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“पिछले 6 सालों में देश के हालात बेहद खराब हो चुके हैं”- शर्मिष्ठा मुखर्जी

YKA सम्मिट 2019

YKA सम्मिट 2019

नागरिकता संशोधन कानून, 2019 को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, जिसके पक्ष में 125 और विरोध में 105 मत पड़े। यह बिल पास हो गया जिसे 12 दिसंबर को राष्ट्रपति द्वारा मंज़ूरी भी मिल गई।

CAB के पारित होने से उत्तर-पूर्व, पश्चिम बंगाल और नई दिल्ली सहित पूरे देश में हिंसक विरोध प्रदर्शन जारी है। CAA और NRC को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है और देश का युवा सड़कों पर आंदोलन कर रहा है।

स्टूडेंट्स के आंदोलन को दबाया जा रहा है

न्यूज़ चैनलों पर डिबेट्स के दौरान नेताओं के चीखने और चिल्लाने की आवाज़ों से इतर Youth Ki Awaaz सम्मिट 2019 के दूसरे दिन #DemocracyAdda के पैनल पर पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने CAA और NRC पर चर्चा की।

मॉडरेटर की भूमिका में थीं बीबीसी की ब्रॉडकास्ट जर्नलिस्ट सर्वप्रिया सांगवान, तो वहीं चर्चा में बतौर स्पीकर पहुंची थीं दिल्ली महिला काँग्रेस की अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी, DMK नेता मनुराज सुन्दरम, बसपा के रितेश पाण्डेय और तमिलनाडु बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष विनोज सेलवम।

YKA सम्मिट 2019 के दौरान डेमोक्रेसी अड्डा पैनल पर बातचीत।

चर्चा की शुरुआत करते हुए सर्वप्रिया ने सवाल किया कि क्या सत्ता दल युवाओं की सोच को समझ नहीं पा रही कि इतने युवा सड़कों पर आन्दोलन कर रहे हैं? जिसका जवाब देते हुए मनुराज ने बताया कि यह आन्दोलन एक खास नैरेटिव सेट करने के लिए किया जा रहा है। जबकि विनोज का मानना था कि युवाओं को भ्रमित किया गया है। जो भी लोग CAA और NRC का विरोध कर रहे हैं, वे फेक न्यूज़ के शिकार हैं। उन्हें तथ्यों की सही-सही जानकारी नहीं है।

इस पर शर्मिष्ठा का कहना था कि पिछले 6 सालों में हालात बेहद खराब हो गए हैं और जब लोग अपने हक की बात कर रहे हैं, तो उन्हें परेशान किया जा रहा है। स्टूडेंट्स के आंदोलन को पुलिसिया ताकत द्वारा दबाया जा रहा है।

उन्होंने कहा, “अब स्टूडेंट्स अपने हक की बात नहीं करेंगे तो कब करेंगे और आप इसे गलत जानकारी का शिकार मानते हैं तो यह बहुत गलत है। सवाल उठाना युवाओं का अधिकार है। भारत युवाओं का देश है और आज का युवा बेरोज़गारी की मार झेल रहा है जिस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जहां तक CAA की बात है, तो यह पूरी तरह असंवैधानिक और एजेंडा ड्रिवेन है।”

CAA और NRC से जुड़े कुछ अहम सवाल जैसे- इस पर  कितना पैसा खर्च होगा? जिन्हें नागरिकता दी जाएगी उनके लिए क्या-क्या व्यवस्था की जाएगी और इसकी अभी इतनी ज़रूरत क्या है? इस पर विनोज ने कहा, “सभी देशों का अपना नैशनल सिटीज़न रजिस्टर होता है और इसमें गलत क्या है अगर हम अपने देश के नागरिकों की पहचान कर रहे हैं?

इसके जवाब में रितेश ने कहा कि CAA और NRC को लेकर बहुत डिबेट हो चुके हैं लेकिन यह हमारे संविधान की मूल भावना के विपरीत है। जब हमारे देश में संविधान लागू हुआ तो यह स्पष्ट किया गया कि यह किसी खास धर्म का देश नहीं होगा। तभी तो हम पूरे विश्व में अपने लोकतंत्र को लेकर अभिमान करते हैं।

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