अभी हाल ही में ICC की बैठक में 2023 से 2031 तक के कैलेंडर में टेस्ट मैचों को पांच के बजाय 4 दिन का करने का प्रस्ताव सामने रखा गया। अब इस पर आईसीसी की क्रिकेट समिति विचार करेगी। पिछले कुछ सालों से टेस्ट क्रिकेट के दर्शकों में भारी गिरावट आई है।
इसी वजह से अन्य देशों के क्रिकेट बोर्ड्स द्वारा इसमें सुधार करके इसे लोकप्रिय बनाने की कोशिश की जा रही है। इसी क्रम में 2015 में डे-नाइट टेस्ट मैचों की शुरुआत हुई। अब प्रस्ताव के बाद से ही विश्व क्रिकेट में 142 साल पुराने फॉर्मेट पर बहस शुरू हो गई है।
क्या आयोजकों को नुकसान हो रहा है?
पूर्व क्रिकेटरों और खेल प्रशासकों में दो पक्ष देखने को मिल रहे हैं। परंपरागत क्रिकेट समर्थकों को यह लगता है कि इससे टेस्ट क्रिकेट की आत्मा मार जाएगी, क्योंकि क्रिकेटरों का भावनात्मक जुड़ाव सबसे ज़्यादा टेस्ट क्रिकेट से जुड़ा होता है।
आईसीसी का कहना है कि टेस्ट मैचों का एक दिन कम करने से उसे अपने कैलेंडर को और बेहतर ढंग से बनाने में मदद मिलेगी। टेस्ट मैचों के आयोजकों को पूरे पांच दिन के लिए प्रसारण से लेकर हर तरीके की व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसे में मैच चार या उससे कम समय में खत्म हो जाना बड़े आर्थिक नुकसान का कारण बन जाता है।
टेस्ट क्रिकेट में आर्थिक नुकसान होने की वजह से इसमें और सुधार के लिए बाज़ार का दबाव बन रहा है। दुनिया के कई देशों में 10 ओवर या 20 ओवर की लीग चल रही है, अन्य देशों के खिलाड़ी भी खेल रहे हैं। इससे आयोजकों को भरपूर कमाई होती है।
कौन से देश इसके पक्ष में हैं?
आईपीएल 2020 के संस्करण में दिन में एक ही मैच कराने का फैसला लिया गया है, जो कि सिर्फ टीआरपी के मद्देनज़र है। आर्थिक फायदे के लिए ही ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे कई प्रमुख क्रिकेट बोर्ड्स टेस्ट को 4 दिन के करने के पक्ष में हैं। इसकी शुरुआत 2019 के इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच हुई मैच से हो गई थी।
टेस्ट मैचों को 4 दिन के कराने के पीछे कई तकनीकी सवाल हैं। अब ज़्यादातर मैचों के नतीजे लाने के लिए पिचों में बदलाव करना होगा। यानी कि कम स्कोर के मैचों का चलन बढ़ेगा। बल्लेबाज़ पर रन रेट का दबाव होगा। आधुनिक क्रिकेट में बल्लेबाज़ एक राजा के तरह उभरकर आया है।
अब कई देशों में बैटिंग फ्रेंडली का चलन है। ऐसे में क्या दर्शक लो स्कोरिंग मैच पसंद करेंगे? यह एक बड़ा सवाल है। अगर आईसीसी 4 दिन में 100-100 ओवर कराने का निर्देश देती है, तो भारत में यह संभव होना मुश्किल है। हमारे देश में इंग्लैंड के मुकाबले दिन छोटे होते हैं और टीम का घरेलू सीज़न नवंबर से फरवरी के बीच में होता है।
आईसीसी को इस तरह के प्रस्ताव को ज़रूरी करने के बजाय वैकल्पिक रखना चाहिए। बोर्ड को बदलाव के दौर से गुज़र रहे देश श्रीलंका, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका को अपने प्रदर्शन में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, क्योंकि अगर आठों टीम अच्छे ढंग से खेलेगी, तो सबसे ज़्यादा फायदा खेल का ही होगा।
2019 में शुरू की गई टेस्ट चैंपियनशिप भी टेस्ट क्रिकेट के लाभ के लिए शुरू की गई थी, ताकि हर द्विपक्षीय सीरीज़ में और रोमांच बढ़ाया जा सके। इस तरह के लीग को आगे प्रमोर्ट करना चाहिए। फाइनल के साथ-साथ सेमीफाइनल भी हो सकता है। बाज़ार की ज़रूरत के अनुरूप इतने पुराने फॉर्मेट में बड़ा बदलाव काफी सहजता के साथ लेना चाहिए।