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पांच सालों में इंटरनेट शटडाउन की वजह से भारत में 21,584 करोड़ का हुआ नुकसान

आधुनिक युग में इंटरनेट जनसामान्य की दैनिक आवश्यकताओं एवं मनोरंजन में शामिल हो चुका है, जिसके महज़ कुछ देर बंद हो जाने पर पांच मिनट का कार्य घंटो में भी नहीं हो पाता है।

बैंकिंग, स्वास्थ्य, जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, रजिस्ट्रेशन, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया सहित अन्य सेवाएं पूरी तरह से प्रभावित हो जाती हैं और आम जन जीवन अस्त-व्यस्त होने के साथ-साथ पलभर में करोड़ों रुपए का नुकसान भी होना शुरू हो जाता है।

सिर्फ संबंधित अधिकारी, व्यापारी या उपभोक्ता ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिससे हमेशा शांति भंग होने का अंदेशा बना रहता है। कम शब्दों में यह कहना गलत ना होगा कि आधुनिक युग का सिस्टम पूरी तरह से कम्प्यूटर और इंटरनेट पर निर्भर है, हर कदम पर आज इंटरनेट की ज़रूरत है।

इंटरनेट शटडाउन का प्रभाव

हाल ही में नागरिकता संशोधन एक्ट पर लोगों के उग्र हिंसक विरोधी प्रदर्शन और अफवाहों को देखते हुए भारत में ऐहतियाती उपायों के तौर पर विभिन्न स्थानों की इंटरनेट सेवाएं कुछ समय के लिए बंद कर दी गईं, जिससे बड़े-बड़े सेलर्स ही नहीं बल्कि छोटे बेंडर भी प्रभावित हुएं।

व्यक्तिगत और कंपनियों के साथ-साथ सरकार को भी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा। लोग रेलवे रिज़र्वेशन, paytm, ATM जैसी आवश्यक समस्त ऑनलाइन, बैंकिंग सेवाओं व शॉपिंग के साथ-साथ Swiggy और Zomato जैसे ऐप का इस्तेमाल नहीं कर सके।

फरवरी 2020 से शुरू होने वाली हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के साथ-साथ अन्य कक्षाओं की परीक्षा की तैयारियां बुरी तरह से प्रभावित हो गईं, यहां तक कि उत्तर प्रदेश में 22 दिसम्बर 2019, रविवार को होने वाली टेट की परीक्षा भी अग्रिम आदेश आने तक निरस्त कर दी गई, जिससे विद्यार्थियों का मनोबल टूटा और कई विद्यार्थी तो हताश तक हो गए।

मेंगलूरु, उत्तर प्रदेश, गुजरात व अन्य कई क्षेत्रों में नागरिकता संशोधन एक्ट के विरोध में हुए ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन के बाद तनावग्रस्त इलाकों की इंटरनेट सेवाएं बंद किए जाने से जहां एक तरफ व्हाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल मीडिया साइट्स के माध्यम से भड़काऊ, भ्रामक खबरों व अफवाहों को फैलने से रोकने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में मदद मिली, वहीं दूसरी तरफ व्यापार व अन्य उद्योग धंधे पूरी तरह से ठप्प हो गए।

इंटरनेट शटडाउन का व्यापार व अन्य सेवाओं पर असर

इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशन द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में विगत पांच वर्षों से अबतक लगभग 16 हज़ार घंटे बंद रही इंटरनेट सेवाओं के कारण करीब 3.04 बिलियन डॉलर यानी करीब 21,584 करोड़ का नुकसान हुआ है।

कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अनुसार 5 अगस्त से सिर्फ कश्मीर को इंटरनेट शटडाउन की वजह से अबतक 100 बिलियन यानी करीब 10 हज़ार करोड़ का नुकसान हो चुका है, इतना ही नहीं बल्कि कश्मीर में सिर्फ टेलीकॉम्यूनिकेशन कंपनियों को हर दिन 4 से 5 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा था।

sflc.in द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा कई बार इंटरनेट सेवाएं बंद की गई हैं। यदि गत वर्षों के आंकड़ों पर एक नज़र डालें तो वर्ष 2012 से अब तक देशभर के तमाम क्षेत्रों में तकरीबन 382 बार इंटरनेट शटडाउन देखा गया है।

वहीं Zomato, Swiggy and UberEats जैसे फूड चेन को अनुमानित रूप से लगभग 25% से 30% तक का नुकसान हुआ और ई-कॉमर्स सेवाओं में भी लगभग 3 से 5% तक की कमी देखी गई। ज़्यादातर होने वाले इंटरनेट बंदी के मामलों को अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी पर पाबंदी लगाने की कोशिश के तौर पर देखा जाता है।

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