आज भारतीय नौसेना दिवस है। आज ही के दिन साल 1971 को भारत-पाक युद्ध में नौसेना ने पाकिस्तान के कराची बंदरगाह को बर्बाद कर दिया था। जिससे लगी आग सात दिनों तक जलती रही थी। भारत-पाक युद्ध की सफलता की याद में यह दिवस मनाया जाता है। इस जंग को ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के नाम से जाना जाता है।
ट्राइडेंट का मतलब होता है ‘त्रिशूल’। त्रिशूल को मान्यताओं के अनुसार शिव का संहारक हथियार माना जाता है। इस पूरे ऑपरेशन की ज़िम्मेदारी कमांडर बबरू भान यादव को दी गई थी।
4 दिसंबर, 1971 को नौसेना ने कराची स्थित पाकिस्तान नौसेना हेडक्वार्टर पर पहला हमला किया था और कई जहाज़ों को नेस्तनाबूद कर दिया था। इस दौरान पाक के ऑयल टैंकर भी तबाह हो गए।
इस साल नौसेना दिवस का अलग रंग
यूं तो हर साल इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है और देश का हर एक शख्स देशभक्ति से ओतप्रोत रहता है लेकिन इस साल यह खुशी दोगुनी हो गई है। उसकी वजह है नौसेना की पहली महिला पायलट सब लेफ्टिनेंट शिवांगी ।
इस सोमवार शिवांगी अपनी ट्रेनिंग पूरी कर भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली पहली महिला पायलट बन गई हैं। एक तरफ जहां अखबार और टीवी महिलाओं पर होने वाली हिंसा की बात कर रहे हैं, वहीं शिवांगी के पायलट बनने की खबर थोड़ा सूकून देने वाली है।
बिहार के मुज़फ्फरपुर की रहने वाली हैं शिवांगी
शिवांगी बिहार के मुज़फ्फरपुर की रहने वाली हैं और वहीं से उनकी पढ़ाई-लिखाई हुई है। आज नौसेना में वे बतौर पायलट डॉर्नियर सर्विलांस एयरक्राफ्ट उड़ाएंगी। रक्षा प्रवक्ता ने कोच्चि में बताया कि शिवांगी भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बन गयी हैं।
शिवांगी ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि वे बहुत खुश हैं और आगे होने वाली ट्रेनिंग के लिए बहुत उत्साहित हैं। ऐसा नहीं है कि नेवी में कोई महिला नहीं रहीं हैं। नेवी में महिलाओं का हमेशा बोलबाला रहा है लेकिन यह पहली बार है कि नेवी को एक महिला पायलट मिली है।
इससे पहले नौसेना की महिलाओं ने की समुद्र की परिक्रमा
ऐसी धारणाएं रही हैं कि रक्षा के क्षेत्र में महिलाओं का योगदान कम होता है लेकिन शिवांगी जैसी लड़कियां यह साबित कर देती हैं कि यह धारणाएं गलत हैं। सन 2017 में भी भारतीय नौसेना की 6 महिला अधिकारियों ने अपनी छोटी सी नाव से पूरी दुनिया की 8 महीनों तक सागर परिक्रमा की। इस अभियान का नाम था तारिणी
यह पहला मौका था जब नौसेना की महिला अधिकारियों ने समुद्र के रास्ते विश्व परिक्रमा पूरी करने का साहसिक कारनामा किया।
- इस दल ने पांच देशों, चार महाद्वीपों और तीन महासागरों को पार करते हुए कुल 21 हजार 600 समुद्री मील का सफर तय किया था
- नौसेना की इन बहादुर अधिकारियों ने 41 दिन प्रशांत सागर में बेहद कठिन मौसम में गुजारे।
- उन्होंने 60 समुद्री मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवा तथा 7 मीटर ऊंची लहरों को मात देते हुए लंबी दूरी तय की थी।
जैसा कि मैंने पहले कहा कि जहां हर तरफ खबरों में और बातों में महिला सुरक्षा का मुद्दा गहराया हुआ है वहीं हमारे रक्षा क्षेत्र में महिलाओं की जांबाज़ी थोड़ा बहुत हौसला दे देती है, लेकिन फिर भी केवल चंद महिलाओं के नाम पर हम देश की बाकी महिलाएं जो हाशिए पर अपना जीवन जी रहीं हैं उन्हें नहीं आंक सकते।