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रहस्यों और रोमांचों से भरी है हिमालय घाटी में बसे नागटिब्बा की यात्रा

नागटिब्बा उत्तराखण्ड टिहरी गढ़वाल के जौनपुर विकासखण्ड में है। यह तीन ज़िले देहरादून, टिहरी और उत्तरकाशी से घिरा हुआ है। नागटिब्बा का अर्थ है, नाग का टीला। मान्यता है कि यहां नाग देवता विराजमान रहते हैं।

यहां के लोगों का मानना है कि नाग देवता उनके पशुओं की रक्षा करते हैं। इसलिए अपने इस कुलदेवता यानी कि नाग देवता के प्रति इन लोगों की बहुत आस्था है।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

नागटिब्बा पहुंचने के लिए थत्यड़,पंतवाड़ी और श्रीकोट से मुख्य रास्ते जाते हैं। नागटिब्बा समुद्र तल से 3048 मी. की ऊंचाई पर स्थित है|  इसके ठीक ऊपर 10,000 फ़ीट की ऊंचाई पर झंडी है।

फूलों का मनमोहक दृश्य

इसका महत्व है कि प्राथमिक काल में यहां सर्वश्रेष्ठ नागों के राजा वासुदेव वास करते थे। इस कारण ही यहां का नाम नागटिब्बा रखा गया था। यहां नाग देवता के पुरोहित भटवाड़ी गाँव के सेमवाल हैं। अति प्राचीन नागटिब्बा आस्था व श्रद्धा के हिसाब से महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों में से एक तथा देश-विदेश भर में प्रसिद्ध है।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

2008 में राज्य के तत्कालीन पर्यटक मंत्री स्वर्गीय प्रकाश पंत जी द्वारा नागटिब्बा को पर्यटक स्थल घोषित किया था। यहां के जंगलों में विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां तथा जंगली फल पाये जाते हैं और मखमली घास, रंगबिरंगे फूलों  का सौंर्दय अपनी ओर आकर्षित करता है।

बर्फ से घिरी पहाड़ी

सर्दियों में यहां की पहाड़ियां बर्फ से घिरी रहती हैं तथा गर्मियों में यहां का मौसम बहुत सुखद रहता है। यहां से आप हिमालय की खूबसूरत वादियों के नज़ारों का लुफ्त उठा सकते हैं। इसके अतिरिक्‍त यहां से देहरादून की घाटियों का नज़ारा भी देखा जा सकता है।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

नागटिब्बा ट्रैकर्स और पर्वतारोहियों के लिए बिल्कुल सही जगह है। इस स्थान की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस स्थान के अधिक ऊंचाई पर होने के कारण अनेक स्थानीय ट्रेकिंग और कैंम्पिग सेंटर यहां रहने के लिए कैंम्पिग की सुविधा उपलब्ध करवाते हैं।

ठहरने के लिए यहां पौराणिक काठ कला से बने घरों में भी सुविधा मिलती है। इस स्थान पर जाने के लिए एक और रास्ता, मसूरी से सुवाखोली, सुवाखोली से थत्यूड़, थत्यूड़ से बंगसील गाँव और बंगसील गांव से देवलसारी है।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

देवलसारी एक बहुत ही रमणिक स्थान है। रास्ते में अनेक प्रकार के रमणिक और रहस्यमय स्थान देखने को मिलते है। नागटिब्बा में पर्यटको को यहां का सुंदर वातावरण व शांत वादियां आकर्षित करती हैं। पंतवाड़ी से यहां जाने के लिए आधे रास्ते में गोट विलेज कॉटेज है, जहां पहाड़ी खाने की डिश मिलती है और ऑर्गेनिक खेती होती है।

सर्दियों में यहां भारी हिमपात होता है जिसके कारण यहां मई माह तक बर्फ रहती है। यहां से दिखने वाले खूबसूरत नज़ारों और आसान पहुंच के कारण ट्रेकर्स और सैलानियों की यह मनपंसद जगहों में से एक है, साथ ही आप यहां पर सूर्योदय और सूर्यास्‍त का मनमोहक नज़ारा देख सकते हैं।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

विंटरलाइन देखने को मिलती है

यदि आप दिसम्बर, जनवरी में जाते हैं, तो आपको यहां विंटरलाइन देखने का अवसर मिलता है। यानी सूरज को अपनी तरफ अस्‍त होते हुए और दूसरी तरफ उगते हुए देख सकते हैं। यहां देहरादून से सड़क मार्ग होते हुए पंतवाड़ी और श्रीकोट पहुंचा जा सकता है, फिर वहां से पैदल ट्रेक किया जाता है।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

रास्तों में छोटे-छोटे झरने, नदी के ठंडे पानी और पंछियों की मनमोहक आवाज़ें मन को मोहित कर देती है। गर्मियों में स्थानीय लोग अपने पशुओं को लेकर यहां के जंगलों में जाते हैं।

यहां के लोगों का प्यार पर्यटकों को बहुत लुभाता है। लोग पर्यटकों को प्यार से दूध, दही पीने के लिए ऑफर करते हैं। धीरे-धीरे विकसित होने के कारण आज नागटिब्बा टॉप पर्यटक स्थल में शुमार हो गया है।

इन तीन रास्तों से पहुंचे देवलसारी

नागटिब्बा जाने के तीन रास्‍ते हैं, पहला देवलसारी से, दूसरा पंतवाड़ी से और तीसरा श्रीकोट से जाता है। देवलसारी की तरफ से जाने पर आपको मसूरी वन विभाग से अनुमति लेनी होती है। दूसरा रास्‍ता श्रीकोट से जाता है जो देहरादून से 110 किमी की दूरी पर है, यह रास्‍ता देवलसारी और पंतवाड़ी की अपेक्षा छोटा है।

नागटिब्बा, फोटो साभार- अमित बिष्ट

यहां से 5 किमी. चलते हुए आप नागटिब्‍बा टॉप पर पहुंच सकते हैं तथा सीधे झंडी भी पहुंच सकते हैं। श्रीकोट से एक रास्ता नदी के किनारे होकर जाता है और एक पहाड़ से होकर जाता है। नदी वाला रास्ता आंनदमय है। कुछ चढ़ाई चढ़ने पर यहां देवी थात पड़ता है जो नाग देवता का थात (प्लॉट) माना जाता है, जहां से आपको हिमालय का बहुत ही शानदार नज़ारा दिखाई देता है।

यहां से टॉप तक पहुचंने में 3-4 घंटे का समय लगता है। इसी प्रकार देवलसारी से यहां तक का पैदल सफर लगभग 13 किमी का है जिसमें 7-8 घंटे लग सकते हैं। जबकि पंतवाड़ी से लगभग टॉप तक पहुंचने में 5-6 घंटे लगते हैं और रास्‍ता चढ़ाई वाला है।

पैदल चलना पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। नागटिब्बा राजसी सौंदर्य और साहसिक प्रेमियों के लिए एक अच्छा ट्रेक प्रदान करता है। नागटिब्बा से तेजस्वी बंदरपून चोटी, चोटियों का गंगोत्री समूह, उत्तर में केदारनाथ शिखर, दूनागिरी और चांगबांग की बर्फ से भरी हुई चोटियों का स्पष्ट दृश्य देखा जा सकता है।

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