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आखिर क्या है BHU में सिखाई जाने वाली भूत विद्या?

बीएचयू

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भूत विद्या आयुर्वेद चिकित्सा का एक भाग है। यह प्रत्यक्ष रूप से अज्ञात कारणों से होने वाले रोगों के निदान के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह मुख्यतः मानव के मानसिक विकारों को ठीक करने के लिए काम में लाया जाता है। आधुनिक शब्दावली में इसे अज्ञातहेतुक रोग कहते हैं, जिसका अर्थ है बिना कारण के उत्पन्न होने वाला रोग। 

वस्तुत: अष्टांग आयुर्वेद में आठवां अंग भूत चिकित्सा है। यह भूत-प्रेत इत्यादि वाला भूत नहीं, बल्कि यहां भूत का मतलब अर्थ पंचभूत (पंच भौतिक तत्व) है। पंच भौतिक तत्व में अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश हैं।

बीएचयू की तस्वीर। फोटो साभार- सोशल मीडिया

इन्हीं पंच तत्वों में से किसी एक तत्व की कमी या अधिकता से (इनका संतुलन बिगड़ जाने से) शारीरिक और मानसिक रोग प्रकट होते हैं। आकाश तत्व के असंतुलन से मानसिक व्याधियां उत्पन्न होती हैं, क्योंकि प्रथम चार तत्व तो स्थूल (दिखाई देने वाले) हैं परंतु पांचवां यानी आकाश तत्व नेत्रों से दिखाई नहीं देता है।

इस प्रकार के रोगों के लिए चिकित्सा स्थूल औषधियों से नहीं हो सकती हैं। आयुर्वेद में इस प्रकार के मानसिक व्याधियों को भूत चिकित्सा के नाम से जाना जाता है।देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में मशहूर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जल्द ही एक नए कोर्स की शुरुआत होगी। वैसे आज तक काशी भूत-पिशाच से मुक्ति दिलाने हेतु मशहूर रही है लेकिन BHU की इस पहल से अब विश्व भूत-प्रेतों की रहस्यमई दुनिया से रुबरु होगा। 

अब सवाल यह उठता है कि इस विद्या को पढ़ेगा कौन? तो यदि आप भूतों की अलौकिक और अप्राकृतिक हैरतअंगेज़ बातों में यकीन रखते हैं, तो BHU से भूत विद्या की पढ़ाई कर सकते हैं। अगले महीने से बीएचयू में छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू होने जा रहा है।

कोर्स का मकसद क्या है?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

बीएचयू का मकसद उन लोगों को विपत्ति से मुक्ति दिलाना है, जो भूत-प्रेत की समस्या में उलझे हुए हैं। जो ओझाई और झाड़-फूंक के ज़रिए ही इसे हल करने में यकीन रखते हैं। यह कोर्स इन दिनों सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहा है। इसकी चर्चा समूची दुनिया में हो रही है।

यूपी-बिहार में एक बड़ी संख्या में लोग मानसिक बीमारियों के उपचार हेतु तांत्रिक और ओझाओं के पास जाते हैं। इनमें ज़्यादातर ग्रामीण इलाके के लोग हैं, जो बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

किसका होगा इलाज?

भूत विद्या एक मनोचिकित्सा पद्धति है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का यह कोर्स डॉक्टरों को सिखाया जाएगा। उन्हें यह शिक्षा दी जाएगी कि मरीज़ों का इलाज कैसे करें। ऐसे मरीज़ जो यह दावा करते हैं कि उन पर भूत का साया है या फिर जो यह कहते हैं कि वे भूत को देख सकते हैं।

बीएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है जहां डॉक्टरों को आयुर्वेद के माध्यम से भूत जैसी समस्याओं के उपचार के बारे में पढ़ाया जाएगा। आयुर्वेद आचार्यों का मानना है कि बहुत से लोग बीमारी को भूत मान लेते हैं और रोगियों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

कौन कर सकता है यह कोर्स?

बीएचयू स्टूडेंट्स। फोटो साभार- सोशल मीडिया

आयुर्वेद संकाय की डीन यामिनी भूषण त्रिपाठी बताती हैं

ब्रांच के बारे में डॉक्टरों को औपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए आयुर्वेद संकाय में भूत विद्या की एक अलग इकाई बनाई गई है। पहले बैच की कक्षा जनवरी से शुरू होगी। इसे आयुर्वेद संकाय द्वारा संचालित किया जाएगा। भूतों के कारण होने वाले मानसिक विकारों और बीमारियों का उपचार बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) और बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी (एमबीबीएस) डिग्री धारकों को सिखाया जाएगा।

डॉ.यामिनी के मुताबिक यह कोर्स भूत-संबंधित बीमारियों और मानसिक विकारों के आयुर्वेदिक उपचार से संबंधित है। भूत विद्या अष्टांग आयुर्वेद की आठ बुनियादी शाखाओं में से एक है। यह मुख्य रूप से मानसिक विकारों, अज्ञात कारणों और मन या मानसिक स्थितियों के रोगों से संबंधित है।

बीएचयू में आयुर्वेद संकाय में सभी 16 विभागों के प्रमुखों की बैठक के बाद इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया गया फिर यह प्रस्ताव विश्वविद्यालय की एकेडमिक परिषद को भेजा गया, जिसने अष्टांग आयुर्वेद की बुनियादी शाखाओं में से एक के तौर पाठ्यक्रम को मंज़ूरी दी।

एसोसिएट प्रोफेसर सुशील कुमार दुबे बताते हैं,

नई इकाई भूत विद्या से संबंधित विभिन्न चीज़ों के अध्ययन में मदद करेगी, जो आयुर्वेदिक तरीके से मनोवैज्ञानिक विकारों को खत्म कर सकेगी। बीएचयू भूत विद्या का कोर्स शुरू करने जा रहा है तो सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी बातें हो रही हैं।

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