“ब्रू समुदाय” पूर्वोत्तर भारत तथा बांग्लादेश के चटगाँव पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले जनजाति समूह हैं। ये पूरे पूर्वोत्तर भारत में मौजूद हैं। मिज़ोरम में, जहां ये समुदाय ‘ब्रू’ नाम से जाने जाते हैं, तो वहीं त्रिपुरा में इन्हें रियांग कहा जाता है।
इनकी भाषा ‘ब्रू’ है। ‘ब्रू’ पहले झूम खेती करते थे, जिसके तहत जंगल के एक हिस्से को साफ करके खेती की जाती है। इन्हें एक घुमंतू समुदाय भी माना जाता है। इनकी वेशभूषा भी मिज़ोरम के लोगों से थोड़ी अलग है।
क्यों बनना पड़ा था इन्हें शरणार्थी?
वर्ष 1995 से ‘ब्रू’ और ‘मिज़ो समुदाय’ के लोगों के मध्य तनाव शुरू हो चुका था। मिज़ो समुदाय के लोगों का कहना था कि ‘ब्रू समुदाय’ के लोग राज्य के निवासी नहीं हैं, क्योंकि उनकी वेशभूषा अलग थी।
इनके मध्य मनमुटाव चल ही रहा था कि कुछ ‘ब्रू’ उग्रवादियों ने एक मिज़ो की हत्या कर दी, जिसके बाद मिज़ोरम में ब्रू समुदाय के खिलाफ हिंसा हुई।
हिंसा साम्प्रदायिक दंगे में भड़क गई और दंगा ‘ब्रू’ समुदाय का मिज़ोरम से त्रिपुरा पलायन करने का मुख्य कारण बना। त्रिपुरा में ये समुदाय पिछले 2 दशक से शरणार्थी बनकर पुनर्वास केंद्र में रह रहे हैं।
ब्रू शरणार्थियों को बसाने के लिए उठाए गए कदम
3 जुलाई, 2018 को नई दिल्ली में गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव और मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालथन हवाला के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किया गया, जिसमें कहा गया कि ‘ब्रू समुदाय’ की वापसी मिज़ोरम में हो और उन्हें वहां बसाया जाए।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लव कुमार देव ने ट्वीट कर कहा,
It’s a historic agreement between Government of India, Governments of Tripura & Mizoram and Bru-Reang representatives in New Delhi today, to end the 23-year old Bru-Reang refugee crisis.
My heartfelt thanks to PM Shri @narendramodi ji & @AmitShah ji for this decision. pic.twitter.com/cTn6jpfpZ6
— Biplab Kumar Deb (@BjpBiplab) January 16, 2020
यह भारत सरकार, त्रिपुरा और मिज़ोरम की सरकारों और ब्रू-रियांग प्रतिनिधियों के बीच एक ऐतिहासिक समझौता हुआ है, जो 23 सालों से ब्रू-रियांग शरणार्थी के संकट को खत्म करता है। इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का शुक्रिया।
लेकिन ‘ब्रू’ समुदाय इस फैसले से खुश नहीं थे। इसलिए केवल 328 परिवारों ने ही वापसी की। बहुत से लोगों का कहना था कि वे वापस नहीं जाना चाहते हैं, क्योंकि वे वहां सुरक्षित नहीं रहेंगे।
इन बातों को ध्यान में रखते हुए 16 जनवरी, 2020 को गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जो शरणार्थी त्रिपुरा में हैं, उन्हें वहीं बसाया जाए और इनको बसाने में केंद्र सरकार, राज्य सरकार की पूरी मदद करेगी।
‘द हिन्दू’ की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 34,00 ‘ब्रू’ को त्रिपुरा में बसाया जाएगा। उनके लिए 600 करोड़ रुपए के पैकेज की भी घोषणा की गई है। प्रत्येक परिवार को आजीविका हेतु प्रतिमाह 5000 रुपए की आर्थिक मदद तथा अगले 2 वर्षो तक नि:शुल्क राशन प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त प्रत्येक परिवार को कृषि भूमि के अलावा व्यक्तिगत भू -खंड भी दिया जाएगा।
ब्रू समुदाय को लेकर सभी का यही कहना था कि अपने ही देश में कोई शरणार्थी बनकर नहीं रह सकते हैं। इस बार ‘ब्रू’ को मुख्य रूप से त्रिपुरा में बसाने की पहल की गई है। देखते हैं आने वाले समय में यह फैसला इस समुदाय के लिए किस हद तक हितकारी साबित होती है।