राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में अब भी बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। यहां पिछले 1 महीने में 100 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो गई है। यही नहीं, अब आंकड़ा 100 से बढ़कर 104 हो गया है। लेकिन सरकार से लेकर विपक्ष तक सभी एक दूसरे पर उंगलियां उठाने के अलावा कुछ काम नहीं कर रही है।
यह कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी ऐसी राजनीति देखने को मिल चुकी है। जब बिहार के मुज़फ्फरपुर में चमकी बुखार के कारण बच्चों की मौत हुई थी, तब भी ऐसे ही बयान सुनने और देखने को मिले थे और ऐसे ही सभी एक-दूसरे पर उंगलियां उठा रहे थे।
पहले की तरह ही अब भी बचकाना बयान देकर सरकार और विपक्ष अपनी ज़िमेदारियां भूलकर जनता की आखों में धूल झोंकने की भरपूर कोशिश कर रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है,
मौतें तो होती रहती हैं, यह कोई नई बात नहीं है। इस साल तो पिछले साल से कम बच्चों की मौतें हुई हैं। सिर्फ कोटा की बात नहीं है, हर अस्पताल में प्रतिदिन चार-पाच मौतें होती रहती हैं।
मतलब माननीय मुख्यमंत्री जी के लिए ये कोई बड़ी बात नहीं है, क्योंकि उनके लिए तो ऐसी मौतें होती ही रहती हैं। वह बस आंकड़े गिनाएंगे और कुछ नहीं कर सकते हैं। सर, आकड़े हम सभी जानते हैं। आप बस यह बताइए कि ये खत्म कब होगा और बच्चों की जान कैसे बचाई जाए? यानी दिन-प्रतिदिन बढ़ते आकड़ों को कैसे कम किया जाए?
दिन दहाड़े अस्पताल में सूअर घूमते हैं
वहीं, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा जी से कुछ पूछो तो वह भारतीय जनता पार्टी की पिछली फाइल दिखा देते हैं। मंत्री जी का कहना है कि अगर भाजपा अच्छे से काम की होती तो आज ऐसे हालात नहीं होते।
मैं मंत्री जी से यह कहना चाहती हूं कि भाजपा ने जो किया वो किया, आपने क्या-क्या किया है या कर रहे हैं यह तो बताइए, क्योकि हमने आपको पिछली सरकार की गलतियां गिनवाने के लिए वोट नहीं दिया था।
मंत्री जी, आपने भी देखा होगा कि दिन दहाड़े अस्पताल के सामने सूअर घूम रहे हैं। यह देखकर पता चल रहा है कि कितना काम आपने और पहले की सरकारों ने किया है।
आपसे निवेदन है कि दूसरों की गलतियां ना गिनवाकर अस्पताल की व्यवस्था ठीक करिए।
नेताओं को राजनीति बंद करनी होगी
मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि सरकार भाजपा की हो या काँग्रेस की, ज़िम्मेदारी कौन निभाएगा? मैं ये सब इसलिए कह रही हूं, क्योंकि आज राजस्थान में काँग्रेस की सरकार है तो भाजपा उंगली उठा रही है। वहीं, बिहार में भाजपा-जदयु गठबंधन सरकार में जब चमकी बुखार का मामला हुआ था तो काँग्रेस उंगली उठा रही थी। ये बस एक-दूसरे के साथ राजनीति के अलावा कुछ और नहीं करेंगे।
सर हम आम जनता बस इतना चाहते हैं कि आपलोग एक दूसरे के साथ राजनीति ना करके हमारी दर्द को समझें और हमारी मदद करें, क्योंकि जब एक माँ अपने बच्चे को अपनी आंखों के सामने दम तोड़ते देखती है, वह भी किसी की लापरवाही की वजह से तो वह दर्द कोई नहीं समझ सकता है।
उस दिन अपने बच्चे के साथ वह माँ भी जीते जी मर जाती हैं। इसलिए राजनीति बंद कीजिए और अपना कर्तव्य निभाइए जिसके लिए आपको आम जनता ने चुना है। आपको बता दें कि कोटा में मौत का यह आकड़ा नया नहीं है। यह सिलसिला पिछले कई सालों से चला आ रहा है, चाहे सरकार किसी की भी हो।
आंकड़ों के आईने में देखिए किस वर्ष कितने बच्चों की मौत हुई
- 2014 में 15719 बच्चों की भर्ती हुई थी, जिनमें से 1198 बच्चों की मौत हो गई थी।
- 2015 में 17579 बच्चों की भर्ती हुई थी, जिनमें से 1260 बच्चों की मौत हो गई थी।
- 2016 में 17892 बच्चों की भर्ती हुई थी, जिनमें से 1198 बच्चों की मौत हो गई थी।
- 2017 में 17216 बच्चों की भर्ती हुई थी, जिनमें से 1027 बच्चों की मौत हो गई थी।
- 2018 में 16436 बच्चों की भर्ती हुई थी, जिसमे 1005 बच्चों की मौत हो गयी थी।
- 2019 में 16915 बच्चों की भर्ती हुई थी, जिनमें से 963 बच्चों की मौत हो गई। यह सिलसिला अब भी जारी है।