Site icon Youth Ki Awaaz

“मेरे लिए गणतंत्र मतलब रेप मुक्त भारत”

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

हम भारतवासी खुद को आज़ाद कहते फिरते हैं लेकिन क्या सच में हमें पूर्ण आज़ादी मिल पाई है? कैसे मैं खुद को आज़ाद कह दूं? आज भी जब सुबह अखबार पढ़ती हूं, तो अखबार रेप की घटनाओं से भरा होता है।

हर लड़की के मन में यही खौफ रहता है कि क्या वह सही सलामत घर पहुंच भी पाएगी या नहीं? कैसे वो खुद को राह चलते लड़कों की गलत नज़रों से बचा पाएगी। कहीं उसके अंगों को कोई छूकर भद्दी टिप्पणी तो नहीं करेगा?

लड़कियां ही हर वक्त गलत क्यों?

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

एक तरफ हम भारत की बुलंदियों की चर्चा करते हैं। नई-नई उपलब्धियों की बात करते हैं लेकिन आज भी ये सब बातें ज़मीनी सच्चाई से कहीं दूर ही हैं। लकड़ी का कॉलेज, स्कूल या फिर बाज़ार जाते वक्त रेप हो जाए, तो इसमें भी लड़की को ही यह कहकर गलत ठहराया जाता है कि उसने छोटे कपड़े पहने होंगे।

यह तक कहा जाता है कि सड़क पर खिलखिलाते हुए चल रही होगी या उसके हाव-भाव नहीं सही होंगे। यह तो लोगों की राय बन गई है लेकिन आप जैसी सोच रखने वालों से एक सवाल मैं पूछना चाहती हूं, वो यह कि जब महज़ तीन महीने की बच्ची के साथ यही कृत्य होता है, तब आप लोग क्यों चुप्पी साध लेते हैं?

आखिर यह दोहरा मापदंड क्यों अपनाते हैं आप लोग? इतनी छोटी बच्ची, जिसे कपड़े पहनने की समझ तक नहीं उसको भी ये लोग नहीं छोड़ते। हर वक्त माँ-बाप इस डर से भरे रहते हैं कि कहीं उसकी बेटी के साथ राह चलते कुछ गलत तो नहीं होगा? अगर कहीं कुछ हो गया, तो समाज वालों को क्या मुंह दिखाएंगे। यह समाज तो हमारा जीना ही हराम कर देगा।

महिलाओं को बेखौफ जीने देना होगा

प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो साभार- Flickr

इस गणतंत्र हम एक ऐसा भारत देखना चाहते हैं, जहां हर एक लड़की स्वतंत्र होकर जी सके, जिसको घर से बाहर निकलने में डर ना लगे। जिसके मन में हर वक्त यह खौफ ना रहे कि कहीं उसके साथ कोई बलात्कार तो नहीं करेगा। इस गणतंत्र दिवस हर एक महिला बेखौफ कहीं भी आ जा सके। वो हर वक़्त सहमी सी ना रहे। स्वतंत्र होकर अपने लिए जी सके और फैसले ले सके।

यही नहीं, अगर उसके साथ कुछ गलत हो तो वह खुद के लिए आवाज़ भी बुलंद कर सके। हर महिला को खुलकर जीने का हक है। आखिर वह उन सबके लिए क्यों डरे जिनकी मानसिकता ही नीची है। जिनके लिए हवस ही सब कुछ है। ऐसे लोगों को इंसान कहना भी बहुत बड़ी गलती होगी, क्योंकि ये हैवान जानवर से भी बदत्तर हैं।

हर महिला खुद के हक के लिए खड़ी हो। ये हमारा जीवन है, हमें किसी का डर नहीं सताना चाहिए, क्योंकि यही डर बाद में हमारे जीवन के लिए कष्टदायी साबित होगी।

Exit mobile version