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पटना में सामूहिक बलात्कार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज

जानी-मानी लेखिका सिमोन-द-बोउआर का प्रसिद्ध कथन है, “स्त्री पैदा नहीं होती बना दी जाती है।” इस तरह की पंक्तियों से हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। महिला हिंसा और बलात्कार जैसी घटनाएं हमारे समाज में स्त्री की स्थिति की सच्चाई दिखाती है।

ऐसी ही मानवता को शर्मसार करने वाली घटना पटना में हुई है। एक लड़की का उसके बॉयफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के दोस्तों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया गया।

बलात्कार की घटना के खिलाफ स्टूडेंट्स का प्रदर्शन।

सर्वाइवर लड़की पटना विश्वविद्यालय के बिहार नैशनल कॉलेज (बीएन कॉलेज) की बीए (BA) की छात्रा है। कॉलेज में ही उसकी दोस्ती एक सीनियर छात्र से होती है। बीते सोमवार यानी 12 दिसंबर को वह लकड़ा उसको किसी बहाने से पाटलिपुत्र थाना अंतर्गत अल्पना मार्केट के समीप अपने दोस्त के कमरे पर बुलाता है, जहां पहले से दो दोस्त और मौजूद थे।

सर्वाइवर ने जब ज़बर्दस्ती करने पर मना किया, तो उन लोगों ने उसे जान से मारने की धमकी दी और उसका सामूहिक बलात्कार किया। वह किसी तरह वहां से निकलकर महिला थाना पहुंची और एफआईआर (केस नम्बर- 147/19) दर्ज कराया।

बलात्कार के खिलाफ स्टूडेंट्स का प्रदर्शन

गुरुवार को मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि होने के बाद मीडिया के ज़रिए मामला प्रकाश में आया। घटना की जानकारी मिलते ही शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में पटना विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने अशोक राजपथ से मार्च निकालते हुए कारगिल चौक को बारिश के बावजूद पांच घंटे तक जाम रखा।

पुलिस ने प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज चार्ज किया और वॉटर कैनन से पानी बरसाए, जिसमें कई छात्र-छात्राओं को गंभीर चोटें आई हैं और उनका इलाज पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में किया जा रहा है।

पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे पांच छात्रों को गिरफ्तार करके कोतावली थाना ले गई और देर रात को निजी ज़मानत पर छोड़ा लेकिन इस तरह की प्रशासनिक कार्रवाई से स्टूडेंट्स के हौसले नहीं टूटे। तमाम स्टूडेंट्स ने आज शनिवार को पुनः कारगिल चौक को जाम कर दिया।

बलात्कार की घटना के खिलाफ स्टूडेंट्स का प्रदर्शन

मुख्यमंत्री ने आरोपियों को जल्द सज़ा दिलाने का किया वादा

पुलिस ने पुनः छात्रों पर लाठी चार्ज किया लेकिन फिर भी स्टूडेंट्स डटे रहें। अंत में ज़िला प्रशासन मजबूर होकर स्टूडेंट्स के पांच सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए भेजा। प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष सर्वाइवर को जल्द-से-जल्द न्याय दिलाने और दोषियों को स्पीडी ट्रायल के तहत कठोर से कठोर सज़ा की मांग को रखा।

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। पुलिस ने आरोपियों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है और दो लोगों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। दो अन्य की तलाश जारी है।

देशभर में महिला दुष्कर्म की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं।

हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक के बलात्कार के बाद जलाकर मारने की घटना के दो दिन भी नहीं हुए थे कि बिहार के बक्सर में एक लड़की को बलात्कार के बाद जला दिया गया। रोज़ाना हमारे अखबार की हेडलाइन बलात्कार की घटना से भरे रहती हैं। कभी सासाराम तो कभी भागलपुर, कभी अररिया तो कभी औरंगाबाद की बेटियों के साथ यौन हिंसा और बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। कभी आशाराम, तो कभी चिन्मयानंद, कभी कुलदीप तो कभी कोई और लड़कियों के साथ यौन शोषण कर रहा है।

बलात्कार की घटना के खिलाफ स्टूडेंट्स का प्रदर्शन

यह बताता है कि सभ्य समाज के रूप में हम कितने विकृत हो चुके हैं। दरअसल, हमें सभ्य समाज कहलाने का कोई हक नहीं है, जहां हमारी बेटियां सुरिक्षत नहीं है। घर हो या बाहर, रिश्तेदार अथवा कोई सड़क चलता आदमी, शिक्षक हो या बस ड्राइवर, दोस्त हो या बॉयफ्रेंड किसके अंदर बलात्कारी छुपा हुआ है कहना कठिन है। कौन अपने मन में विकृत कुंठा को पाले हुए है, पता लगाना मुश्किल है।

आज फिर ऐसा समय आ गया है, जब बलात्कार के खिलाफ अपने प्रतिरोध की संस्कृति को और तेज़ करने की ज़रूरत है।

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