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मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम मामले में ब्रजेश ठाकुर समेत 19 आरोपी दोषी करार

ब्रजेश ठाकुर

ब्रजेश ठाकुर

बिहार के बहुचर्चित मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम बलात्कार कांड में आज दिल्ली की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। इस मामले में शेल्टर होम बालिका गृह एनजीओ के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 19 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया है।

आपको बता दें कि यह मामला 2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के बाद उजागर हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया था कि बिहार के शेल्टर होम्स में रहने वाली लड़कियों के साथ बलात्कार और सेक्शुअल एसॉल्ट की घटनाएं होती हैं और अधिकतर बच्चियां चुप रहती हैं। उनको दबाव में चुप रखा जाता है।

इसके बाद विपक्ष समेत तमाम सामाजिक संगठनों द्वारा इस पर पुरज़ोर तरीके से विरोध दर्ज़ कराया गया। लंबे समय तक बिहार सरकार द्वारा इस मामले में गोबर-माटी लगाने के बाद जैसे ही कोर्ट का आदेश आया, बिहार सरकार ने मामले को सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया।

मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम। फोटो साभार- सोशल मीडिया

सीबीआई की जांच में शेल्टर होम में रहने वाली 42 लड़कियों में से 34 के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी तथा अन्य लड़कियों के सेक्शुअल हैरेसमेंट की बात भी सही साबित हुई। जांच के दौरान ही बिहार के पूर्व मंत्री मंजू वर्मा के पति चंदेश्वर वर्मा पर आरोप लगे थे और उनको गिरफ्तार भी किया गया था, जिसके बाद मंजू वर्मा ने इस्तीफा दे दिया।

इनके साथ-साथ समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का भी नाम आया लेकिन उनमें से किसी को दोषी नहीं ठहराया गया, क्योंकि सीबीआई ने उनके खिलाफ मज़बूत तथ्य पेश नहीं किए और सबूत के अभाव में वे आरोप मुक्त हो गए।

अदालत के फैसले से यह ज़ाहिर होता है कि बिहार की नीतीश सरकार ने शेल्टर होम कांड में गोबर-माटी लगाने अर्थात बड़ी मछलियों को बचाने का काम किया है तथा सीबीआई पर दबाव बनाकर बड़ी मछलियों को आरोप मुक्त कराने का काम किया है।

खैर, इस जघन्य वारदात के आरोपियों में से 19 लोगों को सज़ा मिलना कम बात नहीं है। अभी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील का दरवाज़ा खुला हुआ है। हम आशा करते हैं कि आगे की अपील में बड़ी मछलियों को भी दोषी ठहराया जाएगा।

क्या है पूरा मामला?

ब्रजेश ठाकुर को हिरासत में लेकर जाती पुलिस। फोटो साभार- सोशल मीडिया

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (TISS) की एक टीम ने इस शेल्टर होम पर एक रिपोर्ट तैयार की थी। टीम ने यह रिपोर्ट 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को सौंपी थी। रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम में रहने वाली नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण किया जा रहा है।

यह बात उजागर होने के बाद सरकार ने उस शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट करवा दिया। 31 मई, 2018 को इस मामले में 12 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज़ हुई। ब्रजेश ठाकुर शेल्टर होम के चीफ थे, जो बिहार पीपुल्स पार्टी से विधायक भी रह चुके हैं। उन्हें इस मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था।

इस मामले में साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत 20 लोगों के खिलाफ पॉक्सो, रेप, आपराधिक साज़िश जैसी धाराओं में आरोप तय किए थे। CBI ने भी ब्रजेश ठाकुर को ही मुख्य आरोपी बनाया था। CBI ने कोर्ट में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में बताया कि जिस शेल्टर होम में बच्चियों का रेप होता था, उसको ब्रजेश ठाकुर ही चला रहा था।

नीतीश कुमार के महिला सुरक्षा के दावे कहां हैं?

नीतीश कुमार। फोटो साभार- सोशल मीडिया।

बिहार में 2016 में कुल 1008 बलात्कार के मामले दर्ज़ हुए, जो 2017 में बढ़कर 1475 हो गए। यह बिहार सरकार के उस दावे की पोल खोलती है, जिसमें नीतीश कुमार बिहार में महिलाओं के सुरक्षित होने का दावा करते हैं।

आपको यह भी बता दें कि बिहार में कैबिनेट मिनिस्टर्स की सूचि में सिर्फ एक मंत्री महिला हैं। हद तो तब हो गई, जब महिलाओं के कल्याण के लिए बनाया गया विभाग भी पुरुष मंत्री द्वारा संचालित किया जा रहा है।

इन तथ्यों के आधार पर आप समझ सकते हैं कि बिहार में कमज़ोर वर्ग और महिलाओं की क्या स्थिति है? महिलाएं बेसहारा हैं, उनके पास कोई सहारा नहीं है। ऐसे में इस सरकार में जब उनका प्रतिनिधित्व ही नहीं है फिर उनके मुद्दों को कौन उठाएगा?

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