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“मुझे लोग विकृत व्यक्ति कहते हैं, क्योंकि मुझे सेक्स करना पसंद है”

मैं कुछ नए सॉफ्टवेयर पाने के लिए उसके घर गया था। उसने मुझे बता दिया था कि उनके कंप्यूटर पर आवश्यक सामग्री कहां पर रखी थी। वो मेरा एक दोस्त था, जो मुझसे करीब एक दशक बड़ा था। मैंने पूरे फोल्डर को कॉपी किया और पेन ड्राइव को निकाल दिया।

मैं घर आया और सभी अन्य फोल्डर्स के बीच “नया फोल्डर” देखा। उस फोल्डर में PDF प्रारूप में कुछ पुस्तकें थीं, उनमें से एक “कामसूत्र” का वर्णन था, जो एनी हुपर द्वारा लिखी गई थी। बाद में, मुझे पता चला कि वात्स्यायन द्वारा मूल “कामसूत्र” भी उस फोल्डर में मौजूद थी।

मेरी चौदह वर्षीय हार्मोन संचालित किशोर इच्छाओं को बाहर निकलने के लिए एक द्वार मिल गया। जो मुझे पता नहीं था, वह यह था कि उस यौन ज्ञान का उपयोग करने के लिए, जिसे मैंने उस उम्र में आत्मसात करना शुरू कर दिया था, मुझे और आधे दशक का समय लगेगा।

चित्र- सयाली करकरे

वह दिन मेरे जीवन की एक नई शुरुआत का दिन था, मेरे लैंगिक अस्तित्व की शुरुआत का दिन और फिर मैंने कभी भी वापस पलटकर नहीं देखा।

हम एक शर्म करने वाली संस्कृति से घिरे हैं। आप अपने माता-पिता से पूछें कि आप कहां से आए हैं, आपको जो जवाब मिलेगा वह गलत होगा। माता-पिता और शिक्षकों द्वारा यौन शिक्षा उपलब्ध नहीं करने से जन्मी कमी मेरी सबसे बड़ी कमी नहीं थी, मेरी सबसे बड़ी समस्या थी यौन आज़ादी की कमी।

अपनी कामुकता और अपनी इच्छाओं के बारे में खुले और ईमानदार होने की स्वतंत्रता, अपने और अपने आसपास के लोगों द्वारा अपमानित या शर्मिंदा किए जाने के डर के बिना, यह है मेरे लिए यौन आज़ादी।

पहली बार मुझे कामुक (आलोचनात्मक तरीके से) तब कहा गया था, जब मैं 12 वर्ष का था। एक लड़की, जो मुझे अपनी कविताएं दिखाती थी वह मेरी करीबी दोस्त थी। मैं उसके गुदगुदे होंठों का चुंबन करना चाहता था। मुझे नहीं पता था कि बात को आगे कैसे लेकर जाया जाए, इसलिए मैंने उसे अपने इरादे यह जानने के लिए ज़ाहिर किए थे कि क्या वह भी मेरे लिए यही महसूस करती थी।

यहां बैठे हुए और इसे लिखते हुए मैं अब भी यही सोचता हूं कि काश हमने एक दूसरे को चूमा होता लेकिन लड़की ने तो कक्षा शिक्षक को सूचित करके अपनी सीट बदलवाई थी। किसी की इच्छाओं का जवाब नहीं देना पूरी तरह से आपकी अपनी पसंद है लेकिन उनके कार्यों के लिए उन्हें शर्मिंदा करना, उन्हें डरा देता है।

तब से अब तक, मैंने विकृत व्यक्ति होने के कई आरोपों का सामना किया है

चित्र- सयाली करकरे

उदाहरण के लिए, एक लड़की ने मुझसे कहा था कि मैं केवल शारीरिक चीज़ों में ही ध्यान देता हूं। अगर आनंद देना और प्राप्त करना अश्लील और गंदा है, तो ज़रूर मुझे एक रेंगने वाला कीड़ा कहकर बुलाइए। जब मेरा शरीर बढ़ रहा था, हार्मोन बह रहे थे और मैं यौन ऊर्जा से भरा हुआ था, मेरे पास इसे निकालने के लिए कोई सुरक्षित द्वार नहीं था। मुझे अपनी भावनाओं को मेरे विचारों तक सीमित करना पड़ा और उनके बारे में बात या उन पर कार्य करना रोकना पड़ा।

एक संघर्ष था, मेरे दिमाग के माध्यम से प्राप्त किए गए संदेशों और मेरा शरीर जिस तरफ जा रहा था उस दिशा के बीच। जब भी किसी फिल्म में कोई दृश्य होता, जिसमें कोई जोड़ा अपने कपड़े खोलता या चुंबन लेता, तो यह दृश्य मेरे माता-पिता तेज़ी से अग्रेषित कर देते थे।

मैं लड़कियों के साथ स्कूल में बैठना चाहता था लेकिन शिक्षकों के अंतर-सेक्स संबंध पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम थे। फिर हमारी हिंदी की एक शिक्षिका थी, जो इस राय की थी कि एक लड़की और एक लड़का कभी मित्र नहीं हो सकते। वे हो सकते हैं मित्र, आपस की अंतरंगता की सीमा बनाकर। मैं चाहता हूं कि मैं उन्हें यह बताऊं।

