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“प्रयागराज में इंटरनेट बंद होने से मेरे एग्ज़ाम की तैयारी अधूरी रह गई”

लक्षमी मोर्य

लक्षमी मोर्य

आधुनिकता और विज्ञान के इस दौर में आज जीवन के लिए हर एक छोटी से छोटी चीज़ बहुत महत्त्वपूर्ण हो गई है। जैसे-जैसे समय गुज़र रहा है, वैसे-वैसे नई चीज़े हमारी ज़िंदगी में जगह बना रही है। लोगों का उन चीज़ों की तरफ बढ़ता झुकाव यह बताता है कि जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ आज की तारीख में मोबाइल भी बेहद ज़रूरी है।

बीते दिनों मुझे ही नहीं, बल्कि देश के औसत लोगों को फोन के महत्व के बारे में तब अंदाज़ा हुआ जब CAA और NRC के विरोध में देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए। इस दौरान मुझे पेपर देने प्रयागराज से लखनऊ जाना था, जहां प्रदर्शन अपने परवान पर था।

हर जगह से प्रदर्शनकारियों की डरावनी तस्वीर न्यूज़ पेपर की बड़ी हेडलाइन बन रही थी। सरकारी और निजी बसों को जलाया जा रहा था। शहरों के हर बड़े- छोटे चौराहों पर सुरक्षा बल अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। हर घर का कोई ना कोई इंसान ऐसे माहौल में घर से कहीं ना कहीं दूर था।

घर वाले अक्सर ऐसे समय में चाहते हैं कि पूरा परिवार एक साथ हो। मैं, मेरी बहन और मेरे भाई जो कि आर्मी में हैं, हम सभी बाहर थे। माता-पिता की चिंता लगातार बढ़ गई थी।

मेरी माँ परेशान हो गई थी

जब घर पर मेरी बात हुई, तो माँ काफी परेशान थीं। वह केवल यही कहती कि घर से बाहर मत निकलना, पता नहीं कैसे लोग होंगे। उन्होंने लगातार हमें समझाया कि हम लड़कियां हैं और माहौल काफी खराब है। इसलिए हमें बाहर नहीं निकलना चाहिए। माँ परेशान इसलिए भी थीं, क्योंकि वह हमसे वीडियो कॉल पर बात नहीं कर पार रही थीं।

उधर भाई से भी बात नहीं हो पा रही थी। फोन अगर गलती से लग भी जाए तो नेटवर्क में दिक्कत के कारण बात नहीं हो पाती थी। मेरे भाई से जब भी थोड़ी बात होती तो वह यही कहते कि हम फोजी हैं, देश की सेवा करते हैं। तुम अपना ख्याल रखना।

मेरी बड़ी बहन मुंबई में थी। मम्मी बहुत परेशान थी कि उनका पता कैसे चले, क्योंकि मैं तो पांच घंटे में घर पहुंच भी सकती थी मगर बहन के लिए कतई संभव नहीं था। उसे घर पहुंचने में दो दिन लगते हैं। मम्मी ने ना खाना खाया और ना ही रात की नींद पूरी की। बस पूरा घर टीवी के पास बैठकर न्यूज़ देख रहा था।

दोस्तों से भी कॉन्टैक्ट करना मुश्किल था

मेरा संपर्क दोस्तों से बंद हो गया था। सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी कि कैसा माहौल है। काफी वक्त से मैं प्रयागराज से बाहर थी। लग रहा था कि अभी मैं घर जाकर माता-पिता और दोस्तों से मिलूं। मैं स्टूडेंट होने के साथ-साथ एक होम ट्यूटर भी हूं। जिनके यहां ट्यूशन पढ़ाती हूं, उन्हें भी चिंता हो रही थी कि वे हमसे संपर्क नहीं साध पा रहे थे।

सबसे बड़ी बात कि मेरी स्टडी भी नहीं हो पा रही थी, क्योंकि उसके लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है। पढ़ाई-लिखाई को लेकर एक तरह से दिमाग में प्रेशर बनता जा रहा था।

मैं इतनी परेशान हो गई कि एक दिन तय कर लिया अब चाहे कुछ भी हो जाए, मुझे प्रयागराज जाना ही है। मम्मी-पापा ने फोन पर समझाया कि मैं ना आऊं, क्योंकि बाहर माहौल काफी खराब है। मैंने तो सोच ही लिया था कि अब तो जाना ही है प्रयागराज।

अंतिम समय में इंटरनेट के ज़रिये एग्ज़ाम से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल पढ़ ही नहीं पाई

इंटरनेट शटडाउन के दौरान ऑनलाइन अध्ययन करने की कोशिश करती लक्ष्मी।

लखनऊ में एग्ज़ाम देकर प्रयागराज लौटने की बारी आ गई थी। लखनऊ में फोन कॉल्स तो हो रहे थे मगर इंटरनेट नहीं था। सबसे दुखद यह है कि इंटरनेट बंद होने के कारण एग्ज़ाम की तैयारी भी अधूरी रह गई। अंतिम समय में जो इंटरनेट पर हम पढ़ते हैं, कुछ भी नहीं हो पाया।

हर जगह पुलिस वाले आम लोगों के सामानों की जांच कर रहे थे, जिस कारण मेरी ट्रेन भी मिस हो गई। हर बार स्टेशन मास्टर यही बता रहे थे कि कुछ ट्रेनें 2 घंटे लेट हैं। चारबाग स्टेशन पर यह तस्वीर आज से पहले कभी नहीं देखी। परेशान होकर मैं सोच रही थी कि अब अगर गोमती एक्सप्रेस लेट हो गई या नहीं आई, तो क्या होगा?

ठंड भी काफी तेज़ हो गई थी। जैसे-जैसे 6 बज रहे थे, मेरी धड़कने तेज़ हो रही थीं। पता नहीं ट्रेन आए या ना! ठंड ने बुरा हाल वैसे ही कर दिया था और ऊपर से हर दिलों का साथी फोन भी आज धोखा दे गया। बस दिल में संतोष था कि यहां नहीं तो प्रयागराज में इंटरनेट सेवा चालू होगी मगर सब जगह यही समस्या थी।

आखिर तेज़ पड़ती ठंड में ट्रेन 30 मिनट विलम्ब से आई। मेरी सोच को हारना पड़ा कि गोमती एक्सप्रेस बहुत ज़्यादा लेट आएगी। देर से ही सही मगर हम डरते, कांपते, यह उम्मीद लिए प्रयागराज पहुंचे कि सब ठीक हो जाएगा। मैं ही नहीं, बल्कि मेरे देश में सभी सभी सलामत हों ऐसी कामना कर रही थी।

खैर, प्रयागराज पहुंचकर देखा कि सड़कों पर काफी सन्नाटा था। माँ का फोन आया जो अब तक जाग रही थीं। मुझसे बात करके वह काफी खुश हुईं।

नोट: लक्ष्मी Youth Ki Awaaz इंटर्नशिप प्रोग्राम जनवरी-मार्च 2020 का हिस्सा हैं।

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