टीएमसी की मुखिया और प बंगाल की सीएम ममता बनर्जी शपथ ग्रहण में शामिल होने रांची आ चुकी हैं तो आप संयोजक और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, शिव सेना अध्यक्ष व महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे के आने की संभावना है जबकि पुरे चुनाव के दौरान इन दलों के 2 से 3 या 4 दर्जन से ज्यादा सीटों में उम्मीदवार खड़े होने के बाबजूद चुनाव प्रचार करने कोई नहीं पहुंचे..यदि बीएसपी अध्यक्ष मायावती या सपा नेता अखिलेश यादव भी आते हैं तो उनके उम्मीदवारों के मन में यह सवाल उठेगा ही कि आखिर उनके चुनाव प्रचार में नहीं आकर उन्होंने कौन सा राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की…
यह कैसी राजनीति है जिस पर विपक्षी एकता की बात कह कर गर्व किया जाए या मतलबपरस्त राजनीति की एक और नुमाइश,जैसा चंद महीनों पहले कर्नाटक में नजर आया था और उसका क्या हश्र हुआ यह सबके सामने है.. यदि विपक्षी एकता बनानी है तो फिर चुनावों के पूर्व ही हो ताकि मतदाता हों या छात्र, राजनीति या उसके आचरण को लेकर उनके मन में कोई सवाल नहीं उठे…