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इस हफ्ते की तीन अच्छी खबरें जो आपको पढ़नी चाहिए

हफ्ते की तीन सकारात्मक खबरें

हफ्ते की तीन सकारात्मक खबरें

सना मारिन
सना मारिन। फोटो साभार- सोशल मीडिया

इस सप्ताह देश-विदेश से बहुत अच्छी खबरें सामने आई हैं जिनका परिदृश्य बहुत सकारात्मक है। बात करते हैं फिनलैंड की सना मारिन की जिन्हें दुनिया की सबसे कम उम्र में प्रधानमंत्री बनने का श्रेय हासिल हुआ है। जी हां, इनकी उम्र सिर्फ 34 साल है।

एन्टी रिने ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दिया जिसके पीछे डाक कर्मचारियों की हड़ताल का हवाला दिया जा रहा है। एन्टी रिने की जगह अब सना मारिन ने ले ली है, जो कि दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री है।

इससे पहले यूक्रेन की ओलेक्सी होंचारुक को सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ था। वहीं, 34 वर्ष की मारिन एक बेटी की माँ भी हैं। पिछले वर्ष ही उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया था। मारिन अपनी नेतृत्व क्षमता के लिए भी जानी जाती हैं। माना जा रहा है कि वह अपने कार्यालय के दौरान जलवायु परिवर्तन, हेल्थ केयर एवं युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता देंगी।

26 वर्षीय जोजिबिनी टूंजी बनीं मिस यूनिवर्स

जोजिबिनी टूंजी। फोटो साभार- सोशल मीडिया

वहीं, एक और बहुत बड़ी खबर सामने आई है जिसमें मिस यूनिवर्स 2019 के खिताब को साउथ अफ्रीका की 26 साल की जोजिबिनी टूंजी ने अपने नाम कर लिया है। इस प्रतियोगिता में 90 देशों ने भाग लिया था।

परिणाम की घोषणा होने के बाद जोजिबिनी टूंजी खुशी से रोने लगीं। सभी ने उनका ज़ोरदार तालियों के साथ स्वागत किया। सवाल-जवाब के दौरान जज ने जब जोजिबिनी से पूछा कि आपके लिए सुंदरता क्या है? इस पर उन्होंने जवाब दिया, “मेरे स्किन कलर के कारण मुझे अपने देश ही में सुंदर नहीं माना जाता था। मैं चाहती हूं कि यह खिताब जीतकर लौटूं, तो मेरे देश के बच्चे मुझे देखकर गर्व महसूस करें। वे मुझमें अपना अक्स देखें।’’

जहां एक ओर सफेदी को सुंदरता की संज्ञा माना जाता है। वहीं, रंगभेद अभी भी समाज के लिए कलंक बना हुआ है जो लड़कियों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए कई रुकावटें डालता है। जबकि जोजिबिनी टूंजी ने इस खिताब को जीतने के बाद यह साबित कर दिया है कि सुंदरता चेहरे और रंग में नहीं, बल्कि इंसान के व्यवहार से होती है।

LGBTQ+ कम्युनिटी के लिए टाटा स्टील समूह का ऐतिहासिक फैसला

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

इन सभी खबरों के बीच टाटा स्टील समूह ने LGBTQ+ कम्युनिटी को देखते हुए एक बेहतरीन फैसला लिया गया है। टाटा स्टील ने LGBTQ+ कम्युनिटी के कर्मचारियों से उनके पार्टनर की जानकारी मांगी है। इसके बदले में कंपनी उन्हें कर्मचारियों को मिलने वाले फायदे देगी।

गौरतलब है कि साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 377 पर फैसला सुनाते हुए समलैंगिक संबंधो को अपराध की श्रेणी से बाहर किया था जिसके बाद समलैंगिक जोड़ों को साथ में रहने की अनुमति मिल गई। यह फैसला सामाजिक भेदभाव को कम करने के लिए लिया गया था। अब टाटा स्टील द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद HR पॉलिसी में समलैंगिक पुरुष या महिला को अपने पार्टनर को इंट्रोड्यूस कराना होगा जिसके बाद HR पॉलिसी से उन्हें भी भत्ते का भी फायदा मिलेगा।

लेकिन कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया है कि पार्टनर्स से उनका अर्थ एक समान लिंग वालों से है, जो शादीशुदा जोड़े की तरह रह रहे हैं। कंपनी ने यह फैसला डाइवर्सिटी एंड इनक्लूज़न पॉलिसी के दायरे को बढ़ाने के लिए लिया है। टाटा कंपनी द्वारा LGBTQ+ कम्युनिटी के कर्मचारियों को मिलने वाली सुवाधाओं पर एक नज़र-

ऐसे में यह कहना बिल्कुल सही होगा कि ये सभी खबरें समाज को बदलाव की ओर ले जाती हैं, जिनका स्वागत किया जाना चाहिए। समाज में रंग, जाति और लिंग को लेकर जो भेदभाव देखा जाता है,  इन सब सकारात्मक फैसलों के बाद एक अच्छे और बेहतर समाज का निर्माण होगा जो देश को नई-नई उपलब्धियां देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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