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“असम में लड़ाई शरणार्थियों के साथ अपने संसाधन बंट जाने की लड़ाई है”

कुछ रोज़ पहले केंद्र सरकार ने संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) से नागरिकता संशोधन बिल पास करा लिया था और अब इसे राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई है।

इस बिल के पास होने से जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों में खुशी की लहर है तो वहीं, असम, त्रिपुरा समेत नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों में इस बिल का जमकर विरोध हो रहा है। असम में नागरिकता बिल (अब एक्ट) के विरोध ने तो हिंसक रूप अख्तियार कर लिया है।

सिटीज़नशिप कानून के खिलाफ असम में विरोध, फोटो साभार- सोशल मीडिया

गुवाहाटी और दिसपुर में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ भी की। असम में हिंसक प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में घायल हुए दो लोगों की गुरुवार को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में मौत हो गई।

इस बीच पीएम नरेन्द्र मोदी और असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने असम के लोगों से शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की है और भरोसा दिलाया है कि इस बिल की वजह से उनका कोई नुकसान नहीं होगा।

असम, त्रिपुरा और मेघालय में इंटनेट सेवाओं पर लगी रोक

बुधवार को असम के 10 जिलों और त्रिपुरा में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई थी। गुरुवार को मेघालय में भी 48 घंटों के लिए मोबाइल इंटरनेट और मेसेजिंग सेवाओं पर रोक लगा दिया है। गुरुवार को ही असम के 10 ज़िलों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक को अगले 48 घंटों के लिए बढ़ा दिया गया। सरकार ने तनाव को लेकर फैल रही अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए ऐहतियातन यह कदम उठाया है।

असम का प्रदर्शन इसलिए चिंता का विषय बन रहा है, क्योंकि इसमें विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। प्रदर्शनकारी सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और नवगांव में ज़िंदगी थम सी गई है। असम जाने वाली ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। असम के लिए जाने वाले विमानों की उड़ान को भी रद्द कर दिया है।

इंडिगों, विस्तारा, एयर इंडिया ने असम के लिए जाने वाले विमानों की उड़ान को रोक दिया। गुवाहाटी के हिल साइड कुशल कोनवर रोड के रहने वाले काली प्रसाद बताते हैं,

इस बिल के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन की वजह से बाज़ार बंद रहे हैं। आगजनी और तोड़फोड़ की वजह से बाहर निकलना मुश्किल है। घरेलू सामानों के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है।

वहीं, नॉर्थ आनंद नगर न्यू गुवाहाटी के रहने वाले ऋषिकेष देब का कहना है,

विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है। ज़रूरी काम होने पर भी घर से बाहर निकलना मुश्किल हो रखा है। सरकार को किसी भी तरह का कानून बनाने या फैसला लेने से पहले अपने लोगों के बारे में सोचना जरूर चाहिए ताकि जिस तरह की स्थिति असम में बनी है, वैसी स्थिति न बनने पाए।

त्रिपुरा में भी जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है

नागरिकता संशोधन बिल का विरोध असम की तरह त्रिपुरा में भी हो रहा है। हालात को बिगड़ने से बचाने के लिए बीते दो दिनों से त्रिपुरा में भी इंटरनेट सेवाएं और मेसेजिंग बंद हैं।

कर्फ्यू लगा होने की वजह से अगरतला में होने वाले रणजी क्रिकेट मैच चौथे दिन का खेल रद्द कर दिया गया। धलाई जिले के रहने वाले तपस पाल ने बातचीत के दौरान बताया,

इंटरनेट और मेसेजिंग सर्विस बंद होने की वजह काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। विरोध प्रदर्शन कब थमेगा इसका कुछ अता-पता नहीं है। सरकार की तरफ से सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। हालात बहुत खराब हैं।

वहीं, ख्वाई ज़िले के तेलियापुरा के रहने वाले सजल देबनाथ का कहना है,

नागरिकता कानून आने की वजह से स्थानीय लोगों को अपने अधिकार छिनने और संसाधनों के बंटवारे का डर सता रहा है। सरकार भले ही कह रही है कि इस बिल से किसी का अधिकार नहीं छीना जाएगा लेकिन वह यह नहीं बता रही है कि जिन शरणार्थियों को यहां की नागरिकता दी जाएगी उनके लिए संसाधनों का इंतजाम कहां से किया जाएगा? सरकार को इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।

