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“प्रकाश जावेड़कर क्या आप प्रदूषण से हो रही मौतों के आंकड़ों को भी नकारेंगे?”

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मॉनिटरिंग के आंकड़ों के मुताबिक, बीते 6 दिनों में दिल्ली (अशोक विहार) का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 149 बढ़ा है और आज वायु की गुणवत्ता दोबारा खतरनाक (वायु प्रदूषण का उच्चतम स्तर) स्थिति में पहुंच गई है।

वहीं, उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का एक्यूआई 6 दिन में 118 प्वाइंट बढ़कर शुक्रवार को 385 जबकि बिहार की राजधानी पटना का एक्यूआई 408 पहुंच चुका है। अगर दुनिया के अन्य देशों की राजधानी की बात की जाए तो उनका एक्यूआई 50 से भी कम है। एयर मैटर्स ऐप के डेटा के मुताबिक,

भारत के गंगा तटीय इलाकों की बात की जाए तो अधिकतर जगह वायु प्रदूषण गंभीर से खतरनाक स्थिति में बना हुआ है। अब अगर वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 हो जाता है, तो हम लोग कहने लगते हैं कि आज हवा साफ है। हालांकि, इस संबंध में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजे़शन (डब्ल्यूएचओ) कहता है कि अगर एक्यूआई 100 से ऊपर पहुंचता है, तो वह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो जाता है।

प्रकाश जावड़ेकर का प्रदूषण पर बयान

कई बार यह लगता है कि अब हम मानकर बैठ गए हैं कि एक्यूआई 200 नॉर्मल है। इसी मानसिकता का फायदा हमारे नुमाइंदे उठा रहे हैं, तभी तो केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा,

भारतीय अध्ययनों में ऐसी कोई भी बात सामने नहीं आई है, जिससे यह पता चलता हो कि प्रदूषण से लोगों की उम्र कम होती है।

उन्होंने आगे यह भी कहा,

इस तरह की रिपोर्ट लोगों को डरा रही है।

हालांकि, खुद प्रकाश जावड़ेकर ने 2015 में राज्यसभा में कहा था,

एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में बताया गया है कि प्रदूषित हवा के कारण दिल्ली में हर दिन तकरीबन 80 लोग मर रहे हैं।

इस मसले पर आंकड़ें और शोध कुछ और ही कहते हैं। दिल्ली की हवा साफ करनी है, तो सबसे पहले हरियाणा, पंजाब, बिहार और उत्तर प्रदेश की हवा साफ करनी होगी। इन राज्यों से सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और यहां तक कि चेन्नई की हवा भी दूषित हो रही है।

शिकागो विश्वविद्यालय की संस्था ‘एपिक’ (एनर्जी पॉलिसी इंस्टिट्यूट ऐट द यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो) द्वारा किए गए शोध में बताया गया है कि

द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी 2017 के मुताबिक,

इस स्टडी की सबसे ज़्यादा गौर करने वाली बात है कि इसे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फॉउंडेशन और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने फंड किया था। क्या पर्यावरण मंत्री स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट को नकारेंगे?

एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स के मुताबिक,

पिछले साल अक्टूबर में डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जर्नल ने द गार्डियन अखबार को बताया था कि वायु प्रदूषण एक नया तंबाकू है और यह बात तो सरकार भी कहती है कि तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।

स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 के मुताबिक,

केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री ने 6 दिसंबर को लोकसभा में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) की बात की। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से 102 शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या का समाधान होगा। हालांकि, आंकड़ों में जाए तो यह प्रोग्राम इसी साल जनवरी में लॉन्च हुआ था और अब इसे लॉन्च हुए तकरीबन एक साल होने को हैं। सरकार ने यह कार्यक्रम लॉन्च किया लेकिन काफी लोगों को इसके बारे में पता नहीं है, क्योंकि सरकार और यहां तक कि मीडिया की कोई खास दिलचस्पी नहीं है इस प्रोग्राम के बारे में बताने की।

सरकार ने पर्टिकुलेट मैटर की मात्रा 20-30% तक कम करने की बात कही है लेकिन यह काफी बड़ी चुनौती है, क्योंकि देश में प्रदूषण बढ़ने की रफ्तार जितनी तेज़ है, उतनी तेज़ी से इसकी रोकथाम के लिए नीतियां और उनका कर्यान्वयन नहीं हो पा रहा है। आज भी शहरों में हज़ारों की संख्या में ऐसे डीज़ल-पेट्रोल वाहन दौड़ रहे हैं, जिनकी अवधि खत्म हो चुकी है।

This post has been written by a YKA Climate Correspondent as part of #WhyOnEarth. Join the conversation by adding a post here.
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