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मिलिए नदियों को पुनर्वजीवित करने वाले मेरठ के नदी पुत्र रमन त्यागी से

रमन त्यागी

रमन त्यागी

भारत के इतिहास में नदियों का महत्व पौराणिक काल से ही रहा है। बात सरयू की करें या गंगा की, नदियां हमारे लिए पूजनीय रही हैं। भारत के नक्शे की ओर देखें तो देश की नदियों में गंगा और यमुना प्रमुख हैं लेकिन औद्योगिकरण एवं जनसंख्या विस्फोट के कारण आज नदियां और इसके जलीय जीवन संकट में हैं। 

ऐसे में नदियों को ज़रूरत है संरक्षण की। संरक्षण देने वाले व्यक्तित्वों में से एक हैं मेरठ के रमन त्यागी, जो वर्ष 2000 से नदियों के संरक्षण के लिए सराहनीय कार्य कर रहे हैं। नदियों को संरक्षण देने की इस सेवा हेतु रमन कांत त्यागी को लोगों ने ‘नदी पुत्र’ की उपाधि दी है। पढ़िए नदियों के हक के लिए संघर्ष करने वाले रमन त्यागी से YKA यूज़र सावन कनौजिया की बातचीत-

अपनी टीम के साथ रमन त्यागी। फोटो साभार- सावन कनौजिया

सावन: नीर फाउंडेशन की स्थापना कैसे हुई और आपको नदियों के प्रति लगाव कैसे हुआ?

रमन त्यागी: जब हम प्रकृति से हवा और पानी लेते हैं, तो हमें उसे कुछ देने के बारे में भी सोचना चाहिए लेकिन आज मानव अपने निजी स्वार्थ के कारण देने के बजाय बहुत कुछ प्रकृति के विरुद्ध जबरन कर रहा है।

2004 में हमने “नीर फाउंडेशन’ की शुरुआत की जिसके तहत मुख्य रूप से लुप्त होती नदियों को संरक्षण देने का कार्य किया जा रहा है। आज इन नदियों के अस्तित्व को  बचाने की ज़रूरत है , क्योंकि हर छोटी-छोटी नदियां गंगा और यमुना जैसी नदियों की सहायक नदियां हैं। अगर यह नहीं होंगी तो गंगा और यमुना जैसी नदियों का जीवन भी संकट में आ जाएगा।

सावन: किन-किन नदियों के लिए आपने काम किया है?

रमन त्यागी: हम अपने दोस्तों के साथ मिलकर नदियों के लिए कार्य करते थे। इसकी सराहना करते हुए सरकार भी आगे आई और नदी संरक्षण के कार्य के लिए सरकार से हमें मदद भी मिली।

काली नदी और हिंडन नदी के लिए मैंने मुख्य रूप से काम किया है। “काली को जीने दो, हिंडन को जीने दो” नारों के साथ मुहिम चलाकर मैंने इन नदियों को पुनर्जीवन दिया है।

सावन: काली और हिंडन नदी के लिए आपने क्या और कैसे कार्य किए हैं?

रमन त्यागी: सेटेलाइट मैपिंग और टेक्निकल अध्ययन के ज़रिए मैंने हिंडन नदी का उद्गम स्थल ढूंढा, जो कि एक गाँव में है, तो  ग्रामीणों और जहां-जहां से हिंडन नदी निकलती है वहां के लोगों से आह्वान किया कि इसे साफ बनाए रखें और इस कार्य में अपना सहयोग दें। हिंडन नदी सहारे कई गाँव का जीवन-यापन हो रहा है।

नदी की सफाई करते रमन त्यागी। फोटो साभार- सावन कनौजिया

“काली को जीने दो” अभियान के तहत हमने मुज़फ्फरनगर के अंतवाड़ा गाँव में उसके पुनर्जन्म के लिए कार्य किया। अब उसमें काफी मात्रा में पानी आ गया है।

अब हमारा लक्ष्य यह है कि 2020 तक उसकी खुदाई का काम पूरा करवा कर लें ताकि अगली बारिश से नदी में पानी आ जाए और काली फिर से जीने लगे। गाँव वालों में नदी को लेकर जागरुकता ऐसी फैली कि जिन लोगों ने काली की 145 बीघा ज़मीन पर कब्ज़ा जमा रखा था, उसे मुक्त कर काली के अस्तित्व को जीवित किया गया।

सावन: “जल बिरादरी” के गठन के पीछे क्या सोच थी?

रमन त्यागी: इसके पीछे मकसद यह है कि देश और दुनिया के लोग छोटी-छोटी नदियों की अहमियत के बारे में जान पाएं। लोगों में छोटी-छोटी नदियों को भी प्रदूषण मुक्त कराने की समझ बने। खासतौर पर काली नदी की बात करूं तो उसे इतना साफ, स्वच्छ और निर्मल बनाया जाए कि उसमें गाँव के लोग स्नान कर सकें।

गौरतलब है कि काली नदी के पुनर्जन्म के सराहनीय कार्य को देखते हुए रमन के आग्रह पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और बागपत की शूटर दादीयां चंद्रो और प्रकासी तोमर भी इस अभियान में पहुंचकर श्रमदान दिया।

बातचीत के दौरान रमन बताते हैं कि मुज़फ्फरनगर में हिंडन की सहायक नदी (काली पश्चिम नदी) के आसपास 2 गाँव हैं, जहां के लोग प्रदूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। मैंने दोनों गाँव के लगभग 400 परिवारों को नि:शुल्क आरओ सिस्टम वितरित किए।

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