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2019 में YKA पर मेरे 5 आर्टिकल्स जिन्हें आप सभी ने सबसे ज़्यादा पढ़ा

राज धीरज शर्मा

राज धीरज शर्मा

नया वर्ष दरवाज़े पर दस्तक देने को तैयार है और हमेशा की तरह समय है पीछे मुड़कर देखने और समझने का कि आखिर किस तरह पुराना साल बीत गया। किन-किन यादों को दे गया और किन विषयों ने पूरे साल अपनी एक अलग पहचान बनाई?

आप पढ़ते हैं तो हमें हौसला मिलता है। इसलिए वक्त Youth Ki Awaaz के सभी रीडर्स को आभार प्रकट करने का भी है, जहां YKA के पाठकों ने अपने विषय चुने और उन विषयों को पढ़कर समझा कि दुनिया केवल प्राइम टाइम्स के ज़रिये परोसे जाने वाले न्यूज़ तक ही सीमित नहीं है। साथ में यह भी बता दिया कि यूथ अपने मुद्दे खुद चुनकर उन पर विमर्श भी कर सकता है।

एक तरफ अभिनंदन वर्तमान के जज़्बे को जहां पूरे भारत ने सलाम किया, तो वहीं दूसरी ओर 2019 में मोदी सरकार ने बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करके राजनीति में नया अध्याय जोड़ दिया। इन सबके बीच झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे बता गए कि सत्ता पर कोई भी हमेशा के लिए नहीं होता है।

तबरेज़ अंसारी की हत्या से लेकर नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन और भारत के वर्ल्ड कप जीतने के अरमान पर न्यूज़ीलैंड के पानी फेरने तक काफी कुछ हुआ। आइए एक नज़र डालते हैं YKA पर मेरे द्वारा लिखे गए पांच पोस्ट्स पर जिन्हें 2019 में आपने सबसे ज़्यादा पढ़ा।

विंग कमांडर अभिनंदन की वतन वापसी

अभिनंदन वर्तमान। फोटो साभार- सोशल मीडिया

भारत और पाकिस्तान के रिश्तों के लिए यह वर्ष अच्छा नहीं रहा लेकिन पाकिस्तान के मंसूबों पर भारत ने कड़ा प्रहार किया। जब भारत के एक जवान अभिनंदन पाकिस्तान की धरती पर जाकर गिरे तो पूरे देश की सांसें थम सी गईं। जिस तरह जांबाज़ जवान ने अपने साहस और हिम्मत का परिचय दिया, उसे पूरे देश ने सलाम किया।

अभिनंदन वर्तमान जब तक पाकिस्तान की गिरफ्त में थे, पूरे देश में एक तरह की चिंता दिखाई पड़ रही थी। लोगों को लग रहा था कि कब हमारा अभिनंदन भारत की धरती पर कदम रखेगा। अभिनंदन की जैसे ही वतन वापसी हुई, हर तरफ खुशी की लहर दिखाई पड़ी।

तबरेज़ अंसारी की घटना ने हिलाकर रख दिया

मॉब लिंचिंग। फोटो साभार- सोशल मीडिया

क्या देश में जय श्री राम बोलने पर मजबूर किया जा सकता है? इस सवाल पर देश में इस साल कई बहसें हुईं लेकिन देश को तबरेज़ अंसारी की घटना ने हिलाकर रख दिया। यह बेहद शर्मनाक है कि पीट पीटकर किसी की हत्या कैसे कोई कर सकता है? क्या इंसानियत की पूजा करने वाले देश में इंसान इतना बेरहम हो सकता है?

यह बेहद दुखद है कि देश में मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर ज़्यादातर खामोशी ही रहती है। कई लोग ऐसे भी मिलते हैं, जो धर्म के नाम पर होने वाली हत्याओं को अपने हिसाब से जस्टिफाई करने लगते हैं। हमें वक्त रहते ऐसी मानसिकता को बदलने की ज़रूरत है।

धर्म के नाम पर जीव हत्या क्यों?

धर्म के नाम पर जीव हत्या। फोटो साभार- सोशल मीडिया

हर बार बकरीद पर सोशल मीडिया पर बहस गरम हो जाती है कि आखिर किसी बेजुबान की हत्या करना क्या जायज़ है? लेकिन हम सभी दूसरे धर्म में भी हो रही ऐसी हत्यायों पर खामोश हो जाते हैं।

आखिर बलि के नाम पर किसी बेज़ुबान की हत्या करना और उनको खाना क्या धर्म है? क्या हम हत्या को धर्म के साथ जोड़कर अपने कर्मों को जायज़ ठहराने में लगे हैं?

सेक्स एजुकेशन पर RSS का बयान

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार-Flickr

क्या भारत के स्कूलों में यौन शिक्षा की पढ़ाई होनी चाहिए या नहीं? इस पर लंबे वक्त से बहस हो रही है लेकिन इस वर्ष RSS इस बहस पर यह कहकर कूद गई कि भारत में इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। क्या इसको सही माना जाए या वक्त के साथ सोच को बदलने की आदत डालने की ज़रूरत है?

एक तरफ यौन शिक्षा को लेकर लंबे वक्त से आवाज़ें उठ रही हैं कि इस पर चर्चा का एक स्पेस तैयार करना है, वहीं दूसरी ओर RSS का यह बयान बेहद शर्मनाक है। RSS  को इस पर मंथन करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण पर चिंता का विषय बना साल 2019

फोटो साभार- Getty Images

पर्यावरण की दृष्टि से भी इस वर्ष काफी चर्चा हुई। दुनिया भर के देशों ने इस विषय पर अपनी चिंता जाहिर की लेकिन क्या हम अपने-अपने घर में रहकर पर्यावरण के लिए कुछ कर सकते हैं? क्या वक्त आ गया है जब हम पानी की एक-एक बूंद की कीमत समझें? शायद भविष्य में पानी की एक बूंद की महत्व खून की बूंद के बराबर हो।

पर्यावरण के संदर्भ में भले ही इतनी बातें हो रही हैं मगर व्यक्तिगत तौर पर हम पर्यावरण को लेकर कितने सजग हैं, इस पर मंथन करना ज़रूरी है। भीड़ में खड़े होकर अपनी आवाज़ बुलंद करना आसान है मगर जब बात खुद की आती है, तो सभी आदर्शवादी चीज़ें गायब हो जाती हैं।

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