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काशी विश्वनाथ मंदिर में ड्रेस कोड विवाद का राजनीतिक असर क्या होगा

kashi vishwanath temple

वाराणसी में स्थित पौराणिक नगरी काशी के विश्वनाथ मंदिर में कड़े नियम लागू करने की खबर आई। खबर यह थी कि अब यहां भगवान के दर्शन के लिए ड्रेस कोड लागू किया जाएगा।

लेकिन उसके तुरंत बाद पौराणिक वस्त्र संहिता नियम लागू करने के फैसले को कड़ी चुनौती शायद आपसी प्रशासनिक व्यक्तियों द्वारा ही मिल गई। काशी विश्वनाथ मंदिर में वस्त्र संहिता लागू करने के फैसले से प्रशासन पीछे हट गया है।

काशी विश्वनाथ मंदिर। फोटो सोर्स- Twitter

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने वीडियो मैसेज जारी करके ऐसे किसी भी लिए गए निर्णय से इनकार किया है। आपको बता दें कि इससे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंह ने साफतौर पर बताया था कि वस्त्र संहिता का निर्णय लिया जा चुका है पर अब इस मामले में प्रशासनिक अधिकारीयों ने यू टर्न ले लिया है।

जानकारी के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर में वस्त्र संहिता लागू करने का फैसला धर्माथ कार्य मंत्री नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में काशी विद्वत परिषद की बैठक में लिया गया था। यह मकर संक्रांति के बाद किसी भी दिन लागू कर दिया जाता। वहीं वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में वस्त्र संहिता लागू होने की रिपोर्ट का उत्तर प्रदेश के पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार नीलकंठ तिवारी ने खंडन किया है। नीलकंठ तिवारी ने कहा,

किसी तरह की वस्त्र संहिता की व्यवस्था लागू नहीं की गई है और ना ही आगे के लिए इस तरह का निर्णय हुआ है।

यह मामला उस वक्त तूल पकड़ा, जब मीडिया में मंत्री जी के बयान की खबरों को दिखाया गया, जिसमें कहा गया था कि उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह ही काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने भी वस्त्र संहिता लागू कर दिया है, जो कि मकर संक्रांति के बाद से लागू कर दिया जाएगा।

इसमें स्पर्श दर्शन के लिए पुरुषों को धोती-कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी पहनना अनिवार्य होगा और अगर किसी भक्त ने वेस्टर्न वस्त्र (जींस, शर्ट, सूट आदि) पहना है, तो वे दूर से ही दर्शन के योग्य होंगे, उन्हें स्पर्श दर्शन करने से रोका जायेगा।

हालांकि, प्रदेश सरकार के पर्यटन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभारी नीलकंठ तिवारी ने इन खबरों का खंडन करते हुए कहा है,

काशी विश्वनाथ मंदिर में अभी कोई ड्रेस कोड लागू नहीं हुआ है और ना लागू करने की योजना है।

हालांकि, अब काशी विश्वनाथ मंदिर की यह खबर राजनीतिक रूप लेती जा रही है, ऐसे में प्रशासन विवादों में घिरती नज़र आ रही है। नागरिकता संसोधन कानून की वजह से देश में हो रहे हंगामे के बाद अब काशी विश्वनाथ मंदिर के मामले से भी राजनीति हो सकती है। इसमें राजनेता खुलकर अपनी राजनीति कर सकेंगे और धर्म तो हमेशा से राजनीतिक रोटी सेंकने में अहम भूमिका निभाते आया है।

चाहे हम धर्म को कितना भी राजनीति से अलग रखें पर ना चाहते हुए भी धर्म राजनीति का हिस्सा बन ही जाता है। देश के दिग्गज नेताओं ने अब धीरे-धीरे वाराणसी की ओर रुख कर लिया है, जल्द ही इस मामले पर बड़े बड़े बयान सुनने और देखने को मिल सकते हैं।

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