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#PeriodPaath: Letter to health minister

आदरणीय डॉक्टर हर्षवर्धन जी,
स्वास्थ्य मंत्रालय
दिल्ली सरकार

विषय- बेहतर माहवारी स्वच्छता व्यवस्था के संदर्भ में।

महोदय,

मैं आपका ध्यान बेहतर माहवारी स्वच्छता व्यवस्था की ओर आकर्षित करना चाहती हूं। अपने देश भारत में माहवारी का एक प्राकृतिक घटनाक्रम ईश्वर का उपहार तथा अति आवश्यक माना जाता है, क्योंकि अस्तित्व प्रदान करता है या माहवारी के बारे में औरतों के विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के अनुसार अलग-अलग विचार है। कई जगह औरतों को माहवारी के दौरान मंदिरों में जाने, भोजन खाने, व पार्टियां समारोह में जाने से रोका जाता है। हमारे हमारी के बारे में लड़कियों के बीच ज्ञान सीमित है और भ्रांतियां अधिक परिणाम स्वरूप लड़कियों में दर्द चिंता तथा आवाज में व्यवहार देखा जाता है। महामारी के कारण अधिकांश लड़कियां शर्मिंदगी महसूस करती हैं, घृणित महसूस करती हैं। इसका असर उनकी शिक्षा और रोजगार पर भी पड़ता है। कुछ की पढ़ाई अधूरी रह जाती है और जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है।

अधिकांश लड़कियों को माहवारी से पहले माहवारी के बारे में जानकारी नहीं होती, जिनको जानकारी होती है वह भी अपूर्ण और वैज्ञानिक अधिकतर लड़कियों को जो जानकारी उनकी मां से मिलती है वह अपूर्ण और अब वैज्ञानिक होने का कारण मां का भी शिक्षित हो ना हो सकता है।

माहवारी स्वच्छता व्यवस्था की स्थिति भिन्न भिन्न सामाजिक और आर्थिक समुदायों में देखी जाती है सबसे खराब स्थिति शहरी गरीब इलाकों में है यहां शिक्षा भी कम है और जागरूकता ना के बराबर आर्थिक अभाव में पेट खरीदने में भी असमर्थ भी एक महत्वपूर्ण कारण है। सरकारी स्कूलों या अन्य संस्थाओं से मुफ्त मिले हुए सेनेटरी पैड एक हद तक मदद करते हैं, लेकिन पूरा नहीं ऐसा देखा गया है कि गरीब लड़कियां साथ कई दिनों तक ही का इस्तेमाल करती हैं इससे होने वाली समस्याओं के प्रति भी गरीब लड़कियों में से एक जागरूकता है। कभी-कभी तो महामारी से जुड़ी समस्याओं को स्पष्ट बता पाने में सक्षम होती हैं या सहज महसूस नहीं करती हैं जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारी एक शहर जैविक क्रिया है और सभी 12 से 50 वर्ष तक की महिलाओं को होता है और महिला विकास के बिना किसी भी राष्ट्र के विकास के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता।

अतः श्रीमान से निवेदन है कि नीचे दिए गए सुझावों पर ध्यान दें और इसे क्रियान्वित करने का यथाशीघ्र प्रयास करें:-

*स्कूल एक ऐसे संस्थान हो सकता है जहां पर बेहतर महावारी संस्था व्यवस्था पर कार्यक्रम चलाए जा सकते हैं और सभी लड़कियों को जागरूक किया जाए।
*लड़कियों के माता-पिता या अभिभावक के साथ इस विषय पर समय-समय पर गोष्ठी का आयोजन किया जाए और माहवारी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया जाए।
*स्कूल में मुफ्त पेड़ के साथ पेंटी भी देने की व्यवस्था की जा सकती है।
*सामुदायिक स्तर पर और अधिक जागरूकता और प्रचार प्रयास और खुलकर बात करने की जरूरत है जिससे लोग बात करने में शर्म महसूस ना करें।
*कार्यक्रमों और गोष्ठियों में छात्रों और पुरुषों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
*विद्यालयों में सेनेटरी पैड को रेप करने और अलग डस्टबिन की सुविधा प्रत्येक स्कूल में होनी चाहिए।
*समाचार पत्र टेलीविजन और नियमों के उपयोग से विज्ञापन या संदेश के माध्यम से लोगों तक माहवारी स्वच्छता व्यवस्था और बेहतर करने में हमें जरूर मदद मिलेगी।

विश्वासपात्र

नीलम

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