मॉं का बचपन पूरी तरह एक मुसलमान परिवार में बीता है। नाना के जिगरी दोस्त हारून नाना थे। मॉं की जिगरी दोस्त बन्नू मौसी हैं, हारून नाना की बेटी। हमें कभी इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि नाना और हारून नाना के परिवार अलग-अलग मज़हब के हैं।
मॉं बताती हैं कि जब वह प्रेग्नेंट थीं, तो उन्हें हर दिन मछली खाने का मन होता था। हारून नाना हर दिन नवादा जाकर खुद मॉं के लिए मछली लेकर आते थे। एक दिन किसी मुद्दे को लेकर राजनीतिक बंद था, तो हारून नाना बस की जगह ठेले से नवादा गए थे। जब वह हज पर गए तो सबसे ज़्यादा तोहफे मां के लिए लेकर आए। ऐसे ना जाने कितने किस्से हैं।
बन्नू मौसी और मॉं को तो सब कॉलेज में बहन समझते रहें, बाद में पता चला दोनों अलग-अलग परिवारों से हैं। मॉं कहती हैं,
बन्नू और मेरा जन्म तो आस-पास ही हुआ। ना उसके पास पूरे कागज़ात हैं, ना मेरे पास, तो नागरिकता तो दोनों की जाएगी ना!
बन्नु मौसी और मॉं रोज़ फोन पर मोदी सरकार को हवा में उड़ाती हैं। कहती हैं हम तो साथ में अमरूद तोड़ा करते थे, पूरा बचपन, जवानी साथ बिताई अब इसके कागज़ात मोदी जी को कहां से दें?
बन्नू मौसी मज़ाक में कह रही थीं,
माठ साहेब ठीक कहते थे, कागज़ संभालकर रखना स्कूल के, हम बेवकूफ उसपर भूंजा खा गए।
तो शाह जी और मोदी जी ये देश हारून और जगदीश, उर्वशी और बन्नू की जिगरी दोस्ती वाला है। आप कितने परिवारों को बांटोगे, कितनों की नागरिकता छिनोगे? हम लड़ेंगे उर्वशी और बन्नू की दोस्ती की खातिर। इनकी तस्वीर में कपड़ों से ज़रा पहचानिए कौन हिंदू है कौन मुसलमान।