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असली लीडर दुश्मन नहीं, दोस्त बनाना सिखाता है- बासित जमाल

बासित जमाल ने Youth Ki Awaaz सम्मिट में कहा, "हम लीडर उन्हें समझते हैं जो हमें बताते हैं कि हमारे दुश्मन कौन हैं। जबकि हमारा लीडर वह होना चाहिए जो हमें यह बताए कि दुश्मन को दोस्त बनाया कैसे जाता है।" बासित जमाल ब्रॉडकास्ट ऑफ ह्यूमैनिटी के संस्थापक हैं। बासित 'यूनेस्को के युवाओं के शांति दूत के सह लेखक भी रहे हैं। वह विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, मदरसों और मस्जिदों में इबादत करने वाले स्टूडेंट्स के साथ काम करते हैं। जमाल ने आगे कहा कि दुश्मनी बेहतर है या दोस्ती! यदि इस पर एक पोल कराया जाए तो मेरे अनुसार अधिकांश लोग यही मत देंगे कि दोस्ती बेहतर है। उन्होंने कहा, आखिर यह आवाज़ कहां से आई है कि दोस्ती बेहतर है? जानते हैं यह आपकी अंतरात्मा की आवाज़ है। जब हम पैदा होते हैं तब हम इसी सत्य निष्ठ अंतरात्मा के साथ पैदा होते हैं, नफरत को लेकर पैदा नहीं होते हैं। दोस्ती के मद्देनज़र उन्होंने आगे कहा कि आखिर हम दुनिया में आए क्यों हैं? हम दुनिया में लोगों के बीच मोहब्बत का पैगाम देने के लिए आए हैं। लोगों से दोस्ती करने के लिए आए हैं। आखिर दुनिया में इतनी नफरतें क्यों हैं? कभी सोचा है आपने? मैं बताता हूं, दरअसल हमलोग जब अपनी सोच एक धर्म विशेष के आधार पर तय करते हैं तब ही नफरत और दुश्मनी का बीज पनपता है, जो दोस्ती को खत्म कर देता है। धर्म को परिभाषित करते हुए बासित जमाल ने आगे कहा कि बुरे और अच्छे लोग हर धर्म में होते हैं। उसकी वजह से किसी धर्म के प्रति कुंठा भाव रख लेना उचित प्रतीत नहीं होता है। कुरान में भी कहा गया है कि तुम सब आदम की औलाद हो। उसी तरह हिन्दू धर्म में भी कहा गया है कि वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात सम्पूर्ण पृथ्वी पर रहने वाले सभी लोग हमारे परिवार हैं। आपसी नफरत मिटाने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि जब सब हमारे परिवार हैं और तो यह नफरत क्यों? क्यों नहीं हम मज़हबी नफरतों को मोहब्बत में बदल देते हैं? क्यों नहीं हम एक ऐसा भाव लोगों में पैदा करते जहां सिर्फ दोस्ती हो दुश्मनी की कोई जगह ना हो? यह सवाल रखते हुए बासित जमाल ने कहा लीडर कौन और कैसा होना चाहिए? जमाल के अनुसार लीडर वह है जो दो परिवारों को जोड़े, जो धर्मों के बीच मोहब्बत का पैगाम लाए, जो दो दुश्मनों के बीच दोस्ती करवाए और जो इंसानियत से जीना सिखाए।  समाज की क्या कोई ज़िम्मेदारी नहीं है? जमाल ने आगे कहा कि आखिर हम देश को किस ओर ले जा रहे हैं? क्या आपको जानकारी है कि देश में आए दिन कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं? क्या समाज में होने के नाते हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं जो हम उन किसानों की चिंता करें? हम निरंतर पर्यावरण से भी दुश्मनी कर रहे हैं, क्या यह ज़रूरी नहीं कि हम पर्यावरण से भी दोस्ती करें? आखिर हम अपनी ज़िम्मेदारियों से भागते क्यों जा रहे हैं? कभी तो हमें ठहरना होगा और इन सभी विषयों के संदर्भ में सोचना होगा। इस दुनिया में अभी भी उन लीडर के अभाव हैं, जो दुश्मन को दोस्त बनाने का पैगाम देते हों। हम ऐसे लीडर की कमी से निरंतर जूझ रहे हैं। जमाल ने कहा कि ज़रूरत है हमें सूरज बनने की। जिस तरह सूरज जब अपना प्रकाश बिखेरता है तब वह यह नहीं देखता कि कौन हिन्दू है, कौन मुस्लिम है, कौन सिख है और कौन ईसाई। फिर हम यह फर्क क्यों पाले हुए हैं? हम क्यों नहीं एक बेहतर इंसान बन सकते? दोस्ती का पैगाम लुटाने में हम इतने क्यों पिछड़ते जा रहे हैं? लीडर बनने के लिए हमें सूरज बनना ही होगा। जमाल ने चंद पंक्तियों द्वारा समाज को एक संदेश भी दिया- वह धर्म ही क्या जो इंसानो को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए। वह धर्म ही क्या, जो बिछड़ों को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए। वह धर्म ही क्या जो धार्मिक को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए। बस ऐसा ही मुल्क मुझे चाहिए!

