जब हम गणतन्त्र दिवस मनाने की बात करते हैं तो संविधान मे लिखित नागरिकों के ‘मूल कर्तव्यों” और “प्रस्तावना” को नही भूलना चाहिए। जातिवाद के दंश को मिटाने के लिए सदियों से अनेक महापुरुषों ने आंदोलन भी कियें हैं और संविधान ने सुरक्षा भी प्रदान की है परन्तु समस्या आज आधुनिक युग में भी जस की तस है और जातीय आधार पर प्रताडऩा की घटनाओं में वर्द्धि हुई है क्योंकि सरकारों द्वारा किये जा रहे प्रयास और कानून को लागू करने वाली सरकारी एजेंसियों का प्रयास पर्याप्त नहीं है।
हाल ही मे राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में जातिवाद के नाम पर गणतंत्र दिवस पर एक शर्मनाक घटना हुईं जहां सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य को झंडारोहण से इसलिए रोका गया क्योंकि वे आरक्षित वर्ग से हैं ,बाद में पुलिस की मौजूदगी में झंडारोहण हो सका और आरोपी पुलिस की मौजूदगी में भी नारेबाजी, गालीगलौज और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते रहे एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम नही होने दिया गया। क्योंकि इस विध्यालय मे सर्वाधिक छात्र आरक्षित वर्ग से हैं।
इस घटना में जातीय प्रताडऩा के साथ ही राष्ट्रीय झंडे का भी अपमान किया गया।
सरकार और एजेंसियों को इस तरह कार्य करने होंगे कि इन घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।