कुछ दिनों से उन्होंने हव्वा खड़ा कर रखा है, जिन्हें अभी हाल फिलहाल में, दूसरे देशों में बसे नागरिकों के ऊपर हुए उत्पीड़न से पीड़ा हुई है। वे हिंदुस्तान को उन सबकी धर्मशाला बनाने के पक्ष में भी है, बस वह शख्स मुसलमान नहीं होना चाहिए, क्योंकि वे प्रताड़ित नहीं हो सकते।
काफी नेक ख्याल है लेकिन क्या किसी ने सोचा कि जो सवा सौ करोड़ भारतीय, एक अलग प्रताड़ना झेल रहे हैं, उसका क्या समाधान होगा?
वह प्रताड़ना
- भूख की है,
- बेरोज़गारी की है,
- महंगाई की है,
- घोटालों की है,
- बैंकों में फंसे पैसों की है,
- दिव्यांगों से छीनी गयी भर्तियों की है,
- सड़क के किनारे ठंड से मरते लाखों गरीबों की है,
- बिजली की मार की है,
- प्याज़ पेट्रोल की है,
- विश्वविद्यालय के रिक्त होते फंड्स की है,
- वैज्ञानिकों के वेतन की है,
- पलायन की है,
- भीड़ में दम घुटाती मेट्रो, लोकल और बसों में फसी जनता की है,
- बलात्कार के डर से घर की चौखट पर खड़ी लड़की की है,
- अस्तपतालों में महंगे इलाज की है।
बहुत सारी प्रताड़नाएं हैं, जो मीडिया के छोटे से डब्बे में समा नहीं सकते, लेकिन प्रताड़ना तो है और इन प्रताड़नाओं का क्या हल है?
क्या इस सरकार के पास हल है?
हल किसके पास है? क्या इस सरकार के पास है जिसे जनता ने इस वादे के साथ चुना था कि
- विकास होगा,
- अच्छे दिन आएंगे,
- भारत बुलंदियों को छूएगा,
- औरतें बेझिझक सड़कों पर घूमेंगी,
- गरीब गरीबी रेखा से बाहर आएगा,
- हम शिक्षा स्वास्थ के क्षेत्र में दुनिया के लिए विश्वगुरु बनेंगे आदि इत्यादि।
अगर इस सरकार के पास है तो फिर कहां है वह विकास? कहां है अच्छे दिन?
जनता भी कम सुस्त नहीं
नागरिकता तो कहीं भागी नहीं जा रही, लेकिन अर्थव्यवस्था ज़रूर लुढ़कती जा रही है। बहुत से मापदण्डों पर आज पड़ोसी मुल्क हमसे आगे हो गए और सरकार को शर्म तक नहीं आई और ना ही उस मरी हुई जनता को जिन्होंने ऐसे नमूनों को सत्ता दी और फिर सवाल करना भूल गए।
सोचिये, कितनी अजीब बात है कि हम सवाल नहीं कर रहे हैं। ऐसी मरी जनता ही एक फूहड़ और बोगस लोकतंत्र का रास्ता खोलती है और फिर उसे कोसती है।
सत्ताधारी पक्ष राजनीति नहीं करेगा तो कौन करेगा? सोचना आपको है, जनता आप हैं, राजनीतिक रोटियां तो आपकी खोपड़ी के तवे पर सिक रही है, सिकती रहेंगी।
आप खुद सोचिये कि उनका रथ रोककर उनसे सवाल करना है या उस बारात में बिना चप्पल और फटे कुर्ते में घोड़ी के आगे बेताहाशा नाचना है। फैसला कीजिये और जल्दी कीजिये। जय हिंद।