बासित जमाल ने Youth Ki Awaaz सम्मिट में कहा, "हम लीडर उन्हें समझते हैं जो हमें बताते हैं कि हमारे दुश्मन कौन हैं। जबकि हमारा लीडर वह होना चाहिए जो हमें यह बताए कि दुश्मन को दोस्त बनाया कैसे जाता है।" बासित जमाल ब्रॉडकास्ट ऑफ ह्यूमैनिटी के संस्थापक हैं। बासित 'यूनेस्को के युवाओं के शांति दूत के सह लेखक भी रहे हैं। वह विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, मदरसों और मस्जिदों में इबादत करने वाले स्टूडेंट्स के साथ काम करते हैं। जमाल ने आगे कहा कि दुश्मनी बेहतर है या दोस्ती! यदि इस पर एक पोल कराया जाए तो मेरे अनुसार अधिकांश लोग यही मत देंगे कि दोस्ती बेहतर है। उन्होंने कहा, आखिर यह आवाज़ कहां से आई है कि दोस्ती बेहतर है? जानते हैं यह आपकी अंतरात्मा की आवाज़ है। जब हम पैदा होते हैं तब हम इसी सत्य निष्ठ अंतरात्मा के साथ पैदा होते हैं, नफरत को लेकर पैदा नहीं होते हैं। दोस्ती के मद्देनज़र उन्होंने आगे कहा कि आखिर हम दुनिया में आए क्यों हैं? हम दुनिया में लोगों के बीच मोहब्बत का पैगाम देने के लिए आए हैं। लोगों से दोस्ती करने के लिए आए हैं। आखिर दुनिया में इतनी नफरतें क्यों हैं? कभी सोचा है आपने? मैं बताता हूं, दरअसल हमलोग जब अपनी सोच एक धर्म विशेष के आधार पर तय करते हैं तब ही नफरत और दुश्मनी का बीज पनपता है, जो दोस्ती को खत्म कर देता है। धर्म को परिभाषित करते हुए बासित जमाल ने आगे कहा कि बुरे और अच्छे लोग हर धर्म में होते हैं। उसकी वजह से किसी धर्म के प्रति कुंठा भाव रख लेना उचित प्रतीत नहीं होता है। कुरान में भी कहा गया है कि तुम सब आदम की औलाद हो। उसी तरह हिन्दू धर्म में भी कहा गया है कि वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात सम्पूर्ण पृथ्वी पर रहने वाले सभी लोग हमारे परिवार हैं। आपसी नफरत मिटाने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि जब सब हमारे परिवार हैं और तो यह नफरत क्यों? क्यों नहीं हम मज़हबी नफरतों को मोहब्बत में बदल देते हैं? क्यों नहीं हम एक ऐसा भाव लोगों में पैदा करते जहां सिर्फ दोस्ती हो दुश्मनी की कोई जगह ना हो? यह सवाल रखते हुए बासित जमाल ने कहा लीडर कौन और कैसा होना चाहिए? जमाल के अनुसार लीडर वह है जो दो परिवारों को जोड़े, जो धर्मों के बीच मोहब्बत का पैगाम लाए, जो दो दुश्मनों के बीच दोस्ती करवाए और जो इंसानियत से जीना सिखाए।  समाज की क्या कोई ज़िम्मेदारी नहीं है? जमाल ने आगे कहा कि आखिर हम देश को किस ओर ले जा रहे हैं? क्या आपको जानकारी है कि देश में आए दिन कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं? क्या समाज में होने के नाते हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं जो हम उन किसानों की चिंता करें? हम निरंतर पर्यावरण से भी दुश्मनी कर रहे हैं, क्या यह ज़रूरी नहीं कि हम पर्यावरण से भी दोस्ती करें? आखिर हम अपनी ज़िम्मेदारियों से भागते क्यों जा रहे हैं? कभी तो हमें ठहरना होगा और इन सभी विषयों के संदर्भ में सोचना होगा। इस दुनिया में अभी भी उन लीडर के अभाव हैं, जो दुश्मन को दोस्त बनाने का पैगाम देते हों। हम ऐसे लीडर की कमी से निरंतर जूझ रहे हैं। जमाल ने कहा कि ज़रूरत है हमें सूरज बनने की। जिस तरह सूरज जब अपना प्रकाश बिखेरता है तब वह यह नहीं देखता कि कौन हिन्दू है, कौन मुस्लिम है, कौन सिख है और कौन ईसाई। फिर हम यह फर्क क्यों पाले हुए हैं? हम क्यों नहीं एक बेहतर इंसान बन सकते? दोस्ती का पैगाम लुटाने में हम इतने क्यों पिछड़ते जा रहे हैं? लीडर बनने के लिए हमें सूरज बनना ही होगा। जमाल ने चंद पंक्तियों द्वारा समाज को एक संदेश भी दिया- वह धर्म ही क्या जो इंसानो को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए। वह धर्म ही क्या, जो बिछड़ों को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए। वह धर्म ही क्या जो धार्मिक को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए। बस ऐसा ही मुल्क मुझे चाहिए!

