Site icon Youth Ki Awaaz

झारखंड के 13 आदिवासी परिवार सरकार से क्यों कर रहे हैं बगावत?

हेमन्त सोरेन

हेमन्त सोरेन

नागरिकता को लेकर पहले NRC फिर CAA और उसके बाद NPR के कारण देशभर में घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच झारखंड से खबर आई कि वहां के आदिवासियों ने राष्ट्रपति को प्रमाण पत्रों से लेकर शपथ पत्रों की फाइलें भेजकर कहा, “नहीं मानेंगे देश का कानून।”

वे फाइलें वापस झारखंड पहुंच चुकी हैं। उन फाइलों के अनुसार आदिवासियों ने सरकारी व्यवस्था व योजनाओं के बहिष्कार की घोषणा की है।

खूंटी के 13 परिवारों के बागी तेवर

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन। फोटो साभार- सोशल मीडिया

नई नवेली हेमंत सरकार द्वारा झारखंड के खूंटी ज़िले में पत्थलगड़ी की आड़ में असंवैधानिक सरकार चलाने की साज़िश में दर्ज़ सभी मामलों को वापस लेने की पहल शरू हुई। इसी बीच उसी खूंटी ज़िले के 13 परिवारों का सरकार के प्रति असहमति का मामला सामने आया।

इन परिवारों को सरकारी सिस्टम पर भरोसा नहीं है। इन परिवारों के सभी सदस्यों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर सरकारी व्यवस्था व योजनाओं के बहिष्कार हेतु ऐलान किया है। अब राष्ट्रपति सचिवालय के आदेश पर फाइलें झारखंड मंत्रालय पहुंची है।

मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने क्या कदम उठाया?

मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी के आदेश पर 13 परिवारों की यह फाइलें झारखंड के राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग को सौंपी गई हैं। यही नहीं, इन फाइलों पर गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग से भी मंतव्य लिए जाने की बात भी सामने आई है।

क्या है फाइलों में?

इस फाइल में 13 परिवारों के सभी सदस्यों के प्रमाण पत्र, वोटर आइडी कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड, जॉब कार्ड, गैस कार्ड और पैन कार्ड मौजूद हैं।

सरकारी तंत्र का बहिष्कार करने वाले ग्रामीणों का मानना है कि वे केवल आदिवासी कानून मानेंगे, उनका अब किसी सरकारी कानून, सरकारी व्यवस्था एवं सरकारी योजनाओं से कोई लेनादेना नहीं है।

क्या कहते हैं 13 परिवारों के सदस्य?

हम आदिवासी भारत हैं, भारतीय नहीं! अतः हम आदिवासी कुदरती एवं प्राकृतिक कानून से संचालित होते हैं। जबकि केंद्र एवं राज्य सरकारें भारतीय न्याय-व्यवस्था से नियंत्रित होती हैं।

अतः हम सपरिवार ज्यूडिशियल व्यवस्था के कानून एवं प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, वोटर कार्ड और आधार कार्ड को भारत के राष्ट्रपति के हवाले कर रहे हैं।

क्या कहती है भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची?

भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची के अनुसार, आदिवासी संस्कृति, भाषा, जीवनशैली व उनके अधिकारों को राज्यपाल की निगरानी में संवैधानिक संरक्षण दिया गया है।

इसके तहत वे क्षेत्र आते हैं, जिन्हें राष्ट्रपति के आदेशानुसार अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया हो। यही नहीं, पांचवीं अनुसूची के अनुसार ग्राम सभा सर्वोपरि होती है।

अब बात पत्थलगड़ी की

फोटो साभार- सोशल मीडिया

पत्थलगड़ी वह स्मारक है, जिसकी शुरुआत इंसानी समाज ने हज़ारों साल पहले की थी। यह एक पाषाण कालीन परंपरा है, जो आदिवासियों में आज भी प्रचलित है। माना जाता है कि मृतकों की याद संजोने, खगोल विज्ञान को समझने, कबीलों के अधिकार क्षेत्रों के सीमांकन को दर्शाने, बसाहटों की सूचना देने, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने आदि उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मानव समाज ने पत्थर स्मारकों की रचना की।

आदिवासी समुदाय और गाँवों में विधि-विधान-सह-संस्कार के साथ पत्थलगड़ी यानी बड़ा शिलालेख गाड़ने की परंपरा पुरानी है। यही नहीं, वंशावली, पुरखे तथा मरनी यानी मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेज़ों या फिर दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सपूतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है।

क्यों उठ रहे हैं इस परंपरा को लेकर सवाल?

झारखंड में ग्रामसभा द्वारा पत्थलगड़ी को लेकर जिन दावों का उल्लेख किया जा रहा है, उन्हें लेकर सवाल उठने लाज़मी हैं। दरअसल, पत्थलगड़ी के ज़रिये दावे किए जा रहे हैं कि आदिवासियों के स्वशासन व नियंत्रण वाले क्षेत्र में गैर-आदिवासी प्रथा के व्यक्तियों के मौलिक अधिकार लागू नहीं हैं। लिहाज़ा इन इलाकों में उनका स्वंतत्र भ्रमण, रोज़गार-कारोबार करना या बस जाना, पूर्णतः प्रतिबंधित है। 

पहले‌ पत्थलगड़ी और अब 13 आदिवासी परिवारों के बागी तेवर को देखकर क्यों सवाल नहीं उठेंगे हमारे सिस्टम पर? झारखंड में आज भी आदिवासी जल जंगल और ज़मीन के लिए संधर्षरत हैं। भूख से होने वाली आदिवासियों की मौत सिस्टम पर सवाल खड़े करती हैं।

बढ़ती औद्योगिक इकाइयां झारखंड के आदिवासियों की ज़मीन हासिल कर उन्हें भूमिहीन बना रही हैं। जब वे आवाज़ उठाते हैं, तो नक्सल के नाम पर होने वाले दमन के शिकार बना दिए जाते हैं। सवाल यह है कि जिस सिस्टम का आदिवासी बहिष्कार कर रहे हैं, वह सिस्टम अंधा गूंगा बहरा क्यों है?

Exit mobile version