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राजस्थान के घूंघट कल्चर से निकलकर भारत में Uber की पहली महिला ड्राइवर बनने वाली गुलेश

राजस्थान के राजपुताना घर की एक महिला, जो एक समय घूंघट में रहा करती थीं, आज दिल्ली-NCR में कैब ड्राइविंग कर रही हैं। हम बात कर रहे हैं भारत की पहली महिला Uber ड्राइवर गुलेश चौहान की, जिन्होंने उन बंधनों को तोड़ा, जो महिलाओं को चाहरदीवारी के अंदर रखे जाने के पैरोकार थे। साथ ही उन्होंने इस आम धारणा को भी तोड़ा है, जिसके अनुसार पुरुष ही बेहतर ड्राइविंग कर सकते हैं।

हम किसी महिला ड्राइवर को देखते हैं तो स्वत: ही दिमाग में आता है कि महिला है तो खराब गाड़ी चलाएगी। इन सब चुनौतियों का हिम्मत से सामना करते हुए गुलेश चौहान ने समाज की इस सोच को ज़बरदस्त जवाब दिया है। आज गुलेश ने ड्राइविंग करते हुए चार वर्ष पूरे कर लिए हैं। 

गुलेश चौहान

गुलेश ने अपने इसी सफर की कहानी Youth Ki Awaaz Summit में साझा की। गुलेश ने अपने जीवन के कुछ खट्टे-मीठे अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि एक बार मुझे बुकिंग मिली, वह बुकिंग एक बेटी की थी, जिसे एमिटी यूनिवर्सिटी में परीक्षा देने के लिए गुड़गॉंव जाना था। वह अकेली थी, जब उसने बुकिंग के दौरान कैब में चालक के रूप में मुझे देखा तो उसने स्वयं को सुरक्षित महसूस किया।

गुलेश ने अपनी ड्राइविंग के अनुभव के बारे में बताते हुए कहा,

ऐसा नहीं है कि आपको हमेशा बुरे लोग ही मिले। मुझे ड्राइविंग के दौरान काफी अच्छे लोग मिले, जिन्होंने मुझे हिम्मत भी दी है। एक महिला ड्राइवर के रहते हुए समाज की दूसरी महिलाएं यात्रा में खुद को ज़्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं। 

गुलेश चौहान का संघर्ष एक सीख

गुलेश की मात्र 17 साल की उम्र में शादी हुई। असल में उनकी शादी से छह महीने पहले ही उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। अब चार लड़कियों और एक लड़के की परवरिश करने के लिए उनकी मॉं ने लड़कियों की शादी करना ही बेहतर समझा।

इसी क्रम में गुलेश की शादी हो गई। वह एक गृहिणी होते हुए संतुष्ट थीं लेकिन 2003 में उनके पति की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। उनकी मॉं ने उनसे कहा कि बेटे की परवरिश और रोज़ी-रोटी की ज़िम्मेदारी अब तुम्हारी है।

गुलेश चौहान

गुलेश ने इससे पहले कभी घर से बाहर कदम नहीं रखा था, कभी रिश्तेदारों से मिलने के लिए यात्रा नहीं की थी। हमेशा पर्दे में रहीं गुलेश चौहान ने शुरुआत में लोगों के घरों में खाना बनाया, सब्ज़ियां बेचीं, सड़क किनारे स्टॉल पर पकौड़े तले लेकिन ये सारी चीज़ें टिकाऊ नहीं थीं। 

गुलेश ने फिर टिफिन सर्विस का काम शुरू किया। जीवन के कठिन दौर में संघर्ष करते हुए गुलेश ने अपने जीवन को मुख्य धारा में बड़ी मशक्कत के बाद तब लाया जब वह कैब ड्राइवर बन गईं।

गुलेश ने अपने जीवन अनुभव पर बात करते हुए कहा,

आज ऐसा कोई भी काम नहीं है जो हम महिलाएं नहीं कर सकती हैं। मैंने हिम्मत की, आप भी हिम्मत कीजिए। हर महिला को अपने पैर पर खड़ा होना चाहिए। मैंने एक सिंगल मदर के तौर पर खुद को हिम्मत दी है और आज इस मुकाम पर हूं।

 

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