“हम लीडर उन्हें समझते हैं जो हमें बताते हैं कि हमारे दुश्मन कौन हैं। जबकि हमारा लीडर वह होना चाहिए जो हमें यह बताए कि दुश्मन को दोस्त बनाया कैसे जाता है।”

उक्त बातें बासित जमाल ने Youth Ki Awaaz सम्मिट 2019 में कही। बासित जमाल “Brotherhood of Humanity” के संस्थापक हैं। वह यूनेस्को के युवाओं के शांति दूत के सह लेखक भी रहे हैं। वह विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, मदरसों और मस्जिदों में इबादत करने वाले स्टूडेंट्स के साथ काम करते हैं।

उन्होंने आगे कहा,

दुश्मनी बेहतर है या दोस्ती! यदि इस पर एक पोल कराया जाए तो मेरे अनुसार से अधिकांश लोग यही मत देंगे कि दोस्ती बेहतर है। आखिर यह आवाज़ कहां से आई है कि दोस्ती बेहतर है? यह आपकी अंतरात्मा की आवाज़ है। जब हम पैदा होते हैं तब हम इसी सत्य निष्ठ अंतरात्मा के साथ पैदा होते हैं, नफरत को लेकर पैदा नहीं होते हैं।

दोस्ती के मद्देनज़र बासित ने आगे कहा कि आखिर हम दुनिया में आए क्यों हैं? हम दुनिया में लोगों के बीच मोहब्बत का पैगाम देने के लिए आए हैं। लोगों से दोस्ती करने के लिए आए हैं। आखिर दुनिया में इतनी नफरतें क्यों हैं? कभी सोचा है आपने? मैं बताता हूं, दरअसल हमलोग जब अपनी सोच एक धर्म विशेष के आधार पर तय करते हैं तब ही नफरत और दुश्मनी का बीज पनपता है, जो दोस्ती को खत्म कर देता है।

नेता वही जो इंसानियत के ज़रिये जीना सिखाए

धर्म को परिभाषित करते हुए बासित जमाल ने आगे कहा कि बुरे और अच्छे लोग हर धर्म में होते हैं। उसकी वजह से किसी धर्म के प्रति कुंठा भाव रख लेना उचित प्रतीत नहीं होता है। कुरान में भी कहा गया है कि तुम सब आदम की औलाद हो। उसी तरह हिन्दू धर्म में भी कहा गया है कि वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात सम्पूर्ण पृथ्वी पर रहने वाले सभी लोग हमारे परिवार हैं।

आपसी नफरत मिटाने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि जब सब हमारे परिवार हैं तो यह नफरत क्यों? क्यों नहीं हम मज़हबी नफरतों को मोहब्बत में बदल देते हैं? क्यों नहीं हम एक ऐसा भाव लोगों में पैदा करते जहां सिर्फ दोस्ती हो दुश्मनी की कोई जगह ना हो?

