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“आयुष्मान भारत योजना में हो रहे हैं उन बिमारियों के इलाज जिनके मरीज़ ही नहीं हैं”

2018 के सितंबर महीने में आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन की शुरूआत हुई। दावा यह था कि इस योजना के माध्यम से 10 करोड़ से ज़्यादा परिवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों को मुफ्त इलाज मिल सकेगा।

आयुष्मान भारत की नोडल एजेंसी नेशनल हेल्थ अथॉरिटी है। हाल ही में इससे जुड़े बहुत सारे घोटाले सामने आ रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के साथ, फोटो साभार- ट्विटर

क्या है घोटाला?

देश के कुछ अस्पतालों और कॉमन सर्विस सेंटर ने देश की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना में गड़बड़ी शुरू कर दी है। यह गड़बड़ी आज से ही नहीं इसके लागू होने के पहले साल से ही शरू हो गई थी।

इकॉनोमिक टाईम्स ने 2018 में एक खबर प्रकाशित की थी जिसके मुताबिक एक ही डॉक्टर एक दिन में चार अलग-अलग इलाके में सर्जरी कर रहा है। इसपर खबर यह कि मरीजों ने भी उस तरह की सर्जरी करा ली है और अस्पतालों ने उसके लिए पैसे वसूल लिए जो इलाज वास्तव में हुआ ही नहीं।

इसके साथ ही देर शाम एक डॉक्टर ने कई सर्जरी कर दी है और तो और कॉमन सर्विस सेंटर ने फर्ज़ी लाभार्थी कार्ड भी बना दिए।

आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी, फोटो साभार- ट्विटर

उस खबर के मुताबिक आयुष्मान योजना के तहत उस वक्त तक 7992 निजी और 7963 सरकारी अस्पताल रजिस्टर्ड हो चुके थे। आयुष्मान भारत के असली लाभार्थी की जगह अयोग्य लाभार्थियों को मदद पहुंचाई जा रही थी। इसमें कॉमन सर्विस सेंटर इनकी मदद कर रहे हैं।

कुछ अन्य मामले

कुछ मामले प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीज़ों के भी है। पूरी जानकारी ना होने के कारण प्राइवेट हॉस्पिटल के स्टाफ और मरीज़ के परिवार वालों के बीच झगड़े भी हुए हैं।

देखा गया है कि प्राइवेट हॉस्पिटल में मरीज़ अपने पास आयुष्मान कार्ड होते हुए भी, इलाज के लिए पैसे दे रहा है या पैसे देने को प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा मजबूर किया जा रहा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में गुजरात में एक ही परिवार के नाम पर 1,700 लोगों के कार्ड बनाए गए। वहीं छत्तीसगढ़ में एक ही परिवार के नाम पर 109 कार्ड बनाने का मामला सामने आया है और हद तो यह है कि उसी परिवार के 57 लोगों की आंख की सर्जरी भी कराए जाने के मामले सामने आए हैं। सबसे अद्भुत बात तो यह है कि 171 अस्पतालों ने फर्ज़ी बिल भेजकर भुगतान भी करा लिया।

आयुष्मान योजना के कर्मचारी सोनभद्र में लोगों को योजना के बारे में बताते हुए, फोटो साभार- ट्विटर

दो लाख से अधिक फर्ज़ी कार्ड के मामले सामने आए

फर्ज़ी कार्ड बनाकर पैसे वसूलने के ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखंड और झारखंड में सामने आए हैं। उन संपन्न लोगों के भी कार्ड बने हैं, जो योजना के दायरे में नहीं आते। अब तक दो लाख से अधिक फर्ज़ी कार्ड के मामले सामने आ चुके हैं।

आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी, फोटो साभार- ट्विटर

देश के प्राइवेट अस्पतालों के संगठन एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) का कहना है कि योजना को लागू करने में आधारभूत कमियां इन घोटालों के लिए ज़िम्मेदार हैं। बात भी कहीं ना कहीं सही है। कई इलाकों में आराम से यह फर्ज़ी कार्ड बन जाते हैं।

मैंने खुद देखा है कि दूसरे के समग्र आई डी का उपयोग करके अपात्र का कार्ड भी बन जाता है। फिर जब अस्पताल में जांच होगी तब पता चलेगा कि फर्ज़ी है।

अब इन घोटालेबाज़ों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। इसी बीच नेशनल एंटी फ्रॉड यूनिट के पास इस मामले में गड़बड़ी पकड़ने का एक तरीका है। उन्होंने बताया है कि जब किसी डॉक्टर का नाम बार-बार सामने आता है तो सिस्टम चेक करता है कि सर्जरी कब हुई? इसी सिस्टम की मदद से मौजूदा गड़बड़ी पकड़ी गयी है।

 

 

 

 

 

 

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