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मुझे विकास और ये बड़ी इमारतें नहीं, पर्यावरण चाहिए- रिद्धिमा पांडे

यदि इसी तरह पेड़ काटे जाएंगे, तो हम बच्चों के भविष्य का क्या होगा?

यह सवाल है 11 वर्षीय पर्यावरण एक्टिविस्ट रिद्धिमा पांडे का। क्लाइमेट चेंज की ओर लोगों को जागरूक करने के साथ ही सरकार से भी इस दिशा में सवाल करने वाली 11 वर्षीय रिद्धिमा पांडे इस शनिवार Youth Ki Awaaz Summit में मौजूद थीं।

हरिद्वार की रहने वाली रिद्धिमा पांडे उन 16 बच्चों में से एक हैं, जिन्होंने क्लाइमेट चेंज के कारण पर्यावरण को हो रहे नुकसान को लेकर संयुक्त राष्ट्र में शिकायत दर्ज कराई है। ग्रेटा थनबर्ग के नेतृत्व में रिद्धिमा ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर’ अभियान से भी जुड़ी हुई हैं।

रिद्धिमा पांडे

रिद्धिमा ने पेड़ों की लगातार कटाई और सरकार द्वारा इन पेड़ों की कटाई के समर्थन को गंभीर स्थिति बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह दिन-प्रतिदिन-दिन अनगिनत पेड़ काटे जा रहे हैं, वह बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है। पिछले 4 वर्षों में भारत में 94,000 से ज़्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं, जो निंदनीय है।

सरकार के प्रति रोष प्रकट करते हुए उन्होंने कहा,

हमें नहीं चाहिए ऐसा विकास, जिससे हमारा पर्यावरण नष्ट हो। मैं ये बड़ी इमारतें नहीं चाहती, मुझे अमेरिका और चीन से मुकाबला नहीं चाहिए, मुझे पर्यावरण चाहिए।

मुझे सरकार पर भरोसा नहीं

रिद्धिमा पांडे

रिद्धिमा ने कहा कि प्रतिदिन घने जंगलों का कम होना चिंता का विषय है, “Please Save Our Future” (हमारे भविष्य को बचाओ)। मुझे सरकारों पर भरोसा नहीं है, क्योंकि ये आती हैं और चली जाती हैं, कोई भी पर्यावरण के लिए कदम उठाने को तैयार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने कई बार प्रधानमंत्री को इस संबंध में पत्र भी लिखा लेकिन कभी कोई जवाब नहीं आया।

वर्तमान में एयर प्यूरीफायर के बढ़ते कल्चर पर रिद्धिमा ने कहा कि हमें आखिर एयर प्यूरीफायर की ज़रूरत क्यों पड़ रही है, क्योंकि हम शुद्ध हवा व वातावरण खोते जा रहे हैं। एयर प्यूरिफायर समाधान नहीं है।

कार्बन उत्सर्जन पर भारत की स्थिति पर बात करते हुए उन्होंने कहा,

भारत में कार्बन उत्सर्जन की स्थिति को हम नज़अंदाज़ नहीं कर सकते हैं।

अपने भविष्य के लिए हमें खुद आगे आने की ज़रूरत

रिद्धिमा पांडे

हमारी सरकार साइंटिफिक मैनर में काम नहीं कर रही है, जिसके घातक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। हम सभी को अपने हक की लड़ाई लड़नी होगी। हमें अपने भविष्य के लिए आज ही आगे आना होगा, क्योंकि हमारे भविष्य में हम होंगे ना कि वे राजनेता जो आज राजनीति कर रहे हैं। प्रकृति ही हमें कल भविष्य में मदद करेगी ना कि ये विकास जो हमारे देश को खोखला कर रहे हैं।

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