दिल्ली विश्वविद्यालय में हज़ारों शिक्षक अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विवि में अभी एग्ज़ाम का समय है। शिक्षकों ने परीक्षा निरीक्षण करने से भी बायकॉट कर दिया है। यह प्रोटेस्ट एडहॉक शिक्षकों की सेवाओं को फिर से रिन्यू ना करने, उनके वेतन पर रोक लगाने और एडहॉक की जगह गेस्ट शिक्षकों की बहाली करने के खिलाफ किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय में एडहॉक शिक्षकों की नियुक्ति लगभग 30-40 वर्षों से होती रही है। मौजूदा समय में दिल्ली यूनिवर्सिटी में लगभग 4500 एडहॉक शिक्षक कार्यरत हैं, जिनकी नौकरी पर तलवार लटकी हुई है। जबकि इसे स्थाई किया जाना था।
28 अगस्त को विश्वविद्यालय द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए हा जाता है कि सभी कॉलेजों तथा विभागों में आगे से रिक्त पदों पर गेस्ट फैकल्टी बहाल किए जाएं। यानी एडहॉक की नियुक्ति बंद।
एडहॉक की नियुक्ति विशेष परिस्थिति में होती है। जैसे- ज़्यादा वर्कलोड होने, शिक्षक के छुट्टी पर जाने तथा खाली पदों को तत्काल प्रभाव से बचाने के लिए ताकि शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित ना हो। डीयू में एडहॉक की समय-सीमा 120 दिनों की होती है। यह समय समाप्त होते ही उनके कार्यकाल को रिन्यू किया जाता है अथवा फिर से इंटरव्यू प्रक्रिया शुरू की जाती है।
एडहॉक टीचर्स के वेतन पर भी लगा दी गई है रोक
हाल ही में विश्वद्यालय कुलपति द्वारा जारी नोटिफिकेशन के बाद बीते शुक्रवार को विवि के प्रिंसिपल एसोसिएशन की मीटिंग हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि जब तक कुलपति की ओर से सब साफ नहीं हो जाता तब तक एडहॉक शिक्षकों के कॉन्ट्रैक्ट को रेन्यू नहीं किया जाएगा। लगभग सभी कॉलेजों के प्रधानाध्यापकों द्वारा एक जैसा नोटिस भी जारी कर दिया गया है।
शिक्षकों द्वारा इसी फरमान का विरोध किया जा रहा है। विरोध के तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा कुलपति ऑफिस तक का मार्च किया गया, जिसमें हज़ारों की संख्या में शिक्षक शामिल थे। विरोध कर रहे तमाम शिक्षक आर्ट्स फैकल्टी के सामने वाले प्रशासन विभाग के गेट नंबर 4 को तोड़कर वीसी कार्यालय तक पहुंचे।
विरोध में शामिल रामजस कॉलेज में पढ़ा रही पूजा कहती हैं,
एडहॉक का कार्यकाल 120 दिनों का होता है। आगे जारी रखने के लिए फिर से इंटरव्यू या फिर रिन्यूअल होकर अपॉइंटमेंट लेटर मिलता है। कुछ कॉलेजों में अपॉइंटमेंट बिल्कुल रोक दिया गया है। कुछ में काम लिया गया है लेकिन अब वेतन पर भी रोक लगा दी गई है।
वो आगे कहती हैं, “चूंकि यह सेमस्टर एग्ज़ाम का समय है इसलिए दबाव बनाया जा रहा है लेकिन हम इसका बहिष्कार करते हैं। यह मसला सिर्फ कानूनी और संवैधानिक अधिकार का नहीं, बल्कि यह सामाजिक न्याय का सवाल है। दस-बीस साल से लोग यहां एडहॉक पर हैं लेकिन अब अचानक आप कहते हैं कि हम इसे खत्म कर रहे हैं। इतने सालों से काम करने वाले अब क्या रोज़गार ढूढेंगे? कहां जाएंगे? यह सिर्फ पैसे और नौकरी का सवाल नहीं, बल्कि हमारे जीवन का सवाल हो गया है।”
क्या अनिश्चितकालीन चलेगा एडहॉक टीचर्स का विरोध प्रदर्शन?
विरोध मार्च में शामिल शिक्षकों का कहना है कि यह इसलिए एक ऐतिहासिक मार्च है, क्योंकि आज तक कुलपति ऑफिस के अंदर कोई मार्च नहीं पहुंचा है। हमने विवि के उस कमरे तक को घेर रखा है, जिसमें अकादमिक तथा एग्ज़ीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग होती रही है।
सत्यवती कॉलेज (संध्या) में पढ़ा रहे संतोष यादव का कहना है कि डीयू वीसी का लेटर फरमान ठीक उसी तरह है, जिस तरह उत्तर प्रदेश में योगी ने एक साइन के ज़रिये रातों-रात 25000 होम गार्ड्स की नौकरी ले ली।
इस फरमान से लगभग 4500 शिक्षकों की नौकरी अधर में है। जबकि इस लेटर की मान्यता कहीं से भी नहीं है। इसका प्रोविज़न ना तो यूजीसी से है और ना ही एमएचआरडी से है। यह महज़ वीसी के सनक का नतीजा है। इसके खिलाफ तब तक प्रोटेस्ट होगा जब तक वीसी अपना फरमान वापस नहीं लेते।
वीसी के फरमान का विरोध कर रहे शिक्षक निरंजन महतो कहते हैं,
स्थाई नियुक्ति नहीं होने के कारण जिस अनिश्चितता का शिकार शिक्षक हो रहे हैं, उसका सीधा असर स्टूडेंट्स की पढ़ाई पर पड़ रहा है। हमारी नौकरी पर भी हमेशा तलवार लटकी रहती है।
मार्च में विभिन्न कॉलेजों के शिक्षक शामिल थे। एडहॉक के समर्थन में कई स्थाई शिक्षकों के साथ-साथ कॉलेजों के स्टाफ एसोसिएशन भी अपने बैनर लिए घूम रहे थे। एडहॉक की इस लड़ाई में डूटा भी साथ है। उसी के बैनर तले यह विरोध किया जा रहा है।