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#Periodपाठ :मासिक धर्म_रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन

दिल्ली,

जनवरी १४, २०२०,

शिक्षा मंत्री,

ए – विंग, ६-टा,माला,

दिल्ली सेक्रेटेरिएट

नई -दिल्ली-११०००२,

विषय:  स्कूल में पढ़ने वाली किशोर लड़कियों में मासिक धर्म के समय अपनी शारीरिक साफ़-सफ़ाई का ध्यान न रखने के मुद्दे पर जागरूकता लाने सम्बन्धी पत्र।

माननीय मनीष सिसोदिया जी,

मैं प्रीति देवगन,दिल्ली की निवासी हूँ। मेरी स्कूली शिक्षा दिल्ली के ही सरकारी स्कूल से हुई है और अभी मैं दिल्ली में ही स्थित एक सरकारी विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हूँ। बीते समय में स्कूली शिक्षा और सेहत संबंधी सेवाओं में आम आदमी पार्टी द्वारा किया गया काम सराहनीय है।  मैं  यह इसलिए नहीं लिख रही क्योंकि मुझे आपको प्रभावित करना है परन्तु सच में मेरी कॉलोनी में और उसके आस -पास मुझे फ़र्क दिखता है।पिछले सालों में शिक्षा में कई  नवाचारों  पर कार्य हुआ है जैसे ‘स्कूल प्रबंधन समिति’ का गठन,अध्यापकों की ट्रेनिंग(विदेश से) आदि को हम सभी ही जानते हैं।

मैं इस पत्र विशेष में आपका ध्यान स्कूल में पढ़ने वाली किशोर लड़कियों को रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन की कम जानकारी होने की ओर ले जाना चाहती हूँ ।  रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन होने का मुख्य कारण किशोरियों द्वारा मासिक धर्म के समय अपनी शारीरिक साफ़-सफ़ाई का ध्यान न रखना है। दिल्ली में जिस प्रकार स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधर हो रहा है वैसे ही इस मुद्दे पर भी जागरूकता का कार्य स्कूल में होना चाहिए। १०वीं  कक्षा में विज्ञान में प्रजनन पर एक पाठ पढ़ाया जाता है।इसी समय बच्चों को मासिक धर्म के बारे में पढ़ाया जाता है। यह पठन -पठान बहुत ही यांत्रिक होता है। हमारे समाज में यौन शिक्षा या शारीरिक अंगों से जुडी बातें बहुत सहजता से नहीं की जाती हैं। गुप्त अंग हमेशा गुप्त ही रह जाते हैं। उनको कैसे साफ़ करना है इस पर कभी खुलकर बात नहीं होती। इसी सब के चलते बच्चियों को  रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन अदि का ज्ञान नहीं है। अधिकांशतः बच्चियों को सेनिटरी पैड तो मिल जाते हैं परन्तु उनका इस्तेमाल कैसे किया जाए एवं उनके प्रकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है।  सेनिटरी पैड का बढ़ता हुआ रेट एक अलग मुद्दा है जिस से हम सब वाकिफ ही हैं।

मैं स्वयं एक शिक्षिका रही हूँ।  मेरे कार्य के दौरान भी बच्चियों से मेरी बातचीत में मैंने पाया है कि उनके घर में माँ,भाभी  या बड़ी दीदी ने उन्हें यह तो बताया है कि मासिक धर्म होता है तो खून आता है परन्तु कभी किसी सदस्य ने उनसे मासिक धर्म के समय अपनी शारीरिक साफ़-सफ़ाई किस प्रकार करनी चाहिए , पर बात नहीं की है। ऐसे में वे स्वयं ही आधी जानकारी के साथ हर महीने मासिक धर्म को सहती हैं। इसी बात में अगर मैं अपना भी उदाहरण जोड़ दूँ ,तो मेरा अनुभव भी  बच्चियों से कुछ बहुत अलग नहीं है। अब क्योंकि मेरी उम्र के साथ मेरी समझ का दायरा भी बढ़ा है। यह समझ का दायरा इसलिए बढ़ पाया है क्योंकि मैं भिन्न- भिन्न प्रकार की कार्यशालाओं और महिलाओं और पुरुषों से मिली हूँ और मुझे बात करने के अवसर के साथ-ही-साथ ऐसा माहौल मिला है जहाँ बिना किसी डर या खतरे के शारीरिक बनावट और उसके कर्यों पर बात की जा सकती थी/है।  स्कूल में पढ़ने वाली किशोर बच्चियों के पास ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ से वे  मासिक धर्म के समय अपनी शारीरिक साफ़-सफ़ाई कैसे राखी जानी चाहिए और किस प्रकार मासिक धर्म के समय अपना ध्यान रखना चाहिए आदि जैसे विषयों पर बात कर सकें।

