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नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ असम के युवाओं ने किया पूर्वोत्तर बंद

सोमवार यानी कि 9 दिसंबर को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधयेक पेश किया। जिसको पूर्ण बहुमत से पास कर दिया गया है। इस बिल के पास होने के बाद असम के कई स्टूडेंट यूनियन विरोध में सड़कों पर मशाल लेकर उतर आए। ये वही स्टूडेंट्स हैं जो लगातार कई दिनों से इसका विरोध कर रहे थे।

अगर नागरिकता संशोधन बिल कानून का रूप ले लेता है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी। कई संस्थानों के स्टूडेंट इसी को लेकर विरोध जता रहे हैं।

दरअसल, असम में नागरिकता रजिस्टर यानी एनआरसी की फाइनल लिस्ट से जिन 19 लाख लोगों को बाहर किया गया है उनमें करीब 12 लाख हिंदू बंगाली बताए जा रहे हैं।

युवाओं को नहीं मंज़ूर नागरिकता संशोधन बिल

साल 1967 में स्थापित हुए इस स्टूडेंट यूनियन से जुड़े हज़ारों लोग सड़क पर उतर गए हैं। प्रदर्शन कर रहे संगठन से जुड़े लोगों ने इस दौरान सरकार विरोधी नारे लगाए। इनका आरोप है कि बीजेपी अवैध बांग्लादेशी वोट हड़पने की मंशा से ऐसा कर रही है। स्टूडेंट्स के इस प्रदर्शन में बुद्धिजीवी भी हिस्सा ले रहे हैं। इसमें वकील, पत्रकार, साहित्यकार, और सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हैं।

उधर बिल पास होने से पहले भी कॉटन युनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ने विश्वविद्यालय परिसर में बीजेपी और आरएसएस के सदस्यों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगाने की घोषणा की है। यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के महासचिव ने असम के सभी विधायकों, सांसदों और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से विधयेक के खिलाफ खड़े होने का ऐलान किया है।

बिल पास होने से पहले भी किया था विरोध

बिल पास होने से पहले रविवार को असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को आले असम स्टूडेंट यूनियन (AASU) से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने दो बार काले झंडे दिखाए। यह वाकया मुख्यमंत्री के समारोह से अपने सरकारी आवास लौटने के क्रम में हुआ।

पूर्वोत्तर स्टूडेंट यूनियन (एनएसओ) ने आज यानी कि मंगलवार को सुबह 5 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक पूर्वोत्तर बंद का आह्वान कर चुका है। इसके समर्थन में कई अन्य सहयोगी संगठनों ने साथ आने का एलान किया है।

दूसरी ओर बीजेपी ने इस विधयेक को पास कर अपने 2014 और 2019 के चुनावी वादों को पूरा कर दिया है।

बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि यह बिल 0.001 प्रतिशत भी अल्पसंख्यको के खिलाफ नहीं है लेकिन असम के तमाम स्टूडेंट यूनियन की चिंताएं इससे अलग हैं इनका कहना है कि बाहर से आने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है।

छात्रों के इतने व्यापक स्तर पर चौतरफा प्रदर्शन ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है।

 

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