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“जेट ऐयरवेज़ के बंद होने पर मेरे दोस्तों की आत्महत्या ने मुझे लिखने पर मजबूर किया है”

जेट एयरवेज़ में मेरा सफर 2008 में शुरू हुआ था। सन 2006 में मैंने अपनी इंजीनियरिंग कंप्लीट की थी और दो साल धक्के खाने के बाद जब जेट एयरवेज़ में मेरी जॉब लगी तो मेरी दुनिया ही बदल गई थी।

इंजीनियरिंग करने के बाद मैंने कई जगह बिना पैसों के यानी कि अनपेड काम किया। सही शब्दों में कहा जाए तो मैं बेरोज़गार था लेकिन जब मेरी जॉब लगी तो सब लोग मुझे अचानक से रेस्पेक्ट देने लग गए। मेरे रिश्तेदार अपने बच्चों को मेरा एक्ज़ाम्पल देने लगे। नो डाउट ऐसा होना लाज़मी भी था, क्योंकि जेट एयरवेज़ एवियेशन की फील्ड में एक सेक्योर और बड़ा नाम था।

शुरुआत से ही सुनता था कि हालत खराब है

जबसे मैंने जेट एयरवेज़ में अपने करियर की शुरुआत की थी, तबसे मैं हर साल एक ही बात सुनता था कि कंपनी की हालत खराब है इसलिए सैलरी इंक्रीमेंट नहीं कर सकते। हमें लगने लगा था कि कंपनी टैक्स और पैसे बचाने के लिए ये बहाने बना रही है।

हमने सोच लिया था कि कंपनी बहाने मार रही है इसलिए हमें अपनी मांगों पर डटे रहना है और कमाल की बात ये थी कि पूरी ना सही लेकिन फिर भी जेट एयरवेज़ ने हमारी 80-90% डिमांड को माना था। तब तक हममें से किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन जेट एयरवेज़ बंद हो जाएगी।

“कंपनी की हालत खराब है” यह लाइन सुनने के हम इतने आदि हो चुके थे कि हमें यह नॉर्मल लगने लग गया था। फिर आया 2018 जब इंजीनियर्स की सैलरा हाफ रेशियो में मिलनी शुरू हो गई थी। शायद तब हमें जग जाना चाहिए था।

जेट एयरवेज़ में डर लगना बंद हो गया था

मैं जेट जेट एयरवेज़ में लंबे समय से काम करते-करते इतना कंफर्ट ज़ोन में आ गया था कि मुझे डर लगना बंद हो गया था। मेरी हालत ठीक उस कबूतर की तरह थी, जो बिल्ली को पास आता देख अपनी आंखें बंद कर लेता है। मेरी तरह ही मेरे बाकी साथियों ने अपनी आंखें बंद कर ली थी।

सैलरी का इंस्टालमेंट में आने का सिलसिला करीब 9 महीनों तक चला लेकिन फिर भी हमें दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि हम जानते थे कि मार्केट में सबसे अच्छी सैलरी जेट एयरवेज़ ही देता है। हम सबको पता था कि जेट एयरवेज़ के अलावा कोई और एयरलाइन हमें इतना पैकेज नहीं देगीष शायद यही वजह है कि अंत तक जेट एयरवेज़ के एम्पलॉई इसके साथ डटे रहे। शायद 1% लोग भी नहीं थे जिन्होंने क्विट किया होगा।

वैसे ये सब पहली बार नहीं था। खुद मेरे सामने किंगफिशर एयरलाइन का पूरा केस था लेकिन हम लोग बड़े अजीब होते हैं, जब तक कोई बात हम पर नहीं आती है, तब तक ना हम कुछ सोचते हैं और ना करते हैं। इसलिए दूसरों की ठोकर देखकर जो कदम उठाते हैं, वे ही समझदार होते हैं।

जेट एयरवेज़ का वह मेल

जेट एयरवेज़ की सबसे बड़ी ताकत या Asset उसके एम्पलॉई थे, जो आधी सैलरी मिलने के बावजूद पूरे जोश और मेहनत के साथ काम करते थे। यही वजह थी कि जेट एयरवेज़ ने एविएशन में 25 साल तक अपनी पांव जमाए रखा लेकिन 25 साल पूरे होने के कुछ महीनों बाद हमें मार्च 2019 में सैलरी की जगह एक मेल आया, जिसने हम सबको सकते में डाल दिया।

मेल में लिखा था कि कंपनी अब हमें सैलरी नहीं दे सकती। यह बात हज़ारों परिवारों पर पहाड़ गिरने जैसा था। इस देश में गरीब और अमीर के बीच में एक ऐसा तबका आता है, जिसे मिडिल क्लास कहते हैं। हम यानी कि मिडिल क्लास फैमिली को ना किसी सोशल वर्कर से और ना किसी गवर्नमेंट से एड मिलती है। हम बस टैक्स भरने के काम आते हैं।

मिडिल क्लास फैमिली के लोग मेहनत करके अपना घर चलाना जानते हैं लेकिन हम ही वह तबका हैं, जिसकी अगर एक महीने की सैलरी टाईम पर ना आए, तो बच्चों के स्कूल और कॉलेज की फीस, घर का रेंट, माँ-बाप की दवाईयां और यहां तक की दो वक्त का खाना भा दांव पर लग जाता है।

