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मांगरोल के युवा शायर शोऐब शान की एक शानदार गजल

अपनी पलकों पर बिठाना चाहता हूं
तेरे नखरे भी उठाना चाहता हूं

सोचता हूं भूल जाऊं अब उसे में
जुर्म करता हूं जो पाना चाहता हूं

मुझको उसके दश त* से क्या लेना देना
मै तो गंगा में नहाना चाहता हूं

जो जगा दे मेरी सोई कौम को
शायरी ऐसी सुनाना चाहता हूं

चाहता हूं ख़तम अपनी बैर हो जाए
प्यार आपस में बढ़ाना चाहता हूं

–शोएब

*दश त : पाकिस्तान में मौजूद एक नदी

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