाल उठ रहे हैं।

आदिवासी समाज के लिए काम करने वाले हंसराज मीणा ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं और उनके करीब 27 हज़ार फॉलोअर हैं। उनका आरोप है,

लंबे समय से मैं खुद ट्विटर से जुड़ा हूं। आदिवासी और दलित समाज से जुड़े लोगों के ट्विटर अकाउंट का आंकलन करने पर मैंने पाया कि गिनती भर के यूज़रों के ही अकाउंट वेरिफाइड हैं। सामाजिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के अकाउंट वेरिफाई होने से आवाज़ ज़्यादा दूर तक पहुंचती है। हमारा अकाउंट वेरिफाई होने से इसका असर ज़मीनी स्तर तक पहुंचेगा।

हालांकि, ट्विटर इंडिया ने इस पर सफाई देते हुए एक ट्वीट किया,

इस हफ्ते ट्विटर इंडिया को लेकर काफी चर्चा हुई, जिसमें कहा जा रहा था कि ट्विटर भारत में पक्षपात कर रहा है लेकिन साफ कर दें कि चाहे वो पॉलिसीज़ का डेवलेपमेंट हो, प्रोडक्ट फीचर्स हो या फिर अपने नियमों में बदलाव हो, हम निष्पक्ष रहते हैं और किसी भी एक विचारधारा या फिर राजनीतिक नज़रिए से फैसला नहीं लेते हैं।

कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक,

ट्विटर ने भारत में अपनी ‘कंट्री विथहेल्ड’ पॉलिसी के तहत लाखों ट्विट्स हटा दिए और करीब 100 अकाउंट ब्लॉक कर दिए गएं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जितने यूज़र्स और कंटेंट को ब्लॉक किया गया है, वे अधिकतर भारत सरकार के प्रति काफी आलोचनात्मक हैं।

कई लोग यह कह रहे हैं कि यह ट्विटर का एक विकल्प हो सकता है लेकिन कुछ का कहना है कि इसे इस्तेमाल करना आसान नहीं है, जिसका मतलब है कि आने वाले कई वर्षों में यह ट्विटर से आगे नहीं निकल पायेगा।

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