अगर हम एक एनकाउंटर को सही ठहराते हैं तो हम आगे होने वाले हर एनकाउंटर का रास्ता खोलते हैं फिर वो चाहे अपराधी का हो या फिर फर्जी एनकाउंटर हो! होना ये चाहिए था कि फास्ट ट्रैक कोर्ट से एक महीने के अंदर ट्रायल करके रेप और मर्डर करने वालों को कानून से फांसी दी जाती। पुलिस के हाथ में ये पावर देना कि वो खुद ही इंसाफ करे बहुत ख़तरनाक साबित हो सकता है!
रयान स्कूल मर्डर केस याद है?
पुलिस ने बस कंडक्टर को गिरफ्तार किया, जिसने कबूल किया कि उसने बच्चे की हत्या की। बाद में, सीबीआई ने जांच की और पाया कि पुलिस ने अत्याचार किया और उसे स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। वह असली कातिल नहीं था। असली अपराधी उसी स्कूल का 11 वीं कक्षा का छात्र था। अगर पुलिस ने बस कंडक्टर का एनकाउंटर किया होता, तो लोग जश्न मनाते और गलत तरीके से न्याय की सेवा की जाती|
इसलिए फर्जी # एनकाउंटर इतना बुरा है। अदालत में अभियुक्त को दोषी साबित करना बहुत महत्वपूर्ण है, अन्यथा सच्चे न्याय की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाएगा|
बहुत से लोग हैदराबाद एनकाउंटर का जश्न मना रहे हैं क्योंकि उन्होंने तेजी से न्याय देने के लिए हमारी न्यायपालिका और पुलिस प्रणाली पर भरोसा खो दिया है।
मान लीजिए कि ये असली बलात्कारी नहीं थे, असली कुछ असरदार रसूख वाले थे तो क्या प्रियंका की आत्मा को चैन मिलेगा, मैं बलात्कारियों का बचाव नहीं कर रहा हूँ मैं न्याय संगत सज़ा की बात कर रहा हूँ । रोज़ पुलिस फर्जी मुकद्दमों में लोगों को फंसाती है आप ये कैसे कह सकते हैं कि पुलिस इस केस में 100% सही थी और बाकी सब में गलत ।
एक उपाय यह है कि अदालत और पुलिस में रिक्तियों को भरना, उन्हें अपना काम करने के लिए स्वतंत्र और कुशल बनाना। इसके लिए व्यवस्थित बदलावों की आवश्यकता होगी और लंबी अवधि में कानून के शासन को सुरक्षित करेगा। और यह वास्तव में जनता को संतुष्ट करेगा।
कितने ही मामले होते हैं जब पुलिस किसी बड़े अपराध के बाद किरकिरी से बचने के लिए किसी को भी पकड़ लेती है, और बाद में वो निर्दोष साबित होता है। ऐसे मामलों में एनकाउंटर होने लगें तो असली दोषी कैसे पकड़ा जाएगा।
न्याय करने का हक पुलिस का नहीं, अदालत का है। फैसले जनाक्रोश से प्रभावित नहीं होने चाहिए। हैदराबाद रेप-मर्डर कांड के आरोपियों को चौराहे पर फांसी देने की मांग करने वाला बीजेपी नेता का बेटा आशीष गौड़ अगले ही दिन बिग बॉस की कंटेस्टेंट से छेड़खानी कर बैठा और
फरार चल रहा है। गुड़गांव में रेयॉन स्कूल में 8 साल के बच्चे की हत्या के मामले में पुलिस ने कंडक्टर से अपराध कबूल करवा लिया था। जनाक्रोश उसको चौराहे पर फांसी देने की मांग कर रहा था, लेकिन सौभाग्य से उसका एनकाउंटर नहीं हुआ। बाद में सीबीआई जांच में पता चला कि हत्या बच्चे के एक सहपाठी ने ही की थी। तब कंडक्टर का भी एनकाउंटर कर दिया होता तो ऐसे ही जश्न मनाया जाता।
हैदराबाद के एनकाउंटर का समर्थन करके यूपी में हो चुके 4000 से ज्यादा एनकाउंटरों का हम समर्थन कर रहे हैं। सीन रीक्रिएशन के समय वीडियोग्राफी क्यों नहीं की गई। मौके पर ले जाते समय पुलिसकर्मियों की संख्या क्या पर्याप्त नहीं थी जो आरोपियों को पुलिस से बंदूक छीनकर भागने का मौका मिल गया?