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“असल में सिर्फ मुस्लिम नहीं, दलित विरोधी भी है यह नागरिकता कानून”

कहने को तो भारत अंग्रेज़ों की गुलामी की ज़ंजीर तोड़कर एक लोकतांत्रिक देश बना लेकिन इस देश के संसाधनों का लोकतांत्रिक तरीके से बंटवारा नहीं हो पाया। कुछ खास वर्ग ने ही सत्ता सहित सारे संसाधनों पर अपना एकाधिकार जमा लिया है, जिसका खामियाज़ा इस देश की बहुसंख्यक आबादी झेल रही है।

आप लोग मुझे बताइये 15 अगस्त 1947 आज़ादी के समय जिन लोगों को ज़मीन सहित सारे संसाधनों में हिस्सेदारी नहीं दी गई, जो आज़ाद देश में बनजारे बने रहे और आज भी बने हुए हैं, जो केवल अपनी भूख मिटाने के लिए दर-दर भटकते रहे, वे आज कैसे अपनी नागरिकता साबित कर पाएंगे?

भूमिहीनों को ज़मीन पर अधिकार का कानून क्यों नहीं?

देश की बहुत बड़ी आबादी आज आपको हर शहर, हर गाँव और झुग्गी बस्तियों में रहती मिल जाएंगी। कई लोग आज भी हैं, जिन्हें लोकतांत्रिक भारत में ज़मीन का अधिकार नहीं मिल पाया है। इन लोगों को ये भी पता नहीं है कि वे कौन हैं। आप केवल नज़र दौड़ाएं और आपको देश के हर कोने में ऐसे लोग मिल जाएंगे।

बीजेपी सहित सभी राजनीतिक पार्टियों से मेरा सवाल है कि इन भूमिहीनों को ज़मीन का अधिकार देने के लिए कोई कानून आजतक क्यों नहीं लाया गया? क्या ये भूमिहीन इस देश के नागरिक नहीं है? क्या इस देश के संसाधनों में इनका अधिकार नहीं था?

बंगलादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान के सताये हिन्दुओं की चिंता करने वाले लोग आखिर इन दलित, आदिवासी, पिछड़ा, गरीब, मज़दूर हिन्दू की चिंता आज तक क्यों नहीं कर पाया? कहीं ऐसा तो नहीं कि इन भूमिहीनों को उनका अधिकार देने से रोकने के लिए यह काला कानून NRC/CAA लाया गया है।

आप साथियों से भी अनुरोध है कि इन भारतीय भूमिहीनों के बारे में सवाल करें यह बहुत बड़ा तबका है। इसपर कोई पार्टी कुछ भी नहीं बोल रही है जबकि इनके मुद्दे पर बीजेपी सरकार को मज़बूती से घेरा जा सकता है।

सोचिए आखिर यह सिटीज़नशिप एक्ट है क्या? और BJP ने इसे क्यों लाया?

यह कानून मुस्लिमों से ज़्यादा दलित विरोधी

दलित, पिछड़े, आदिवासी यह सोच रहे हैं  कि हमारा नुकसान थोड़े है। सिर्फ मुसलमानों का नुकसान है तो यह उनका वहम है। नागरिकता कानून मुस्लिम के विरोध में ना होकर सही मायनों मे SC, ST, OBC के विरोध में है लेकिन मुस्लिम कम्यूनिटी इस कानून पर प्रतिक्रिया दे रही है, जिससे RSS का असली मकसद कामयाब होते नज़र आ रहा है। इसकी वजह है हमारे बहुजन समाज को इस पॉलटिकल फंडे की सही जानकारी ना होना।

जैसे की अमित शाह के बयान अनुसार SC, ST, OBC को भी लग रहा की यह मामला हमारे खिलाफ ना होकर सिर्फ मुस्लिम को ही टारगेट बनाया जा रहा है लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

सही मायने में सिटीज़नशिप एक्ट वह एक्ट है, जो कि दिखाने के लिए निशाना तो मुस्लिमों पर साध रहा है लेकिन असल में टारगेट SC, ST, OBC को बनाया जाने वाला है।

जिन लोगों के पास 1971 का डॉक्यूमेंट नहीं होगा उनकी नागरिकता चली जाएगी, फिर वह नागरिकता के लिए अप्लाई करेंगे। उनके पास दोबारा नागरिकता तो आ जाएगी लेकिन जब वे लिखकर दे देंगे कि वे बांग्लादेश से आए थे, तो वे बांग्लादेश से कोई जाति प्रमाण पत्र तो नहीं लाए थे। इसलिए जो भी जाति होने की वे घोषणा करेंगे,वह जाति नहीं मानी जाएगी।

असल में देश में कोई भी हिंदू है ही नहीं

जब SC, ST, OBC अपना प्रमाणपत्र (certificate) बनवाने कार्यालय जाएंगे, तो आपको SC, ST, OBC का प्रमाणपत्र ना देते हुए (HINDU) हिंदू होने का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। जब की असल में देश में कोई भी हिंदू है ही नहीं।

जैसे ही SC, ST, OBC की हिंदू के नाम से पहचान होगी SC, ST, OBC का बगैर कुछ किए आरक्षण एक ही झटके में जड़ से खत्म हो जाएगा क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 340, 341, 342 में आरक्षण का प्रावधान SC, ST, OBC समुदाय के नाम पर है। हिंदू के नाम पर नहीं।

इसलिए नागरिकता की असल बात को SC, ST, OBC बहुत गहराई से समझना होगा और इस कानून के विरोध में मुस्लिम समुदाय का समर्थन हासिल करते हुए खुद SC, ST, OBC को इस आंदोलन मे उतरना होगा।

RSS एक ही तीर में कई शिकार करने जा रहा है।

ये सब इसलिए ताकि देश की जनता रोज़गार, शिक्षा जैसी अनेकों मूलभूत समस्या भूल जाए।

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