Site icon Youth Ki Awaaz

प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को 2020 के बजट के लिए 15 ज़रूरी सुझाव

आदरणीय प्रधानमंत्री महोदय एवं आदरणीय वित्त मंत्री महोदया,

इंसाफ सामाजिक न्याय के लिए प्रयासरत सामाजिक संगठन है। बजट के लिए यह निमंत्रित सुझाव प्रस्तुत करता है।

2020 के बजट के लिए इंसाफ के सुझाव-

1. अर्थव्यवस्था स्वत: प्रगतिशील रहे, ऐसा बजट होना चाहिए।

2. बजट अमीरी, गरीबी, बेरोज़गारी, भुखमरी, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, पूंजीवाद, अशिक्षा, कुपोषण को कम करने वाला होना चाहिए।

3. GST हटाया जाए, इससे अनुमानत: गरीबों को 24 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी। सरकार व अमीरों को 12-12 लाख करोड़ की हानि होगी।

4. व्यक्तिगत आयकर के साथ परिवार आयकर, व्यक्तिगत संपत्ति कर व पारिवारिक संपत्ति कर को अपनाया जाए।

5. इसके कर का स्तर निम्न प्रकार से रखा जाए-

6. संपत्ति में सभी प्रकार की चल-अचल, मूर्त-अमूर्त, प्रतिभूति-पूंजी, उपकरण आदि शामिल किए जाएं।

7. गिरजाघर, मस्जिदों, मंदिरों व धर्मार्थ ट्रस्ट की संपत्तियों को भी संपत्ति टैक्स के दायरे में परिवारिक संपत्ति, व्यवसायिक संपत्ति के समकक्ष लाया जाए।

8. देश की संपत्ति मूलतः देशवासियों की साझी संपत्ति होती है, इसमें होने वाले बदलावों की जानकारी पाने का सबका अधिकार है, इसलिए आयकर व संपत्ति कर की विवरणियों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए, ताकि कोई भी इनका अवलोकन करके त्रुटि दर्शा सकें तथा आपत्ति दर्ज करा सके।

9. इससे आर्थिक भ्रष्टाचार मिटेगा व उपरोक्त समस्याओं के अलावा क्राइम, शोषण, उत्पीड़न, अत्याचार जैसी अन्य सामाजिक समस्याओं का भी समाधान होगा।

10. 20 लाख से कम संपत्ति धारक गरीब व्यक्तियों व एक करोड़ से कम संपत्ति धारक गरीब परिवारों को निम्न प्रकार ब्याज भुगतान किया जाए-

11. यह भुगतान देशवासियों पर दया नहीं है, बल्कि देश की दौलत में उनकी बराबर हिस्सेदारी का ब्याज भुगतान या लाभांश है।

12. सरकार उद्योगपतियों, व्यापारियों, बिल्डरों, किसानों आदि को वोट पाने के लिए या अपनी पार्टी के लिए फंड पाने के लिए, हानि होने पर या अन्यथा सरकारी खजाने से इनकी मदद करती रहती है। यह आम आदमी के वसूले गए GST का धन ही होता है। खेद है कि आम गरीबों को सरकार कोई समुचित सहायता नहीं पहुंचाती है।

13. ‘देश’, देशवासियों का समान रूप से साझा देश है। सामाजिक समता, बंधुता, स्वतंत्रता व न्याय के आधार पर देश की औसत (समान) संपत्ति नागरिक मूल अधिकार है। सिद्धांत रूप से इसे स्वीकारा जाना चाहिए।

14. राष्ट्रीय औसत (समान) संपत्ति नागरिक मूल अधिकार होने पर कम संपत्ति कब्ज़ेदार परिवार, अधिक संपत्ति कब्ज़ेदार परिवारों से अपनी कम संपत्ति पाने का या उसका ब्याज, किराया, रॉयल्टी, लाभांश पाने का अधिकारी बनेंगे।

15. सामाजिक न्याय के सिद्धांत को अपनाते हुए सरकार अति धन वालों से ब्याज टैक्स वसूले, आयकर की दरें कम कर दे, GST हटा दे, तथा कम संपत्ति का ब्याज भुगतान करने की व्यवस्था करें। इससे समस्त देशवासियों को उत्तम जीवन प्राप्त होगा।

इंसाफ की तरफ से संक्षेप में यही सुझाव हैं।

धन्यवाद,

जय भीम, नमो बुद्ध, जय संविधान, जय भारत।

अमृतलाल सरजीत सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, इंसाफ

Exit mobile version