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लैंगिक समानता की वकालत करने वाले देशों के लिए फिनलैंड एक उदाहरण है

यूरोपीय देश फिनलैंड की नव-निर्वाचित प्रधानमंत्री सना मारिन चुनी गई हैं। मारिन की उम्र महज़ 34 साल की हैं, समूचे विश्व में वह किसी देश की सबसे युवा प्रधानमंत्री के तौर पर पदभार ग्रहण करने वाली पहली महिला बन गई हैं।

यह खबर भारत जैसे विशालकाय लोकतांत्रिक देश के लिए और भी महत्त्व रखता है। यूनाइटेड नेशन्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व में सबसे अधिक युवाओं के संख्या भारत में है।

भारत में राजनीति में युवाओं की भागीदारी नगण्य है

हमारे मुल्क के कुल जनसंख्या के आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है, लेकिन राजनीति में युवाओं की भागीदारी नगण्य है। साल 2004 में हुए लोकसभा चुनावों के कुल 543 सीटों में केवल 35 ऐसे जन-प्रतिनिधि चुनकर आए, जिनकी औसत उम्र 30 साल थी।

राजनीतिक हिस्सेदारी में महज़ 6 प्रतिशत पर सिमटकर रह जाना, विश्व की सबसे बड़े लोकतंत्र के सामने सवालिया निशान खड़े करता है।

फिनलैंड की नई सरकार बनाने में पांच गठबंधन दल शामिल हैं। जिनमें से चार दलों की महिलाएं 35 साल से कम उम्र की है। ये महिलाएं है कैबिनेट में शामिल होकर अलग-अलग मंत्रालयों जिम्मा उठाएंगी। लैंगिक समानता की वकालत करने वाले देशों के लिए फिनलैंड एक उदाहरण है।

अगर बात भारत के चुनावों की करें इसी साल हुई लोकसभा चुनाव में केवल 78 महिलाएं चुनकर संसद में गई जो कि 33 प्रतिशत आरक्षण के आसपास भी नज़र नहीं आता।

सरकार बनाने में सहयोग करने वाले अन्य दलों के महिला प्रमुख।

कौन है सना मारिन?

साल 1985 जन्मी सना मारिन को उनकी माँ और माँ की समलैंगिक पार्टनर ने पाला। मारिन ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 2006 में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य के रूप में की।

2012 में 27 साल की उम्र में वो सिटी काउंसिल ऑफ टेमपेरे की हेड बनी। प्रधानमंत्री बनने से पहले वो परिवहन और संचार मंत्रालय का कार्यभार देख रहीं थी। सना मारिन ने निवर्तमान मान नेता एंटी मरे का स्थान लिया है।

प्रधानमंत्री पद के लिए चुने जाने के बाद मारिन ने कहा कि हमें बहुत काम करना होगा। मैंने अपनी उम्र या लिंग के बारे में कभी नहीं सोचा है। सना मारिन का समूचे विश्व बतौर सबसे युवा प्रधानमंत्री चुना जाना युवाओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। सही मायनों में मारिन एक ग्लोबल यूथ आइकन के रूप में उभरी हैं।

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