फेसबुक खोलो तो लगता है कि भारत देश में कुछ ठीक नहीं चल रहा है और अगर ZEE News के सामने बैठ जाओ तो लगता है मोदी जैसा कोई प्रधानमंत्री ना किसी देश का हुआ है और ना ही कभी होगा। लेकिन अगर सच जानना हो तो कभी फोन उठा कर उन लोगों से बात करना जो संवेदनशील इलाके में रहते है।
विद्यार्थियों और लोगो पर लाठियां बरसाईं जा रही है, आंसू गैस के गोले दागे जा रहें है। सभी खून के इतने प्यासे क्यों है? किसी भी पोस्ट को देख लो एक तो वे होंगे जो अंधभक्त होंगे, उनको किसी से कुछ लेना देना नहीं, उनका मानना है कि रेडार बादलों में काम नहीं करता और दूसरी तरफ आते है वे लोग जो उन लोगो को समझाने में लगे होते हैं। यह काफी हद तक ठीक भी है लेकिन अंधे को रंगो से कोई मतलब नहीं उसके लिए तो सब काले है, सिवाए रात के।
हिंसा से ना किसी का भला हुआ था और ना ही होगा
कोई कहता है विद्यार्थियों ने बसे जलाई इसीलिए उनको ढूंढ ढूंढ कर मारा जा रहा है, शायद भारत में अब कोर्ट कचहरी का चक्कर ही खत्म। पुलिस तय करेगी कि किसने क्या किया और किसको गोली कहां मारनी है।
हैदाबाद में भी 4 मुलज़िमों का फैसला पुलिस ने उसी जगह किया जहां उन्होंने वारदात को अंजाम दिया था। इस हिसाब से लोकतंत्र खतरे में नहीं खत्म हो चुका है। माना इंसाफ मिलने में देरी नहीं बहुत देरी होती है इसका मतलब यह नहीं कि खुद ही इंसाफ किया जाए।
अगर देरी होती है तो उसके लिए आवाज़ उठाई जानी चाहिए। पुलिस विद्यार्थियों को तो तोड़ ही रही है लेकिन उनकी गाड़ियों को भी तोड़ा जाना है उनका मानना ही की उन्होंने बसों को जलाया है तो उनकी गाड़ियों को तोड़ने से बसों की मरम्मत हो जाएगी, शायद पुलिसवालों ने अर्थशास्त्र नहीं पड़ा होगा। चलो जो भी है भारत में सब कुछ ठीक है, ओह माफ़ कीजिए गलती से ZEE न्यूज़ खुल गया था।
अंत तक साथ में रहने के लिए आपका आभार।