जब भी किसी आम आदमी को अपने किसी काम के लिए सरकारी दफ्तर या ऑफिस जाना पड़ता है, तो उसके दिमाग में आती हैं लम्बी-लम्बी लाइनें और सरकारी अफसरों का आलसपन। यही वजह भी है कि ज़्यादातर लोग घर पर बैठे-बैठे ही, अपने मोबाइल से अपना काम कर लेते हैं। फिर चाहे ऑनलाइन बैंक का काम हो या बिजली के बिल को भरने का काम हो।
हम में से ज़्यादातर लोगों ने सरकारी काम या ऑफिसों में आलसपन के कई उदाहरण देखें होंगे। कभी-कभी तो कुछ दफ्तरों में आपको मुश्किल से कोई दिखाई देगा।
मैंने घंटों पोस्ट ऑफिस में इंतज़ार किया
ऐसा ही कल कुछ मेरे साथ हुआ। मैं उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 44 किलोमीटर दूर मसूरी में जॉब करता हूं। कल मैं अपने ऑफिस से छुट्टी लेकर यहीं के एक पोस्ट ऑफिस गया। दरअसल, मुझे अपना आधार-कार्ड और मोबाइल नंबर अपडेट करवाना था।
यह पोस्ट ऑफिस मसूरी के पास “कुलड़ी” नाम की जगह में है। कल यानी कि 14 जनवरी को दोपहर एक बजे के आस-पास में वहां पहुचा और पूछताछ काउंटर पर पहुंचने के बाद मैंने वहां मौजूद एक महिला से पूछा,
मैडम जी, आधार कार्ड किधर अपडेट होगा?
जवाब में वे बोलीं,
वह जो पीछे आप बेंच देख रहे हैं, वहां एक सर आएंगे। अभी वे बाहर गए हैं लेकिन आपका काम वही पर होगा।
उनके आदेशानुसार मैं उन सर का इंतज़ार करता हूं। इंतज़ार करते-करते 1 से 3 बज जाता है लेकिन कोई नहीं आता है। मेरे साथ एक और अजनबी साथी था, जो अपने आधार कार्ड के काम के लिए ही वहां पर आया हुआ था। जब मैंने उससे बात की तो उसने कहा,
भाई यार 12 बजे का आया हुआ हूं। अभी तक किसी को नहीं देखा। जब पू इंतज़ार करते-करते एक बजे से तीन बज जाता है लेकिन कोई नहीं आता हैछता हूं कि कोई यहां पर आएगा या नहीं, तो बोलते हैं अभी थोड़ी देर में आ रहे हैं।, अब तो लंच टाइम भी खतम हो गया है और शाम होने को है लेकिन इस आधार काउंटर पर कोई नहीं आता है।
पूरा पोस्ट ऑफिस खाली पड़ा था
तभी लगभग 3:30 बजे एक जनाब अंदर से चाय, समोसा और अपने हाथों को मलते हुए आते हैं और पूछने पर बोलते हैं कि कल 2 बजे आना अभी टाइम नहीं है। मैं झुंझला चुका था इसलिए मैंने भी जवाब दिया कि और कहा,
क्यों मैं तो ऑफिशियल टाइम में आया हूं और आधार कार्ड अपडेट करवाने का काम समय शाम चार बजे तक है।
इसपर जवाब मिलता है,
टाइम कितना भी हो लेकिन में नहीं करूंगा। कल सुबह 10 बजे आना। अगर टाइम होगा, तो कर दूंगा वरना जाओ जाकर सामने SBI बैंक से करवा लो। सामने वाला भी यही काम करता है लेकिन हमारे यहां अभी हमको बहुत काम है।
दरसल, काम की बात करूं तो पूरा पोस्ट ऑफिस खाली पड़ा था। एक पूरे पोस्ट ऑफिस में सिर्फ एक ही महिला काम करती हुई नज़र आ रही थी।
हालांकि, जिन जनाब ने मेरा काम करना था, उनका नाम मैं नहीं जानता लेकिन यह बात मसूरी स्थित कुलड़ी बज़ार वाले पोस्ट ऑफिस की है, जो की काफी निराशाजनक है।
खैर, थक हारकर मैंने अपना आधार SBI से अपडेट करवाया। वहां उन्होंने मेरा काम 5 मिनट में कर दिया था लेकिन यहां पोस्ट ऑफिस में सबका सुस्त रवैया बड़ा दुखदायी था।
पूरे राज्य में है यही हाल
उत्तराखंड में सरकारी व्यवस्था बहुत लचर है क्योंकि यहां के स्थानीय लोग भी अपनी आवाज़ नहीं उठाते हैं। जब तक हम अपने अधिकारों और काम के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तब तक देश आगे नहीं बढेगा। जो की एक स्थान और वहां के लोगों के लिए शर्मनाक बात है।
एक और जहां सरकार मसूरी को ‘पहाड़ों की रानी’ कहकर सम्बोधित करती है, वहीं दूसरी तरफ अगर सरकारी व्यवस्था पर नज़र डालें तो एक दम पस्त नज़र आती है। ऐसा लगता है कि ज़्यादा ठण्ड होने के कारण लोगों का अपना काम करना भी बर्फ ही हो रहा है।
आखिर कब तक सरकारी व्यवस्था इस तरह अपने काम की सिर्फ ज़ुबानी मरम्मत करती रहेगी।