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कैसे ऑनलाइन ट्रेनिंग ने मुझे एक बड़ी कंपनी में नौकरी पाने में मदद की

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मैं हमेशा से नई तकनीकी कॉन्सेप्ट्स को सीखने और उनका उचित उपयोग करने के प्रति प्रेरित रहता था परन्तु मैं किसी भी उपयोगी ट्यूटोरियल या ट्रेनिंग से परिचित नहीं था। इंटरनेट पर काफी समय व्यतीत करने के बाद मुझे एक उपयुक्त ट्रेनिंग मिली, “इंटर्नशाला की डेटा एनालिटिक्स ट्रेनिंग”, जो कि एनालिटिक्स विद्या के सहयोग से प्रदान की गई थी।

मुझे इंटर्नशाला की यंग अचीवर स्कॉलरशिप 2017 में भाग लेने का अवसर भी मिला और मैं विजेताओं में से एक रहा, जिसके चलते मुझे अपनी पसंद की एक ट्रेनिंग मुफ्त मिली। छात्रवृत्ति के रूप में मेरे लिए यह एक आशीर्वाद था, क्योंकि मैं सीखने के लिए उत्सुक था परन्तु आर्थिक तंगी के कारण पूर्ण रूप से सक्षम नहीं था।

मैंने 4 सप्ताह के बाद ही प्रोजेक्ट बनाने के उत्साह के साथ अपनी ट्रेनिंग शुरू की। किसी भी नौसिखिए के लिए, जिसे एनालिटिक्स का थोड़ा बहुत ज्ञान हो ना हो, यह ट्रेनिंग अति उत्तम थी।

ट्रेनिंग की शुरुआत सचित्र विश्लेषण, उदाहरण और वीडियो ट्यूटोरियल की मदद से बिज़नेस एनालिटिक्स, डाटा माइनिंग, कम्पलीट एनालिसिस स्पेक्ट्रम आदि जैसे बुनियादी कॉन्सेप्ट्स के स्पष्ट विवरण के साथ हुई। ट्रेनिंग में आगे बढ़ते हुए, मैंने विभिन्न केस स्टडीज़ सॉल्व की तथा सभी ओरिटिकल कॉन्सेप्ट्स का प्रैक्टिकल उपयोग करना सीखा।

मैं एक वर्चुअल ट्रेनिंग लेने के बारे में हमेशा से उलझन में था लेकिन पहले सप्ताह के भीतर ही मुझे एहसास हुआ कि यह ट्रेनिंग कितनी इंटरैक्टिव और सूचनात्मक थी।

दूसरे हफ्ते में मैंने एमएस एक्सेल सीखा और एनालिटिक्स में उसके महत्व को जाना। इस अनुभाग में कई महत्वपूर्ण ट्यूटोरियल थे, जिनकी सहायता से एक्सेल में इस्तेमाल किए जाने वाले एडवांस कॉन्सेप्ट्स जैसे कि VLookup, HLookup और पिवट टेबल्स के बारे में मेरा ज्ञान बढ़ा।

तीसरे सप्ताह में, मैंने स्टेटिस्टिक्स और प्रोबेबिलिटी से संबंधित कई नई चीज़ें सीखी, जैसे नॉर्मल डिस्ट्रीब्यूशन, सेंट्रल लिमिट थ्योरम आदि। ट्रेनिंग के दौरान सेंट्रल लिमिट थ्योरम समझने में मुझे थोड़ी कठिनाई हुई परन्तु जब मैंने सपोर्ट फोरम का उपयोग किया, तब मेरे सभी संदेह दूर हो गए।

अंतिम सप्ताह में ट्रेनिंग को समाप्त करते हुए, मैंने केस स्टडीज़ के साथ हाइपोथिसिस टेस्टिंग के बारे में सीखा और प्रिडिक्टिव मॉडलिंग का ज्ञान प्राप्त किया। मैंने रिग्रेशन मॉडल्स के बारे में भी पढ़ा, जिसपर मेरा फाइनल प्रोजेक्ट आधारित था, MS-एक्सेल का उपयोग करके 3 वेरिएबल रिग्रेशन मॉडल बनाना।

इस प्रोजेक्ट पर काम करते हुए मुझे बहुत मज़ा आया। विभिन्न मोडयूल्स को फिर से पढ़कर हर चीज़ को दोबारा समझने के प्रावधान के चलते प्रोजेक्ट पूरा करना आसान रहा।

साप्ताहिक क्विज़, केस स्टडीज़, सपोर्ट फोरम और लाइव चैट सुविधा की सहायता से मैंने ट्रेनिंग को आसानी से पूरा किया। मैं अपनी ट्रेनिंग मेंटर्स को ‘एवेंजर्स ऑफ एनालिटिक्स’ की उपाधि दूंगा तथा सभी को इंटर्नशाला ट्रेनिंग लेने की सलाह दूंगा।

इस ट्रेनिंग की विशेषता यह रही कि एक्सेंचर में अपने इंटरव्यू के दौरान मुझे बढ़त हासिल हुई। यह एक ग्रुप इंटरव्यू था तथा मुझे नौकरी पाने के लिए खुद को अपने साथियों से बेहतर प्रमाणित करना ज़रूरी था।

साक्षात्कारकर्ता ने मुझसे पूछा कि मैं इलेक्ट्रॉनिक्स ग्रैजुएट होने के बावजूद IT में काम क्यों करना चाहता हूं? मैंने उन्हें बताया कि IT ने मुझे आकर्षित किया तथा मैंने एक एनालिटिक्स प्रोजेक्ट भी बनाया था, जो कि एक कोर कंप्यूटर साइंस प्रोजेक्ट था।

उन्होंने मुझे प्रोजेक्ट समझाने के लिए कहा। मैंने उन्हें केस स्टडीज़, पिवट टेबल के उपयोग और फॉर्मूले सहित अपने 3 वेरिएबल रिग्रेशन मॉडल के बारे में विस्तार से बताया। सब्जेक्ट से जुड़ी मेरी समझ को देखकर साक्षात्कारकर्ता संतुष्ट हुए तथा उन्होंने मुझे नौकरी का प्रस्ताव दिया। इंटर्नशाला की सहायता से मेरे लिए पढ़ना तथा नई चीज़ें सीखना संभव हो सका, जिसके लिए मैं उनका आभारी हूं।

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लेखक के बारे में: अभिषेक भट्टाचार्य महाराजा सूरजमल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक कर रहे हैं। वह हमारे साथ अपना एक्सपीरियंस साझा करके बताते हैं कि किस तरह उन्होंने एक ऑनलाइन ट्रेनिंग के माध्यम से डेटा एनालिटिक्स सीखा तथा ट्रेनिंग के दौरान बनाए हुए प्रोजेक्ट से एक्सेंचर के इंटरव्यू में सफलता प्राप्त की। यह लेख पहले इंटर्नशाला पर प्रकाशित हुआ है। इंटर्नशाला एक ट्रेनिंग और इंटर्नशिप प्लैटफॉर्म है।

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