मेरी चुनी सरकार ने कोई मदद नहीं की

बड़ी दुख की बात है कि हज़ार करोड़ रुपए टैक्स भरने वाले जेट एयरवेज़ के एम्पलॉईज़ और कंपनी ने जब मदद मांगी तो सरकार पीछे हट गई। मैंने कितनी बार ऑफिस के रेस्ट रूम में खाली वक्त में अपने कलीग्स को पॉलिटिक्स पर डिबेट करते हुए देखा है। खासकर मोदी का फेवर लेते हुए मेरे कितने ही साथी बेहस में उलझ जाते थे। आज उन्हीं साथियों के घर पर चूल्हा ठंडा पड़ा है।

मेरे एक फ्रेंड ने मुझे एक लेटर दिखाया था। वह लेटर उसके बच्चे की स्कूल प्रिंसिपल का था, जिसमें उन्होंने उसके बच्चे की फीस भरने की लास्ट वॉर्निंग दी थी। किसे पता था कि जेट एयरवेज़ और सरकार पर हमारा भरोसा, हमारे बच्चों से शिक्षा का अधिकार भी छीन लेगा।

मैं भी मोदी का सपोर्टर रहा हूं और आज भी उनके अच्छे कामों की प्रशंसा करता हूं, लेकिन क्या सच में सरकार के लिए जेट एयरवेज़ को बचाना नामुमकिन था या सरकार जामबूझ कर यह तमाशा देख रही थी। “मोदी है तो मुमकिन है” का नारा लगाने बुलंद करने वालों की सुनने वाला कोई नहीं है।

अभी भी जेट एयरवेज़ का केस कोर्ट में है। सरकार चाहे तो अभी भी हमारी एयरलाइन को रिवाइव कर सकती है। फिर भी अगर सरकार इस मामले में कुछ नहीं कर रही है, तो यह सोचने वाली बात है।

कई साथियों ने ले ली अपनी जान

मैं आज अगर आपको अपनी यह कहानी बता रहा हूं तो वह इसलिए क्योंकि हमारे कुछ साथियों ने अपनी जान तक दे दी। वजह साफ है, एक मिडिल क्लास फैमिली के लिए नौकरी सबसे बड़ी उम्मीद होती है। कई लोगों के लिए तो यही ज़िंदगी का सहारा होती है। ऐसे में नौकरी नहीं रही तो वे भी नहीं रहे।

हम में से कई लोगों की ज़िंदगी आज भी मौत के किनारे है लेकिन हम लोग किसी को नज़र ही नहीं आ रहे हैं। आज हमें कोई नहीं देख रहा ना सरकार ना मीडिया, तो क्या हम अपने साथियों को मरने के लिए छोड़ दें?

कुछ दिन पहले मैं मार्केट में अपने जेट एयरवेज़ के एक साथी विष्णु से मिला। विष्णु जेट एयरवेज़ में बतौर हेल्पर काम करता था। उसके पास कोई प्रॉफेश्नल डिग्री या डिप्लॉमा भी नहीं था। उसकी उम्र अब इतनी हो चुकी थी कि उसे हेल्पर की भी नौकरी नहीं मिल पा रही थी। विष्णु ने मुझे जब ये सब बताया, तो मैंने उसकी आंखों में नाउम्मीदी देखी।

विष्णु के 3 छोटे बच्चे हैं जिनमें से एक स्पेशल चाइल्ड है। आज उसकी हालत यह है कि उसके पास खाने तक के पैसे नहीं है, दवाई या हॉस्पिटल तो दूर की बात है। यह सिर्फ विष्णु की कहानी नहीं है, पूरे जेट एयरवेज़ की कहानी है।

मैं सलाम करता हूं मेरे उन साथियों को जो ऐसे वक्त में भी अपने हौसलों को टूटने नहीं दे रहे हैं। ज़िंदगी के तजुर्बे हमें बहुत कुछ सिखा देते हैं और अपने तजुर्बे से मुझे यह सीखने को मिला है कि पैसों से खरीदी जाने वाली चीज़ों को हम पूरी ज़िंदगी इंपौर्टेंस देते हैं लेकिन असली चीज़ें वे हैं, जो कभी पैसों से नहीं खरीदी जा सकती।

वे हैं हमारी सबकुछ फिर से ठीक कर दने की उम्मीद, हमारा हौंसला, हमारे सपने, अपनों का प्यार, उनका साथ, हमारा नज़रिया और विश्वास।

जेट एयरवेज़ रिवाइव हो ना हो मुझे नहीं पता लेकिन मैं सभी जेट एयरवेज़ के साथियों को और जो भी इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं उन्हें एक मेसेज देना चाहूंगा कि सबसे पहले खुद पर यकीन करो। कभी सिंगल इनकम पर डिपेंड मत रहो। मैंने किंगफिशर को बंद होते देखा फिर भी नहीं समझा लेकिन आप मेरी जैसी गलती मत करना।

कभी भी अपनी कंडीशन को वहां तक मत जाने देना जहां से चीज़ें संभालना मुश्किल हो जाए। अपना नज़रिया बदलो और अपने परिवार को देखो। आप ही उनकी ताकत हैं।

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