यह सवाल रखते हुए बासित जमाल ने कहा, “लीडर कौन और कैसा होना चाहिए? जमाल के अनुसार लीडर वह है जो दो परिवारों को जोड़े, जो धर्मों के बीच मोहब्बत का पैगाम लाए, जो दो दुश्मनों के बीच दोस्ती करवाए और जो इंसानियत से जीना सिखाए।”

समाज की क्या कोई ज़िम्मेदारी नहीं है?

बासित जमाल।

जमाल ने आगे कहा कि आखिर हम देश को किस ओर ले जा रहे हैं? क्या आपको जानकारी है कि देश में आए दिन कितने किसान आत्महत्या कर रहे हैं? क्या समाज में होने के नाते हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं जो हम उन किसानों की चिंता करें? हम निरंतर पर्यावरण से भी दुश्मनी कर रहे हैं, क्या यह ज़रूरी नहीं कि हम पर्यावरण से भी दोस्ती करें?

आखिर हम अपनी ज़िम्मेदारियों से भागते क्यों जा रहे हैं? कभी तो हमें ठहरना होगा और इन सभी विषयों के संदर्भ में सोचना होगा। इस दुनिया में अभी भी उन नेताओं का अभाव हैं, जो दुश्मन को दोस्त बनाने का पैगाम देते हों। हम ऐसे लीडर की कमी से निरंतर जूझ रहे हैं।

जमाल ने कहा कि ज़रूरत है हमें सूरज बनने की। जिस तरह सूरज जब अपना प्रकाश बिखेरता है, तब वह यह नहीं देखता कि कौन हिन्दू है, कौन मुस्लिम है, कौन सिख है और कौन ईसाई फिर हम यह फर्क क्यों पाले हुए हैं? हम क्यों नहीं एक बेहतर इंसान बन सकते? दोस्ती का पैगाम लुटाने में हम इतने क्यों पिछड़ते जा रहे हैं? लीडर बनने के लिए हमें सूरज बनना ही होगा।

जमाल ने चंद पंक्तियों द्वारा समाज को एक संदेश भी दिया-

वह धर्म ही क्या

जो इंसानों को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए।

वह धर्म ही क्या,

जो बिछड़ों को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए।

वह धर्म ही क्या

जो धार्मिक को दोस्त ना बनाए, दोस्ती ना सिखाए।

बस ऐसा ही मुल्क मुझे चाहिए!

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