जामिया मिलिया इस्लामिया सिर्फ एक विश्वविद्यालय नहीं है। इसके इतिहास को खंगालेंगे तो पाएंगे कि इस विश्वविद्यालय के पीछे हमारे उन पुरखों के सपने हैं, जिन्हें हमने हमेशा सम्मान दिया। इनमें भारत कोकिला सरोजिनी नायडू भी शामिल थीं, जिन्होंने कहा था कि उन्होंने तमाम कुर्बानियां देकर और तिनका-तिनका जोड़कर इस विश्वविद्यालय का निर्माण किया।
वहीं इस सपने को बचाए रखने के लिए महात्मा गाँधी जिन्हें हम “बापू” कहते हैं, ने भी कहा था कि वे जामिया को बचाने के लिए कटोरा लेकर भीख मांगने को भी तैयार हैं।
ऐसे तमाम सपनों और संकल्पों के बीच इस विश्वविद्यालय ने एक लंबा सफर तय किया है और इस लंबे सफर में कई युवाओं के सपनों ने भी उड़ान ली है। अगर युवाओं की बात करें तो सबसे मुश्किल रहा है लड़कियों का घर से निकलना और जामिया जैसे विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर पाना।
कितनी लड़कियों ने अपने घरों से एक लंबी जंग को जीतकर अपने लिए विश्वविद्यालय में जगह बनाई थी लेकिन आज यही लड़कियां वापस उसी जंग की शुरुआत में धकेल दी गई हैं।
सिटीज़नशिप कानून के विरोध में जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिंसा का एक खामियाज़ा इन तस्वीरों में झलकता है।
1. हॉस्टल से घर वापस जाती हुईं छात्राएं
2. गेटे के उस पार का सपना आज जंग का मैदान
3. सिर्फ अपनी जंग नहीं, साथियों की ढाल बनकर खड़ी रहीं
4. पुलिस द्वारा जामिया कैंपस में की गई हिंसा से घायल छात्रा
5. घर वापसी हमेशा सुखद नहीं होती
6. अब मुझे इस पूरे देश में सुरक्षित महसूस नहीं हो रहा है
7. आवाज़ें बुलंद रहेंगी