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सुपरपावर बनने का सपना देखने वाले देश में इंटरनेट बंद करना हमारी ताकत छीनने का षड्यंत्र है

आज पूरी दुनिया में कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नित-नए प्रयोग हो रहे हैं। इस टेक्नोलॉजी के बलबूते ही दुनिया चांद पर बस्तियां बसाने का सपना देख रही हैं। उस ज़माने में हम क्या कर रहे हैं, इंटरनेट शटडाउन?

वर्ष 2014 में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वॉयर गार्डेन में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था,

टेक्नोलॉजी का सर्वाधिक प्रयोग करके हम अपनी ताकत का परिचय दे सकते हैं, हम अपनी ताकत का योगदान भी कर सकते हैं।

पूरी दुनिया में इंटरनेट पर सबसे ज़्यादा प्रतिबंध लगाने वाला देश है भारत

फोटो प्रतीकात्मक है। फोटो सोर्स- https://pixabay.com/

एक तरफ तो हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूचना क्रांति के ज़रिये देश को सुपर पावर बनाने का सपना दिखाते हैं और दूसरी ओर आए दिन इंटरनेट शटडाउन का आदेश पारित करते रहते हैं। आखिर कैसे बनेगा हमारा देश सुपर पावर, जब सूचना क्रांति के इस युग में इंटरनेट बंद करवाकर हमें ‘पावरलेस’ बनाने का षडयंत्र रचा जाएगा।

बीते साल 2019 में भारत के विभिन्न हिस्सों में शांति बहाल करने के नाम पर ही सरकार द्वारा 106 बार इंटरनेट बंद किया गया। Internetshutdowns.in के मुताबिक 2012 से लेकर 2019 तक भारत में कुल 381 बार इंटरनेट बंद किया गया और इस तरह भारत पूरी दुनिया में अब तक सबसे ज़्यादा इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने वाला देश बन चुका है। सबसे अधिक प्रतिबंध जम्मू-कश्मीर में (180 बार) लगाया गया है, दूसरे नंबर पर राजस्थान है।

इंटरनेट शटडाउन सरकार की ताकत नहीं, कमज़ोरी दर्शाता है

फोटो प्रतीकात्मक है।

यह तो हुई आंकड़ों की बात, इंटरनेट बंद होने से आम आदमी को क्या और किस तरह की परेशानियां झेलनी पड़ी, इस संबंध में मेरी बात लखनऊ में रहने वाली अपनी एक सहेली से हुई़, जाे कि एक मीडिया संस्थान में जॉब करती है। जब मेरी उससे बात हुई, तब लखनऊ में करीब 10 दिनों से इंटरनेट बंद था, ऐसे में उन लोगों को सूचनाएं नहीं मिल पा रही थीं।

व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टग्राम, फोन सहित सारे सूचना तंत्र ठप्प पड़ गए थे। बाहरी दुनिया से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा था, ऐसी स्थिति में किसी तरह स्थानीय खबरों के ज़रिये उन्हें अपना अखबार निकालना पड़ रहा था।

अब आप समझ सकते हैं कि सूचना तकनीक के इस दौर में जहां अपने ज़्यादातर कामों के लिए हम ऑनलाइन माध्यमों पर निर्भर हैं, वहां इंटरनेट बंद होने से कैसी फज़ीहत झेलनी पड़ती होगी। अखबार बंद, बैंकिंग कामकाज ठप्प, पुलिस सूचना विभाग के काम ठप्प, ऑनलाइन शॉपिंग संभव नहीं, पोस्टल विभाग का कामकाज ठप्प और भी ना जाने कितनी तरह की समस्याएं।

सर्वोच्च न्यायालय ने इंटरनेट उपयोग को माना मौलिक अधिकार

फोटो प्रतीकात्मक है।

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इंटरनेट बंद होने की वजह से भारत को करीब 1.3 बिलियन डॉलर यानी 92,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रिसर्च फर्म Top10VPN द्वारा पेश की गई इस रिपोर्ट के अनुसार,

माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में दायर एक याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि इंटरनेट का उपयोग करने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत एक मौलिक अधिकार है। साथ ही, उसने जम्मू-कश्मीर प्रशासन से प्रतिबंध लगाने के सभी आदेशों की एक हफ्ते में समीक्षा करने और उन्हें सार्वजनिक करने का आदेश भी दिया है।

हाल ही में रोटी, कपड़ा और मकान के साथ इंटरनेट को मौलिक अधिकार में शामिल करने वाला केरल देश का पहला राज्य बन गया है।

आज के दौर में इंटरनेट शटडाउन के मायने

आज के दौर में इंटरनेट हमारे रोज़मर्रा के कामों के लिए उतना ही ज़रूरी है, जितना कि हमारे भोजन में नमक। खासतौर से युवाओं के लिए, जो कि भारतीय जनसंख्या में सर्वाधिक प्रतिनिधित्व रखता है। माना कि देश के कुछ हिस्सों में सरकार के खिलाफ विरोध का स्वर उठ रहा है और हिंसक घटनाएं हो रही हैं लेकिन इसका समाधान इंटरनेट शटडाउन से नहीं निकलेगा, बल्कि इसके लिए सरकार को अपनी प्रशासनिक एवं कूटनीतिक नीतियों पर पुर्नविचार करने की ज़रूरत है। देश के खुफिया सुरक्षा तंत्र और सैन्य तंत्र को मज़बूत बनाना होगा, ताकि समय रहते ऐसी परिस्थतियों से निपटा जा सके।

इस आलेख के माध्यम से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बस इतना ही कहना चाहूंगी कि जिस देश की जनता ने आपको लगातार दो लोकसभा चुनावों में बहुमत से जीताया है। उसकी तकलीफों, ज़रूरतों और मनोभावनाओं को समझिए़, किसी भी सरकार के लिए हर परिस्थिति में तानाशाही रवैया अपनाने का नज़रिया उसकी कमज़ोरियों को दर्शाता है और आप कमज़ोर नहीं हैं। यह तो आप बहुमत प्राप्त करके साबित कर ही चुके हैं।

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