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NPR को मिली मोदी सरकार की मंज़ूरी, जानिए अब आगे क्या होगा

अमित शाह

अमित शाह

लोकसभा से नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने के बाद से लेकर राज्यसभा में पेश किए जाने और राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदन प्राप्त कर कानून की शक्ल लेने के बाद से अब तक देश का माहौल कुछ ठीक नहीं है। नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से लेकर पूरे भारत के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। एनआरसी और नागरिकता कानून को लेकर पहले से ही चल रहे मतभेद के बीच अब एक पुराना टर्म फिर से सुर्खियों में आ गया है।

केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को मंज़ूरी दे दी है, जिसके बाद अब NPR तैयार करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इसका मकसद यह है कि देश के सामान्य नागरिकों का डेटा सरकार के पास हो।

इस डेटा में जनसांख्यिकी के साथ बायोमेट्रिक की जानकारी भी शामिल होगी। इसे ग्राम पंचायत, तहसील, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है। नागरिकता कानून, 1955 और सिटिजनशिप एक्ट, 2003 के प्रावधानों के तहत यह रजिस्टर तैयार होता है।

NPR में देश के हर नागरिक की जानकारी रखी जाएगी। NPR में तीन प्रक्रियाएं होंगी। इसके लिए सरकार ने 3,941.35 करोड़ रुपये का बजट भी जारी किया है। पहले चरण में 1 अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े एकत्रित करेंगे। वहीं, दूसरा चरण 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा। तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच पूरी की जाएगी।

एनआरसी के लिए दस्तावेज़ जमा करते लोग। फोटो साभार- Getty Images

NPR और NRC में क्या है अंतर?

इन  सबके बीच केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक बड़ा ही अजीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि NPR के लिए देश की जनता को कोई कागज़ात देने की ज़रूरत नहीं है। जनता जो कहेगी उसे मान लिया जाएगा, क्योंकि हमें उन पर पूरा भरोसा है।

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