Site icon Youth Ki Awaaz

“क्यों असंवैधानिक है नागरिकता संशोधन विधेयक”

नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन। फोटो साभार- सोशल मीडिया

संसद में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा इस बात का आश्वासन दिया गया कि CAB अर्थात ‘नागरिकता संशोधन विधेयक’, देश के संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। यह बिल हालांकि दोनों सदनों से पास हो गया है मगर इस बिल ने उत्तर पूर्व भारत में अराजकता की स्थिति उत्पन्न कर दी है।

बहुत बड़ी मात्रा में आम नागरिकों का दावा है कि यह विधेयक असंवैधानिक है। उनके दावे के पीछे बेहद सार्थक और तार्किक कारण भी हैं। अतः मैं यहां सिर्फ यह बात ही रखूंगा कि यह बिल असंवैधानिक क्यों है?

बिल असंवैधानिक है, क्योंकि इसमें आर्टिकल-14 का खुला उल्लंघन है, जिसके अनुसार सभी नागरिकों और गैर-नागरिकों से समान व्यवहार करने की बात कही गई है। जिसके अनुसार धर्म, पंथ, नस्ल, नागरिकता और विचारधारा के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता लेकिन यग उस धारा का स्पष्ट उल्लंघन है।

इसलिए कि यह ‘केवल धर्म के आधार पर’ शर्णार्थियों को नागरिकता देने या न देने का आधार बनाता है। जो इस तरह भारत को कुछ विशेष धर्मों के व्यक्तियों के लिए उचित एवं अन्य के लिए अनुचित स्थान तय करता है।

रिजनेबल रिस्ट्रिक्शन क्या है?

असम में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते लोग। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आर्टिकल-14 का एक हिस्सा है ‘रिजनेबल रिस्ट्रिक्शन’। जो उन स्थितियों में लागू होता जब कोई विशेष वर्ग उस वर्ग से होने की वजह से कोई भेदभाव या प्रताड़ना झेल रहा हो। तब उसे समानता पर लाने हेतु विशेष प्रावधान संभव है।

मुस्लिमों को धर्म के आधार पर नागरिकता से वंचित करना इस ‘रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन’ के अंतर्गत नहीं आ सकता। क्योंकि अन्य देशों के मुस्लिमों के विभिन्न वर्ग जैसे शिया, बलोच, बोहरा, सूफी भी विभिन्न अन्य बहुसंख्यक वर्गों से प्रताड़ना झेलने पर शरणार्थी बनने को मजबूर हो सकते हैं।

केवल धर्म के आधार पर अर्थात उनकी परिस्थिति के अन्य मापदंडों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें नागरिकता से नकारना किसी ‘रीजनेबल रिस्ट्रिक्शन’ में नहीं आता। इसलिए यह बिल असंवैधानिक है और इसका विरोध करने वाले नागरिकों का मुद्दा एक जायज़ और सार्थक मुद्दा है।

Exit mobile version