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“मोदी जी, 1973 के स्टूडेंट्स आंदोलन को याद कीजिए स्टूेंडट्स सरकार भी गिरा सकते हैं”

गुजरात में 1973 में एक प्रोटेस्ट हुआ था, जो कि करप्शन और इकोनॉमिक क्राइसिस की वजह से किया गया था। इसका नाम नवनिर्माण आंदोलन था। यह प्रोटेस्ट एलडी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने शुरू किया था, जो धीरे-धीरे मध्यम वर्ग के बीच पहुंच गया और वे लोग भी इस आंदोलन में शामिल हो गए। गुजरात के नवनिर्माण आंदोलन ने इंदिरा गॉंधी की सरकार को हिलाकर रख दिया था। इस आंदोलन ने गुजरात की तत्कालीन सरकार को तोड़ने का काम किया था।

नवनिर्माण आंदोलन का दृश्य। फोटो सोर्स- विकिपीडिया

आज कल जो प्रोटेस्ट हो रहे हैं, उसे अगर आप समझने की कोशिश करेंगे, तो पाएंगे कि यह मुद्दा नागरिकता कानून से ज़्यादा हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा बन गया है। ज़्यादातर लोग, जिनसे सुनो बस यही कह रहे हैं कि मुसलमानों के साथ अन्याय हो रहा है। कई लोगों को बाकि राज्यों जैसे कि असम, मेघालय, त्रिपुरा वगैरह में हो रहे प्रोटेस्ट का तनिक भी ज्ञान नहीं है।

मीडिया सबको बेवकूफ बना रही है, नेता सबको बेवकूफ बना रहे हैं और हम और आप इसमें बेवकूफ बनते जा रहे हैं। स्टूडेंट्स यूनियन का असली असर अगर किसी को समझना है तो नवनिर्माण आंदोलन से समझिए। सिर्फ आग लगा देना, पत्थरबाज़ी करना ही आंदोलन नहीं होता है।

आज जो स्टूडेंट्स आंदोलन हो रहे हैं, उनपर पुलिस का हमला गलत है। कानूनी तौर पर किसी भी प्रोटेस्ट को बलपूर्वक रोका जाना असंवैधानिक है, यह नहीं होना चाहिए। परन्तु, पब्लिक प्रॉपर्टी जलाना, पत्थरबाज़ी भी गलत है। हालांकि अभी तक पब्लिक प्रॉपर्टी जलाने के पीछे कौन था, यह साफ नहीं हो पाया है।

जामिया में प्रोटेस्ट करते स्टूडेंट्स पर पुलिस का हमला। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

ऐसे में हमारे देश की मीडिया, जो स्टूडेंट्स का प्रोटेस्ट जो कि शांतिपूर्वक तरीके से हो रहा होता है, उसे कवर करने नहीं जाती लेकिन जिसमें उपद्रव होता है, उसे कवर करने ज़रूर पहुंच जाती है। वैसी ही मीडिया का आप सहारा लेकर अपनी बात जन मानस तक पहुंचाएंगे, तो क्या असर पड़ेगा देश पर और उस पीढ़ी पर जो आपको देखकर आगे बढ़ रही है, ज़रा सोचिए।

इतिहास गवाह है कि कोई भी हुक्मरान किसी भी पार्टी का हो, उसे हमने कितना भी अच्छा माना हो, जब तक उससे हमने लड़कर अपना हक नहीं मांगा है, उसने नहीं दिया है। प्रोटेस्ट ज़रूरी है, करिए लेकिन ध्यान रखिए, यह देश आपका है और इस देश के लोग भी।

नागरिकता संशोधन विधेयक पर प्रोटेस्ट करिए, ना कि हिन्दू-मुस्लिम एजेंडा पर। इसमें आपको नुकसान और राजनीतिक पार्टियों के फायदे के अलावा और कुछ नहीं मिलेगा।

यह भी कहना चाहूंगा कि 1973 में हुए नवनिर्माण आंदोलन का हिस्सा आज के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी भी थे, उन्हें भली-भांति ज्ञान होगा कि जब देश का युवा आंदोलन करता है, तो तख्तापलट हो जाता है, वे इसे संज्ञान में ज़रूर लाएंगे।

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