असम में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, फोटो साभार- सोशल मीडिया

मेघालय तक पहुंची नागरिकता बिल के विरोध की आंच

असम की तरह अब मेघालय में भी इंटरनेट और एसएमएस सर्विस पर रोक लगा दी गई है। प्रशासन ने यह रोक गुरुवार शाम से अगले 48 घंटे तक के लिए लगाई है। सरकार ने अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए ऐहतियाती तौर पर इस कदम को उठाया है।

कानून-व्यवस्था बिगड़ने ने पाए इसके लिए कुछ इलाकों में कर्फ्यू भी लगा दिया गया है। इस बीच मेघालय के सीएम कॉनरॉड संगमा ने गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह के साथ तय बैठक को रद्द कर दिया था। हालांकि इस बैठक को रद्द करने का कारण अभी सामने नहीं आ पाया है।

पुलिस ने चलाई गोलियां, असम में दो लोगों की मौत

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने लालुंगगांव में गोलियां चलाई। इसमें कुछ लोग कथित तौर पर घायल हो गए। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, प्रदर्शकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की और ईंटे फेंकी जिसके जवाब में पुलिस ने गोलियां चलाईं।

हालांकि गोलीबारी में घायल लोगों की संख्या का तो पता नहीं लेकिन प्रदर्शनकारियों की मानें तो कम से कम 4 लोग घायल हुए हैं। वहीं, पुलिस के गोली से घायल हुए दो लोगों की गुरुवार को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में मौत हो गई है। इस बात की पुष्टि असम के डीजीपी (इंचार्ज) कुमार संजय कृष्णा ने भी की है।

 

प्रधानमंत्री मोदी और असम के सीएम ने की शांति की अपील

असम में विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को खुद ट्वीट कर असम के लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि नागरिकता बिल से किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा। पीएम मोदी ने असम की स्थानीय भाषा और अंग्रेजी में ट्वीट किया।

हालांकि कांग्रेस ने पीएम मोदी के ट्वीट पर तंज कसते हुए कहा कि असम में तो इंटरनेट बंद है। वहीं, असम के सीएम सर्बानंद सोनोवाल ने भी विडियो के जरिए राज्य के लोगों से अपील की है कि उन्हें नागरिकता कानून को लेकर अपनी परंपरा, संस्कृति, भाषा, राजनीतिक और जमीनी अधिकारों को लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि असम अकॉर्ड की धारा 6 के तहत उनके अधिकारों की रक्षा की जाएगी।

संसद को दोनों सदनों में गृह मंत्री अमित शाह ने भी दिलाया था भरोसा

नागरिकता कानून को लेकर विपक्ष के आरोपों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के दोनों सदनों में अपने भाषण के दौरान लोगों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की कि इससे किसी को कोई भी नुकसान नहीं होगा।

बुधवार को राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि नागरिकता कानून लोगों को नागरिकता देने का कानून है, ना कि किसी की नागरिकता को छीनने के कानून है। उन्होंने कहा था,

इस बिल को अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत आने वाले शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए लाया गया है, जिससे वह भी सम्मान के साथ अपनी ज़िंदगी बिता सकें।

क्या है नागरिकता संशोधन बिल और क्यों है आपत्ति?

नागरिकता कानून  में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थी (हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों) के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।

इसके लिए नागरिकता कानून 1955 में बदलाव किया गया है। इसके मुताबिक अगर अल्पसंख्यक एक साल से लेकर 6 साल तक शरणार्थी बनकर भारत में रहें हैं तो उन्हें भारत की नागरिकता दे दी जाएगी। नागरिकता कानून से संविधान की छठी अनुसूची में शामिल असम, मेघालय और त्रिपुरा के साथ-साथ इनरलाइन परमिट की ज़रूरत से जुड़े मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश जैसे इलाकों को इससे छूट दी गई है।

हालांकि असम के मूल निवासी इससे इसलिए चिंतित हैं क्योंकि बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिलने बाद राज्य के संसाधनों पर उनका भी कानूनी हक हो जाएगा। वहां के लोगों को लगता है कि इससे उनके अधिकारों का नुकसान होगा।

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