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“मैं इस गणतंत्र अपने संविधान को दोबारा से ज़िंदा होते देखना चाहता हूं”

हम भारत के लोग। ये शब्द हमें ताकत और एकता प्रदान करते हैं। ये शब्द किसी और के नहीं, बल्कि भारतीय संविधान के शब्द हैं और सिर्फ शब्द ही नहीं बल्कि संविधान का एक वादा है, इस देश के हर नागरिक से।

हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। हिन्दुस्तान को एक स्वतंत्र गणराज्य बनने की याद में हम लोग गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

गणतंत्र के दिन का इतिहास

26 नवम्बर 1949 को संविधान, भारतीय संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। परन्तु इसे लोकतांत्रिक प्रकिया के साथ पूर्ण रूप से देश मे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था।

इस दिन (26 जनवरी) को चुनने के पीछे एक इतिहास है। इस दिन 1929 में अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ “पूर्ण स्वराज” की घोषणा इंडियन नेशनल काँग्रेस द्वारा की गई थी। उसी की याद में इस दिन को भारतीय संविधान को पूर्ण रूप से सारे देश मे लागू किया गया।

हमारा संविधान 71 साल का हो चुका है। इसने हमें हर तरह के अधिकार दिए, जैसे समानता का अधिकार, बोलने का अधिकार, लिखने – पढ़ने का अधिकार, किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार, हर धर्म को समानता, आरक्षण इत्यादि।

संविधान को खत्म करने का दौर

आज जो भारत हिंदुत्व की सोच के साथ उभर कर आ रहा है, उससे लगता है कि उसे अब संविधान की ज़रूरत नहीं है। संविधान 71 साल का हो चुका है, स्वयंसेवक संघ और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, इसे शायद बूढ़ा मानने लगी है। जिस प्रकार कुछ तुच्छ सोच के लोग बूढ़े लोगों को घर से निकाल देते हैं या फिर उनकी अहमियत को कम मानने लगते हैं। ठीक उसी प्रकार भाजपा/आरएसएस भी संविधान को अलग करने की कोशिश में दिख रही है।

जिस प्रकार CAB को पास करके CAA नामक कानून बनाया गया, जो बिल्कुल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के खिलाफ है। अनुच्छेद 14 एक मौलिक अधिकार है और जब किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार छीना जाता है या उसका हनन होता है। तब उसी भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32, व्यक्ति को यह गारंटी देता है कि अगर कोई उसके मौलिक अधिकारों का हनन करता है, तब वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।

CAA भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का हनन करता है, जब लोगों ने कोर्ट में अपील की तो कोर्ट ने CAA पर रोक लगाने के बजाय इनकार कर दिया।

संविधान के अनुच्छेदों का हनन

अनुच्छेद 15 का हनन भी आम बात है, दलितों, अनुसूचित और अल्पसंख्यक समुदाय को आए दिन भेदभाव का सामना करना पड़ता है। दलितों की घोड़ी चढ़ने पर हत्या कर दी जाती है। कुर्सी पर बैठने पर बांध कर मारा जाता है। मुस्लिमों को कभी गाय के नाम पर कभी लव जिहाद के नाम पर भीड़ द्वारा हत्या कर दी जाती है।

इंडिया स्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2010 से अब तक गोहत्या से संबंधित हत्याओं में मरने वाले 84 प्रतिशत लोग मुस्लिम हैं और 97 प्रतिशत ऐसे मामले 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद घटित हुए हैं।

अनुच्छेद 19 हमें बोलेने का अधिकार देता है, परन्तु इस बोलने को लेकर 2014 के बाद से लगभग 15 पत्रकारो की हत्या हुई, जिसमे चर्चित हत्या गौरी लंकेश की हत्या थी, कई पत्रकारों को धमकियाँ, गालियाँ आदि आज भी मिलती है, जिसमे रविश कुमार सबसे ऊपर के पायदान पर आते हैं ।

मैं इस गणतंत्र पर अपने हिन्दुस्तान को एक ऐसे राष्ट्र के तौर पर देखना चाहता हूं, जहां सभी लोगों को समान अधिकार मिले, सबको समान कानून के तराजू में तौला जाए, किसी भी तरह का किसी भी व्यक्ति से कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, देश के युवाओं को नौकरी, किसानों को हर सम्भव तरीके से मदद, महिलाओं को सुरक्षा, गरीबों की गरीबी दूर, स्वतंत्रत पत्रकारिता, स्वतंत्रत न्यायालय, समान शिक्षा और हर सम्भव तरीके से संविधान को सर्वोपरि रखा जाए।

मैं अपनी बात को विराम लगाते हुए कुछ पंक्ति कहना चाहूंगा,

हर रंग ख़ुद में समेटे, जो बे खौफ लड़ा है,
जाति – धर्म के दायरे से जो आगे बढ़ा है,
अखलाकी मुदल्लल है संविधान यह अपना
जो अपनी खुली कब्र पर भी सीधा खड़ा है।

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