पुस्तकों के ज़रिए मैंने सेक्स को सही तरीके से जाना

जब मेरे चारों ओर के लड़के सेक्स और मानव शरीर के बारे में जानने के लिए पॉर्न देखने में व्यस्त थे, तब मैंने उन पुस्तकों पर अपना ध्यान केंद्रित किया। मैंने उन्हें पढ़ा और पुनः दो साल तक पढ़ा। समय के साथ, मेरे बहुत से विश्वास बिखर गए। मुझे समझ में आया कि पुरुष द्वारा प्रवेश और स्खलन के कार्य को ही केवल सेक्स नहीं कहा जा सकता, जैसा कि पॉर्न फिल्मों में प्रदर्शित होता है।

मेरे लिए, सेक्स एक तरीका है अपनी इच्छा से लोगों का एक-दूसरे के साथ मिलकर किसी निश्चित तरीके से प्रदर्शन करने के दबाव के बिना तृप्ति देने और प्राप्त करने का। मेरे यौन अनुभवों ने मुझे सिखाया है कि हर व्यक्ति की अपनी गति होती है, जिससे वे अपने शरीर को स्वीकार करता है, उसे नग्न अवस्था में प्रस्तुत करने को तैयार होता है।

मैंने जाना है कि मुझे क्या उकसाता है, जिसे अपने साथी के साथ साझा करने में मुझे सुरक्षित महसूस होता है। एक योनि, एक लिंग और संभोग का एक जैविक अर्थ जानना एक बात है और यह जानना है कि कब रुकना है, कब विश्वास बनाना है, कब सहमति लेनी है और कब आलोचनात्मक नहीं बनना है, यह सब पूरी तरह से अलग चीज़ें हैं।

अपने अनुभवों ने भी मुझे बहुत कुछ सिखाया

मैंने पहली चीज़ अपने विज्ञान के शिक्षक से सीखी और बाद की बात मुझे मेरे यौन अनुभवों के माध्यम से समझने को मिली। किताबों ने मुझे कभी नहीं बताया कि फ्लेवर्ड कंडोम केवल मौखिक सेक्स के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, योनि पैठ के लिए नहीं।

मेरे माता-पिता ने मुझे यह नहीं बताया कि जब मैं कामुक पत्रिकाएं पढ़ता था, तो वह चिपचिपा तरल पदार्थ जो मेरे अंडरवियर में निशान छोड़ जाता था, वह क्या था। मुझे नहीं पता था कि जब कोई लड़की मुझे छूती थी, तो मुझे अपने पेट में गुदगुदी क्यों महसूस होती थी। मेरे प्रश्न ही आखिरकर मुझे, मेरे उत्तरों की ओर ले गए।

मेरे आस-पास विद्यालय और कॉलेज में ऐसे लोग थे, जो पूर्व-वैवाहिक संभोग, औरतों की कौमार्यता, मौखिक सेक्स, गुदा-मैथुन, लड़कों में समलैंगिकता और अन्य विषयों जो कि सेक्स और उनके शरीर के इर्द-गिर्द थे, उन पर बहस करते थे।

उनकी दुनिया मेरी दुनिया की तुलना में बहुत अलग थी। कामुकता की मेरी यात्रा ने मुझे कई चीज़ों के बारे में बताया, जो दूसरों की सोच से बहुत अलग थी। यदि एक लड़की गर्भपात करना चाहती है, तो वह समाज के प्रति अपमानजनक नहीं है, यह उसका व्यक्तिगत निर्णय है। अगर मैं यौन रूप से वंचित हूं और नियमित रूप से हस्तमैथुन कर रहा हूं, तो ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में मुझे शर्म महसूस करनी चाहिए।

आखिरकार, मुझे यौन आज़ादी के लिए अपना रास्ता मिल गया और मैंने उन मान्यताओं और विचारों को छोड़ दिया, जो कि सेक्स और उससे जुड़े दूसरे विषयों पर मेरे व्यक्तिगत मूल्यों से मेल नहीं खाते थे। हर व्यक्ति को स्वतंत्रता है, अपने लैंगिक अस्तित्व में विकल्प चुनने का। यदि वे चाहते हैं तो और वे खुद को जैसे चाहे वैसे अभिव्यक्त करें, इसका भी पूरा अधिकार उनके पास है।

मेरे दोस्त ने मुझे अनजाने ही एक ऐसी पुस्तक दी, जिसने मेरे यौन ज्ञान को अर्जित करने में खूब योगदान दिया। मेरी शुभकामना है कि संभोग/ प्रेम करने की इस कला में वह खूब सफल रहें। मेरी इच्छा है कि हम सब प्यार करें और हमारे शरीर इस खुशी को देने और प्राप्त करने के लिए खुले रहें।

आसपास के पाखंड के बावजूद, हमारे पास एक विकल्प है, जो हमेशा हमारे साथ रहता है। कुछ भी हो, हमारा तालुक खजुराहो के मंदिरों और गीता गोविंद और संगम कविता की भूमि से और निश्चित रूप से, कामसूत्र से है। अगर हम प्यार नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?

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लेखक के बारे में- अर्पित छिकारा हर दिन कुछ उत्पादक करने के लिए जागता है लेकिन कला के एक गंदे पृष्ठ को लिखकर अपनी लिखने की मांसपेशियों को ही आकार में रख पाता है। यह एक ऐसा जीवन जी रहा है, जिसके कुछ भाग उबाऊ हैं और कुछ हिस्से दिलचस्प। वह कहानीकार है और अपने खाली समय का बेहतर इस्तेमाल करने के लिए स्वयंसेवा करता है।

चित्रण- सयाली करकरे

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