Site icon Youth Ki Awaaz

दर्शकों की कमी से जूझती शानदार मैथिली फिल्में

फोटो साभार- सोशल मीडिया

फोटो साभार- सोशल मीडिया

कोई भी कला समकालीन समय और समाज से कटी नहीं होती है, यह बात मुख्यधारा सिनेमा पर लागू हो सकती है मगर क्षेत्रीय सिनेमा के साथ भी ऐसा ही है, यह शोध का विषय हो सकता है। क्षेत्रीय सिनेमा के पास अपना एक दर्शक वर्ग होने के बाद भी अलग तरह की चुनौतियां हैं।

इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है कि पिछले दो दशकों में भारतीय सिनेमा में क्षेत्रीय फिल्मों ने अपनी धमक बढ़ाई है परंतु यह धमक हर क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के लिए एक ही तरह की नहीं रही है।

कम पूंजी, कहानी कहने के अपने कथ्य यानी सिनेमाई भाषा की वजहों से मराठी सिनेमा के सामने पंजाबी और भोजपुरी सिनेमा अपनी नई पहचान बनाने में सफल रही है परंतु इसमें कई क्षेत्रीय भाषाओं का सिनेमा शामिल नहीं हो पाया है।

दर्शक जुटाने में जद्दोजहद

1960 में “कन्यादान” से शुरू हुआ मैथिली सिनेमा आज भी अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। मैथिली भाषाई सिनेमा, क्षेत्रीय सिनेमा का वह प्लैटफॉर्म है जहां उसके पास अपने दर्शक हैं फिर भी वह एक दोहरेपन के महौल में जी रही है।

दोहरेपन इसलिए क्योंकि इतने बड़े भू-भाग में बोली जाने वाली मैथली भाषा की झोली में राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त सिर्फ एक सिनेमा है “मिथला मखान” जिसे मैथिली भाषा में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त है।

ऐसी फिल्मों को सराहना तो मिली मगर सिनेमाघरों में दर्शक नहीं मिले। यहां तक कि कई जगहों पर सिंगल थियेटर भी उपलब्ध नहीं है। जबकि “ममता गाबए गीत” जैसी फिल्म आज भी मैथिली भाषा-भाषी समाज में एक मीठी याद की तरह है, जिसको महेंद्र कपूर, गीता दत्त और सुमन कल्याणपुर जैसे हिंदी फिल्म के शीर्ष गायकों ने आवाज़ दी थी और मैथिली रचनाकार रवींद्र ने गीत लिखे थे।

मैथिली फिल्म ‘प्रेमक बसात’ देखी जानी चाहिए

फोटो साभार- सोशल मीडिया

पिछले दिनों रूपक शरर ने मैथिली सिनेमा में “प्रेमक बसात” एक और फिल्म जोड़कर मैथिली सिनेमा को नई ऊर्जा देने की कोशिश की। सिनेमाई मुनाफा कमाने में भले ही “प्रेमक बसात” पिछड़ गई मगर इस फिल्म को हर मैथिली भाषी समाज तक पहुंचाने की कोशिश रूपक शरर ने ज़रूर की।

मैथिली सिनेमा देखने वालों का मानना है कि मैथिली फिल्म उद्योग तब तक समृद्ध नहीं हो सकता है, जब तक क्षेत्रीय भाषाओं को नियमित रूप से भोजपुरी फिल्मों की तरह मौका नहीं दिया जाता है। यह संकट केवल मैथिली भाषाई सिनेमा के साथ ही नहीं, बल्कि कई अन्य भाषाई सिनेमा के साथ भी है।

मेरे करीबी निर्माता-निर्देशक मित्र अजय सकलानी की डोगरी भाषा में बनाई फिल्म “सांझ” जिसे कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सराहा गया है फिर भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

क्षेत्रीय फिल्मों को डिजिटल प्लैटफॉर्म पर आने की ज़रूरत

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

हाल के वर्षों में इंटरनेट पर डिजिटल प्लैटफॉर्म ने फिल्म प्रसारण की नई संभावनाओं के ज़रिये युवा फिल्मकारों की अभिव्यक्ति को प्रभावित किया है। क्षेत्रीय भाषाई सिनेमा को इस विस्तार का अभी इंतज़ार है। मौजूदा समय में वेब सीरीज़ जैसे नए विकल्पों के बीच क्षेत्रीय सिनेमा अपनी अस्मिता को पुर्नजीवित करने के लिए किस तरीके से इसका उपयोग करती है, यह एक बड़ा सवाल ज़रूर है।

वेब सीरीज़ में क्षेत्रीय फिल्मों के लिए भी संभावनाएं हैं, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्षेत्रीय भाषाई सिनेमा को अपनी सभ्यता-संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल ज़रूर करना चाहिए, क्योंकि क्षेत्रीय भाषाई सिनेमा की गतिशीलता के लिए यह ज़रूरी है।

शायद इस माध्यम के इस्तेमाल से मैथिली या अन्य भाषाई सिनेमा अपनी एक नई पहचान बना सके। कुछ क्षेत्रीय भाषाओं ने इस प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल किया है और इस प्रयास को सराहना भी मिली है। क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में डिजिटल प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल कर भारतीय भाषाई सिनेमा का विकास कर सकती है।

मैथिली ठाकुर जैसी युवा गायिकाओं ने जिस तरह सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करके लोकप्रियता और सराहना बटोरी है, उसको देखकर लगता है कि मैथिली सिनेमा भी इस प्लैटफॉर्म के ज़रिये स्वयं को पुर्नपरिभाषित कर सकता है।

मैथिली भाषा में जो इक्का-दुक्का फिल्में बनी भी हैं, उनमें कोई दृष्टि या सिनेमाई भाषा नहीं मिलती है, जो मिथिला के समाज, संस्कृति को कलात्मक रूप से रच सके। पूरी दुनिया में मिथिला पेंटिग के ज़रिये मैथिली भाषा, साहित्य और संस्कृति की झलक ज़रूर देखी गई है मगर आधुनिक समय में फिल्मों में इस समाज की अनुपस्थिति एक प्रश्नचिन्ह बनकर खड़ी है।

आशा यही है कि साल 2020 ना सिर्फ मैथिली फिल्मों के लिए, बल्कि अन्य क्षेत्रीय फिल्मों के लिए भी काफी शानदार साबित हो। इंटरनेट के युग में तमाम क्षेत्रीय फिल्में अपने दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ने में सफल हो।

Exit mobile version