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“DU की लड़ाई गेस्ट टीचर्स, शोधार्थियों एवं बेरोज़गारों की नौकरी की हक की लड़ाई है”

आज देशभर के युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और यही चिंता दिल्ली विश्वविद्यालय में आंदोलन का रूप ले चुकी है। आज जब देशभर के संस्थानों में वर्षों से शिक्षकों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू है, वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय में खाली पदों पर बिना किसी प्रक्रिया के सीधे नियुक्ति अर्थात समायोजन की मांग वहां के शिक्षक संगठन (DUTA) द्वारा की जा रही है।

इस असंवैधानिक मांग का विरोध दिल्ली विश्वविद्यालय के ही स्थाई शिक्षक, गेस्ट शिक्षक, शोधार्थी एवं स्टूडेंट्स कर रहे हैं। गेस्ट शिक्षक एवं शोधार्थी एकता मंच द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय में अविलंब खाली पदों पर वेकेंसी निकालने एवं UGC 2018 गाइडलाइन के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करने की मांग की जा रही है।

देशभर के 100 से अधिक संस्थानों के शिक्षक एवं शोधार्थी इस संबंध में DU प्रशासन, UGC, MHRD, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को पत्र लिख चुके हैं।

समायोजन का यह विवाद हालांकि पुराना है लेकिन 28 अगस्त को एक पत्र प्रशासन द्वारा जारी करते हुए एडहॉक शिक्षकों को गेस्ट में तब्दील करने की बात की गई, जिसका विरोध हुआ और शिक्षकों ने MHRD तक मार्च निकाला। इसके परिणामस्वरूप मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 5 दिसंबर को पत्र जारी करते हुए एडहॉक शिक्षकों को स्क्रीनिंग में लाभ देते हुए अनुभव के अंक 10 से बढ़ाकर 20 कर दिए।

स्क्रीनिंग के दौरान दिए जाने वाले PhD वेटेज को घटा दिया अर्थात विश्वविद्यालय स्तर पर जहां PhD के अंक 30 से 20 कर दिए गए, तो वहीं कॉलेज स्तर की नियुक्ति में अंक 25 से घटाकर 15 कर दिए गए।

मंत्रालय के इस फैसले से शोधार्थियों में आक्रोश उत्पन्न हुआ और देशभर से स्कॉलर्स ने अंक को वापस किए जाने एवं समायोजन के खिलाफ सरकार को हस्ताक्षर के साथ पत्र भेजा।

गेस्ट टीचर्स, शोधार्थियों एवं बेरोज़गार संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 16 का हवाला देते हुए यह मांग कर रहे हैं, क्योंकि सरकारी पदों पर आवेदन करने का अधिकार देश में प्रत्येक नागरिक होना चाहिए। समायोजन विशुद्ध रूप से रोज़गार के समान अवसर की अवधारणा के विरुद्ध है।

इस संबंध में दिल्ली विश्वविद्यालय के ही एक पूर्व छात्र की यह पंक्ति पढ़ी जा सकती है,

“अक्सर सामायोजन के पक्ष में कुछ लोगों को बोलते सुनता हूं, तो यह ध्यान आता है कि बेरोज़गारी के इस दौर में समायोजन के साथ न्याय दूसरे के साथ अन्याय है। DU के एडहॉक शिक्षक जो वेतन पाते हैं, उससे चार गुना कम वेतन पर गेस्ट शिक्षक पढ़ा रहे हैं।

कई ऐसे गेस्ट शिक्षक हैं, जिनकी पारिवारिक स्थिति बेहद खराब है और वे उसी वेतन पर अपना परिवार चलाते हैं। इनको नौकरी से बाहर करने में किसी के हाथ नहीं कांपते हैं और इनके पुनःनियुक्ति के लिए कोई दल भी नहीं आता है।

आज जब इन्होंने कहा कि वर्षों से DU में स्थिरता की इच्छा इनकी भी है, तो आपने यह बात सामने रख दी कि तुम्हारा दर्द कुछ नहीं, हमारा दर्द सबसे बड़ा है। इन गेस्ट शिक्षकों ने अपने सामने ही कई-कई लोगों को एडहॉक बनते देखा है, वे आज इनके सामने ताल ठोककर कह रहे हैं, हम सीधे नियुक्ति पा लेंगे, तुम लोग चिल्लाते रह जाओगे।

खैर, जिस व्यवस्था ने आपके हिस्से में दर्द दिया, उसी व्यवस्था ने इनके हिस्से में भी स्थाई दर्द दिया है। आज वह यही कह रहा है कि नहीं जानते कि व्यवस्था हमें स्थाई होने देगी या नहीं पर कम-से-कम हमें अवसर तो दिया जाए, खुद की प्रतिभा को रखने का।

आज स्थायी वेकेंसी का लंबा इंतज़ार जो उन्होंने किया है, उसे बस एक प्रक्रिया के तहत चाहते हैं, जहां साक्षात्कार हो। आप साक्षात्कार से असहमत हैं, तो आइए मिलकर लड़ते हैं और सरकार से कहते हैं कि परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति करिए।

इसके पश्चात एक दर्द उनका है, जो संवाद से बाहर है, जिसको केवल आंकड़ों में दिखाया जाता है, अर्थात पूर्ण बेरोज़गार, जिसको एक बार भी अवसर नहीं मिला, क्या इनके दर्द से तुलना हो सकती है? क्या इन्हें अवसर नहीं मिलने चाहिए, क्या इनकी इच्छा नहीं है कि वे स्थायी हो, ताकि परिवार चला सके।

अंंत में शोधार्थी का पक्ष, जो स्टूडेंट्स के जीवन के उस पड़ाव पर होता है, जहां से दोनों के संघर्ष और व्यवस्था को महसूस कर रहा होता है। हमें तो ऐसा मार्ग बनाना था, जहां इनको संघर्ष ना करना पड़े।

मैं आज यह बात इसलिए लिख रहा हूं, क्योंकि दर्द सबके हिस्से में है, उसकी तुलना नहीं की जा सकती है। अगर आप सच में दर्द महसूस करते हैं, तो सभी को समान अवसर दिए जाने के पक्ष में खड़े हो। वर्षों से रुकी या प्रत्येक बार रोक दी गई वेकेंसी को शीघ्र जारी करने और स्क्रीनिंग, साक्षात्कार की जो प्रक्रिया है उसे तुरंत पूरा करने की मांग करें। DU इतना बड़ा विश्वविद्यालय है कि वह नियुक्ति प्रकिया को पूर्ण कर सकता है, बशर्ते करना चाहे।”

हम युवा सरकार से यही मांग करते हैं कि वर्षों से खाली पड़े पदों पर अविलंब वेकेंसी जारी हो और UGC नियमानुसार नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ करे। इसके अतिरिक्त गेस्ट शिक्षकों के शिक्षण अनुभव को स्क्रीनिंग में जोड़ा जाए एवं पूर्ण वेतन दिया जाए।

 

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