मेरा मानना है कि विद्यालय एक ऐसा संसथान है जहाँ एक शिक्षक बच्चों के साथ  मासिक धर्म के समय अपनी शारीरिक साफ़-सफ़ाई पर बात कर सकता/ती है।  शायद करते भी होंगे लेकिन मेरा आपसे अनुरोध है कि जैसे अपने ‘लर्निंग आउटकम’,’मिशन बुनियाद’ और ‘हैप्पीनेस करिकुलम’ चलाया है वैसे ही आप एक कार्यक्रम किशोर लड़कियों के लिए भी कीजिए।इस कार्यक्रम को धरातल पर उतरने के लिए दो स्तरों पर कार्य करना आवशयक है।

निति के स्तर पर जैसे मैंने ऊपर भी लिखा है कि कोई ऐसा कार्यक्रम बनान चाहिए जिस में एक पूरा खाखा हो जिसमें यह निर्धारित किया जाए कि:

  1. रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इन्फेक्शन के सन्दर्भ में किन किन विषयों पर बात होगी?
  2. कौन लोग इस प्रकार की ट्रेनिंग करेंगे ? क्या वे शिक्षक ही होंगे या कोई बहार से आकर करेगा?
  3. यह किस समय होगा? क्या हैप्पीनेस करिकुलम की तरह से ही इसका भी ढाँचा होगा जहाँ बच्चे  रोज़  इसमें भाग लेंगे।
  4. किस प्रकार के संसाधनों( गीत,कहानियाँ ,फिल्में) का इस्तेमाल किया जाएगा ?  या समुदाय की महिलाएँ  ही आकर करेंगी ?
  5. यह कार्यशाला के रूप में होगी या किसी विषय का ही हिस्सा होगी?

क्रियान्वन के स्तर पर मेरे कुछ सुझाव :

  1. स्कूल प्रबंधन समिति में चुनी गई महिला सदस्यों की मदद ली जा सकती है।  इस से एक पंत और दो काज होंगे बच्चियों के साथ ही साथ समुदाय की महिलाओं तक भी जागरूकता फैलेगी। साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी जागरूकता फैलाने का कार्य आधारभूत स्तर से शुरू हो सकेगा।
  2. विकल्प( १ ) लागत में बचत करने के काम भी आएगा।
  3. ऐसे विकल्पों पर बात की जाए जोकि करने आसान हों।  उदाहरण के लिए : साफ़ -सफाई रखने के लिए कुछ बहुत महँगा नहीं करना है। सादे-साफ़ सूती कपडे से सुखाना कितना एहम है, इसपर बात हो।
  4. इस कार्यक्रम में लड़कों को भी जागरूक करना चाहिए ताकि वे भी अपने दोस्तों और आसपास  मासिक धर्म  से जुड़े मुद्दों पर बात कर सकें और जागरूकता फैला सकें। लड़कों को इस मुहीम में जोड़ने से शायद देश में हो रही रेप की घटनाओं में कुछ कमी आए क्योंकि लड़के भी लड़की की  शारीरिक  बनावट और उनके कार्यों को समझेंगे।

यह केवल कुछ बिंदु हैं। आपको मुझसे ज़्यादा समझ है कि निति और क्रियान्वन के स्तर पर और क्या- क्या चीज़ें होनी चाहिए।

उम्मीद है कि  आप इस विषय पर अपनी शैक्षिक टीम  के साथ बात कर कुछ कार्यक्रम ज़रूर करेंगे।

धन्यवाद सहित ,

प्रीति देवगन,

दिल्ली।

 

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